ओव्यूलेशन (Ovulation) वह प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाशय से एक पका हुआ अंडाणु (एग) हर माह निकलता है। यह प्रक्रिया मासिक चक्र के दौरान होती है और यह गर्भधारण के लिए आवश्यक है ओव्यूलेशन आमतौर पर मासिक धर्म चक्र के मध्य में होता है, लगभग 12 से 16 दिन पहले अगला मासिक धर्म शुरू होता है। यदि आपका चक्र 28 दिनों का है, तो ओव्यूलेशन 14वें दिन के आसपास होता है। बहुत अधिक या बहुत कम वजन होना ओव्यूलेशन को प्रभावित कर सकता है जिसके चलते आपको अच्छे स्त्रीरोग हॉस्पिटल (best gynecologist hospital in noida) से संपर्क करना आवश्यक है। स्वस्थ वजन बनाए रखने से ओव्यूलेशन और मासिक चक्र नियमित रह सकते हैं। जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से..


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ओव्यूलेशन क्या है ? (What is Ovulation)

ओव्यूलेशन वह प्रक्रिया है जिसमें एक महिला के अंडाशय (ovary) से एक पका हुआ अंडाणु (egg) निकलता है। यह प्रक्रिया हर मासिक चक्र (menstrual cycle) के मध्य में होती है, सामान्यतः 12वें से 16वें दिन के बीच, जब महिला की मासिक चक्र की अवधि 28 दिन की होती है। ओव्यूलेशन के दौरान, अंडाणु को फैलोपियन ट्यूब (fallopian tube) के माध्यम से गर्भाशय (uterus) की ओर बढ़ने का मौका मिलता है। यह वह समय होता है जब महिला सबसे अधिक गर्भधारण करने की संभावना रखती है। यदि इस समय अंडाणु का निषेचन (fertilization) शुक्राणु (sperm) से होता है, तो गर्भावस्था की शुरुआत हो सकती है। यदि निषेचन नहीं होता है, तो अंडाणु और गर्भाशय की परत मासिक धर्म (menstruation) के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है।
 

ओव्यूलेशन के लक्षण (Symptoms of Ovulation)

1. योनि स्राव में बदलाव:

ओव्यूलेशन के समय योनि स्राव (cervical mucus) अधिक पतला, पारदर्शी और चिपचिपा हो जाता है। जो कच्चे अंडे के सफेद हिस्से जैसा होता है। यह शुक्राणु के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है जिससे निषेचन की संभावना बढ़ती है।


2.गर्भाशय ग्रीवा की स्थिति में परिवर्तन:

ओव्यूलेशन के समय गर्भाशय ग्रीवा (cervix) अधिक नरम, ऊंची और खुली हुई हो सकती है।

 

3. हल्का पेट दर्द:

कुछ महिलाओं को ओव्यूलेशन के दौरान पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द या चुभन महसूस होती है, जिसे मित्तेलश्मेर्ज़ (Mittelschmerz) कहा जाता है। यह दर्द आमतौर पर एक ही तरफ होता है, जहां अंडाणु निकल रहा होता है।

 

4.शरीर का बढ़ा हुआ तापमान:

ओव्यूलेशन के बाद शरीर का बेसल तापमान (basal body temperature) थोड़ी मात्रा में बढ़ जाता है। यह बढ़ोतरी हार्मोन प्रोजेस्टेरोन (progesterone) की वजह से होती है, और इसे मापने से ओव्यूलेशन के समय का पता लगाया जा सकता है।

 

5.हार्मोनल बदलाव:

टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन सेक्स ड्राइव को प्रभावित कर सकते हैं। हार्मोनल बदलाव जैसे युवावस्था ओव्यूलेशन गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति के दौरान यौन इच्छा बढ़ सकती है।

 

6.स्तनों में कोमलता:

हार्मोनल बदलावों के कारण स्तनों में कोमलता या सूजन महसूस हो सकती है।

 

7.स्वाद और गंध की संवेदनशीलता:

ओव्यूलेशन के समय कुछ महिलाओं को स्वाद और गंध के प्रति अधिक संवेदनशीलता हो सकती है।

 

8.हल्का खून आना:

कुछ महिलाओं को हल्का धब्बेदार रक्तस्राव (spotting) भी हो सकता है, जो ओव्यूलेशन का सामान्य लक्षण (symptoms of ovulation) है।

 

9.पेट की सूजन:

ओव्यूलेशन के समय कुछ महिलाओं को पेट में सूजन महसूस हो सकती है, जो हार्मोनल बदलावों का परिणाम होता है।


10.शरीर के तापमान में वृद्धि:

ओव्यूलेशन के समय शरीर का तापमान सामान्य से थोड़ा बढ़ जाता है। यह वृद्धि आमतौर पर 0.5 से 1 डिग्री फ़ारेनहाइट होती है। इसे ट्रैक करने के लिए महिलाएं बेसल बॉडी थर्मामीटर का उपयोग करