अल्सर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, लेकिन सही समय पर पहचान और उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ जीवन शैली, संतुलित आहार और नियमित चिकित्सीय जांच से अल्सर की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आपको अल्सर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और उचित उपचार कराएं। अल्सर, बाल्यावस्था या बचपन सहित किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में सबसे आम है।

 

गैस्ट्रिक और पेट के अल्सर(stomach ulcer in hindi) का इलाज करने वाले विशेषज्ञ को गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट कहा जाता है और हमारे पास नोएडा के सबसे अच्छे गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट (Best Gastroenterologist in Noida) है। हम अल्सर पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें +91 9667064100

 

 

अल्सर क्या होता है? (What is Ulcer in Hindi?) :

अल्सर एक प्रकार का घाव या छाला है जो शरीर की अंदरूनी सतहों पर बनता है। यह आमतौर पर पेट की अंदरूनी परत, छोटी आंत या ग्रासनली (इसोफेगस) में होता है। अल्सर तब बनता है जब पेट में बनने वाला अम्ल (एसिड) इन आंतरिक सतहों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे छाले या घाव हो जाते हैं।अल्सर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, लेकिन सही समय पर पहचान और उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, और नियमित चिकित्सा जांच से अल्सर की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आपको अल्सर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और उचित उपचार कराएं। अल्सर क्या होता है (what is ulcer in hindi) यह जानने के साथ साथ यह जानना बहुत ज़रूरी की अल्सर के लक्षण, कारण क्या होते है, जानने के लिए आगे पढ़ें |
 

अल्सर के लक्षण (Symptoms of Ulcers in Hindi) :

अल्सर के लक्षण व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर कर सकते हैं और अल्सर की गंभीरता पर भी निर्भर करते हैं। अल्सर के लक्षण गंभीर हो सकते हैं और इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और आवश्यक जांच और उपचार कराएं। सही समय पर पहचान और उपचार से अल्सर की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है और गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है। सामान्यतः अल्सर के निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं:
 

  • पेट में दर्द: पेट के ऊपरी हिस्से में जलन या दर्द, जिसे "एपिगैस्ट्रिक पेन" कहा जाता है। यह दर्द भोजन के बाद या खाली पेट में बढ़ सकता है।

  • अपच और गैस: बदहजमी और पेट में गैस बनना। पेट में भारीपन महसूस होना।

  • भूख में कमी: भूख न लगना या खाने में अरुचि होना। कम खाने के बावजूद पेट भरा हुआ महसूस होना।

  • वजन कम होना: अचानक वजन कम होना। खाने की इच्छा में कमी।

  • मतली और उल्टी: मतली आना या उल्टी होना। कभी-कभी खून की उल्टी होना।

  • काले या टेरी मल: मल का रंग काला या टेरी जैसा होना। यह आंतरिक रक्तस्राव का संकेत हो सकता है।

  • पेट फूलना: पेट में भारीपन या फूलने का अहसास होना।

  • डकार आना: बार-बार डकार आना।

  • खून की उल्टी: उल्टी में खून आना।

  • चक्कर आना या बेहोशी: खून की कमी या रक्तस्राव के कारण।

  • अत्यधिक कमजोरी: शरीर में खून की कमी के कारण।

 

अल्सर के प्रकार (Types of Ulcers in Hindi) :

अल्सर कई प्रकार के होते हैं, जो उनके स्थान और कारणों के आधार पर विभाजित किए जा सकते हैं। अल्सर के विभिन्न प्रकार उनके स्थान और कारणों के आधार पर भिन्न होते हैं। सही समय पर पहचान और उचित उपचार से इनका प्रभावी तरीके से उपचार किया जा सकता है। अगर अल्सर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और आवश्यक जांच करवाएं। स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार से अल्सर की समस्या से बचा जा सकता है। यहां अल्सर के मुख्य प्रकार दिए गए हैं:

 

  1. गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcer in Hindi): गैस्ट्रिक अल्सर, जिसे पेट का अल्सर भी कहा जाता है, पेट की आंतरिक परत में होने वाला एक घाव या छाला है। यह तब होता है जब पेट की म्यूकस परत कमजोर हो जाती है और पेट के अम्ल द्वारा क्षतिग्रस्त हो जाती है। गैस्ट्रिक अल्सर एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन उचित निदान, उपचार और जीवनशैली में सुधार से इसे ठीक किया जा सकता है। अगर आपको गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षण (symptoms of gastric ulcer) महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और आवश्यक जांच और उपचार करवाएं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और सही समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करके गैस्ट्रिक अल्सर के जोखिम को कम किया जा सकता है। चूंकि यह पेट की अंदरूनी परत में होता है अतः पेट में दर्द, जलन, मतली, भूख में कमी, वजन घटना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

     

  2. डुओडेनल अल्सर (Small intestine ulcer in hindi): यह छोटी आंत के पहले हिस्से (अर्थात डुओडेनम) में होता है। पेट में दर्द जो अक्सर खाली पेट में या रात में बढ़ता है, अपच, गैस, मतली इसके लक्षण हैं।

     

  3. इसोफेगल अल्सर (Esophageal ulcer in hindi): यह ग्रासनली (अर्थात इसोफेगस) में होता है, जो गले से पेट तक भोजन ले जाता है। सीने में दर्द, निगलने में कठिनाई, खट्टी डकारें, खून की उल्टी इसके लक्षण हैं।

     

  4. पेप्टिक अल्सर (Peptic ulcer in hindi): पेप्टिक अल्सर एक प्रकार का अल्सर है जो पेट की आंतरिक परत में होता है और यह पेट के अम्ल (हाइड्रोक्लोरिक एसिड) और पेप्टिक जूस द्वारा आंत को नुकसान पहुंचाने से बनता है। पेप्टिक अल्सर पेट के ऊतक (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट) के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जिसमें पेट, ड्यूडेनम (छोटी आंत का पहला हिस्सा), या इसोफेगस (गला) शामिल हैं। पेट, डुओडेनम, और इसोफेगस में हो सकता है। पेट में दर्द, जलन, अपच, भूख में कमी, वजन घटना, मतली, उल्टी इसके प्रमुख लक्षण हैं।

     

  5. माउथ अल्सर (मुंह के छाले): यह मुंह की अंदरूनी परत, जीभ, गाल, होंठ आदि में होता है। मुंह में दर्द, जलन, सफेद या पीले छाले, खाने-पीने में कठिनाई, इसके प्रमुख लक्षण हैं। 


अल्सर क्या होता है (what is ulcer in hindi) यह जानने के साथ साथ यह जानना बहुत ज़रूरी है कि अल्सर के कारण क्या होते है? यह जानने के लिए आगे पढ़ें |

 

अल्सर के कारण (Causes to Ulcer in Hindi) :

अल्सर के कई कारण हो सकते हैं, जो पेट और आंतों की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अल्सर के कई कारण हो सकते हैं और इसे समय पर पहचानकर और उचित उपचार के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, धूम्रपान और शराब से परहेज, और दर्द निवारक दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग अल्सर के जोखिम को कम कर सकता है। अगर आपको अल्सर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और उचित जांच करवाएं। यहां कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:

 

  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) बैक्टीरिया

    यह बैक्टीरिया पेट की म्यूकस परत को कमजोर करता है, जिससे पेट का अम्ल (एसिड) आंतरिक परत को नुकसान पहुंचा सकता है। यह सबसे आम कारणों में से एक है।

     

  • एनएसएआईडीएस (NSAIDs)

    नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, जैसे कि इबुप्रोफेन, एस्पिरिन और नेप्रोक्सेन का लंबे समय तक या अधिक मात्रा में सेवन करने से अल्सर हो सकता है। ये दवाएं पेट की सुरक्षा करने वाली म्यूकस परत को कमजोर करती हैं।

     

  • अत्यधिक अम्लीय भोजन और पेयः

    अत्यधिक मसालेदार, खट्टे, या अम्लीय खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ पेट की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

     

  • धूम्रपान और शराबः

    धूम्रपान और शराब पेट और आंतों की म्यूकस परत को कमजोर करते हैं, जिससे अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है। शराब पेट के अम्ल को बढ़ाती है और म्यूकस परत को नुकसान पहुंचाती है।

     

  • तनाव और मानसिक दबाव :  

    अत्यधिक तनाव और मानसिक दबाव पेट की म्यूकस परत को प्रभावित कर सकते हैं और अल्सर का कारण बन सकते हैं। हालांकि तनाव अकेले अल्सर का कारण नहीं है, यह स्थिति को बदतर बना सकता है।

 

  • अनियमित जीवनशैली और खान-पान :

    अनियमित भोजन, असंतुलित आहार और भोजन छोड़ने से भी अल्सर होने का खतरा बढ़ सकता है। खाने का समय और गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण है।

     

  • विरासत और आनुवांशिकी :

    अगर परिवार में किसी को अल्सर की समस्या रही हो, तो उसकी विरासत में मिलने की संभावना बढ़ सकती है।

     

  • अन्य चिकित्सीय स्थितियां :

    जैसे कि जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम, जो पेट में अत्यधिक एसिड उत्पादन का कारण बनता है, जिससे अल्सर हो सकता है।

     

  • कॉफी और चाय :

    अत्यधिक मात्रा में कॉफी और चाय का सेवन पेट के अम्ल को बढ़ा सकता है, जिससे अल्सर हो सकता है।
     

     

अल्सर से बचाव (Prevention of Ulcers in Hindi) :

अल्सर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है, लेकिन इसे रोकने और नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। अल्सर से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, तनाव प्रबंधन और नियमित चिकित्सा जांच महत्वपूर्ण हैं। इन उपायों को अपनाकर अल्सर के जोखिम को कम किया जा सकता है और पेट की समस्याओं से बचा जा सकता है। अगर आपको अल्सर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और आवश्यक जांच और उपचार कराएं। यहां अल्सर से बचाव के कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:

 

  • स्वस्थ आहार का सेवन करें : 
    संतुलित आहार मसलन फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार खाएं।

     

  • मसालेदार और अम्लीय भोजन से बचें: 
    अत्यधिक मसालेदार, खट्टे और अम्लीय खाद्य पदार्थों से बचें।

     

  • दूध और डेयरी उत्पाद: 
    ये पेट की अम्लीयता को कम कर सकते हैं और अल्सर से बचाव में मदद कर सकते हैं।

     

  • धूम्रपान और शराब से बचें: 
    धूम्रपान पेट की म्यूकस परत को नुकसान पहुंचाता है, जिससे अल्सर का खतरा बढ़ता है।

     

  • शराब: 
    अत्यधिक शराब का सेवन पेट के अम्ल को बढ़ा सकता है और म्यूकस परत को नुकसान पहुंचा सकता है।

     

  • दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग करें:
    एनएसएआईडीएस (NSAIDs) का कम से कम उपयोग: दर्द निवारक दवाओं का अधिक या लंबे समय तक उपयोग न करें।

     

  • डॉक्टर की सलाह: 
    अगर एनएसएआईडीएस का सेवन करना आवश्यक है, तो डॉक्टर की सलाह और दिशा-निर्देशों का पालन करें।

     

  • तनाव प्रबंधन : 
    मेडिटेशन और योग: ध्यान, योग और अन्य रिलैक्सेशन तकनीकें तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।

     

  • पर्याप्त नींद: 
    रोजाना पर्याप्त और गुणवत्ता वाली नींद लें।

     

  • स्वच्छता बनाए रखें : स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरूरी है क्योंकि जहाँ स्वच्छता होती हैं वहाँ सूक्ष्मजीवों या रोगाणुओं के वृद्धि की सम्भवना कम होती है और यदि रोगाणु नहीं होंगे, तो हम भी रोगग्रस्त नहीं होंगे।
     

  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) संक्रमण से बचाव: H. pylori बैक्टीरिया संक्रमण से बचने के लिए अच्छी स्वच्छता बनाए रखें, जैसे कि भोजन से पहले हाथ धोना और साफ पानी पीना।

     

  • नियमित व्यायाम करें : 
    नियमित व्यायाम से पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है और तनाव कम होता है।

     

  • नियमित चिकित्सा जांच : 
    डॉक्टर से परामर्श: समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लें और पेट की समस्याओं के लक्षण महसूस होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

     

  • नियमित जांच: 
    पेट की समस्याओं की नियमित जांच करवाएं, खासकर अगर परिवार में किसी को अल्सर हो।

     

  • भोजन के समय का ध्यान रखें :

    समय पर खाना खाएं और भोजन न छोड़ें। हल्का और पौष्टिक भोजन खाएं और रात को सोने से पहले भारी भोजन से बचें।

     

  • कैफीन का सेवन सीमित करें : 
    कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सीमित मात्रा में सेवन करें।

 

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अल्सर की जाँच गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट करते है और फेलिक्स हॉस्पिटल के पास अनुभवी गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट हैं।

डॉ. जगतजोत सिंह गिल एक अनुभवी पेट और पाचन तंत्र के डॉक्टर हैं जिनके पास 11 साल से अधिक का अनुभव है। उन्हें विभिन्न पेट और आंत संबंधी समस्याओं का निदान और उपचार करने का अनुभव है। डॉ जगतजोत सिंह गिल एक अच्छे देखभाल प्रदान करने और प्रत्येक रोगी की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत उपचार योजनाएं बनाने में सक्षम हैं।

 

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निष्कर्ष (Conclusion) :

अल्सर एक गंभीर लेकिन सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जो पेट, छोटी आंत या ग्रासनली की आंतरिक परत में घाव या छाले के रूप में प्रकट होती है। इसका मुख्य कारण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) बैक्टीरिया और एनएसएआईडीएस (NSAIDs) जैसी दवाओं का अत्यधिक उपयोग है। अल्सर के लक्षणों में पेट में दर्द, जलन, मतली, भूख में कमी और वजन कम होना शामिल हैं। अल्सर की पहचान और उपचार समय पर किया जाए तो इसे प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, धूम्रपान और शराब से परहेज और दर्द निवारक दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग अल्सर के जोखिम को कम कर सकता है। अगर आपको अल्सर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और उचित जांच और उपचार कराएं। इन उपायों को अपनाकर आप अल्सर से बच सकते हैं और पेट की समस्याओं को नियंत्रित कर सकते हैं। सही समय पर इलाज और सावधानी बरतकर अल्सर की जटिलताओं से बचा जा सकता है।

 

अल्सर से जुड़े प्रश्न और उनके उत्तर (Ulcers Related Questions and their Answers in Hindi) :


प्रश्न : अल्सर क्या है ?
उत्तर: अल्सर एक प्रकार का घाव या छाला है जो पेट, छोटी आंत या ग्रासनली की आंतरिक परत में होता है। यह घाव पेट के अम्ल द्वारा आंतरिक परत को नुकसान पहुँचाने से बनता है।

 

प्रश्न : अल्सर के प्रमुख कारण क्या हैं ?
उत्तर: अल्सर के प्रमुख कारणों में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) बैक्टीरिया, एनएसएआईडीएस (NSAIDs) का अत्यधिक उपयोग, अत्यधिक अम्लीय और मसालेदार भोजन, धूम्रपान, शराब और तनाव शामिल हैं।

 

प्रश्न : अल्सर के सामान्य लक्षण क्या हैं ?
उत्तर: अल्सर के लक्षणों में पेट में दर्द, जलन, मतली, अपच, भूख में कमी, वजन कम होना, काले या टेरी मल और खून की उल्टी शामिल हैं।

 

प्रश्न : अल्सर का निदान कैसे किया जाता है ?
उत्तर: अल्सर का निदान एंडोस्कोपी, बायोप्सी, यूरेया ब्रीथ टेस्ट और रक्त एवं मल परीक्षण के माध्यम से किया जाता है।

 

प्रश्न : क्या H. pylori संक्रमण से अल्सर होता है ?
उत्तर: हां, H. pylori बैक्टीरिया पेट की म्यूकस परत को कमजोर करता है, जिससे पेट का अम्ल आंतरिक परत को नुकसान पहुंचा सकता है और अल्सर हो सकता है।

 

प्रश्न : अल्सर का उपचार कैसे किया जाता है ?
उत्तर: अल्सर का उपचार एंटीबायोटिक्स, एंटासिड्स और प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs) के माध्यम से किया जाता है। साथ ही, सही आहार, धूम्रपान और शराब से परहेज और तनाव प्रबंधन भी महत्वपूर्ण हैं।

 

प्रश्न : क्या अल्सर से बचाव संभव है ?
उत्तर: हां, अल्सर से बचाव संभव है। संतुलित आहार, धूम्रपान और शराब से परहेज, दर्द निवारक दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग, तनाव प्रबंधन और नियमित चिकित्सा जांच अल्सर से बचाव में मदद कर सकते हैं।

 

प्रश्न : क्या अल्सर घातक हो सकता है ?
उत्तर: यदि अल्सर का समय पर उपचार न किया जाए, तो यह घातक हो सकता है। गंभीर मामलों में, यह आंतरिक रक्तस्राव, पेट के छिद्र और संक्रमण का कारण बन सकता है।

 

प्रश्न : क्या अल्सर का घरेलू उपचार संभव है ?
उत्तर: अल्सर के हल्के मामलों में कुछ घरेलू उपचार, जैसे शहद, हल्दी, एलोवेरा जूस और फाइबर युक्त आहार सहायक हो सकते हैं, लेकिन चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।

 

प्रश्न : क्या अल्सर पुनः हो सकता है ?
उत्तर: हां, यदि अल्सर के कारणों का सही तरीके से उपचार न किया जाए और जीवनशैली में सुधार न हो, तो अल्सर पुनः हो सकता है। सही उपचार और स्वस्थ जीवनशैली इसे रोकने में मदद कर सकते हैं।

 

प्रश्न : क्या बच्चों को भी अल्सर हो सकता है ?
उत्तर: हां, बच्चों में भी अल्सर हो सकता है, विशेषकर अगर वे H. pylori बैक्टीरिया से संक्रमित हों या लंबे समय से एनएसएआईडीएस (NSAIDs) का उपयोग कर रहे हों।

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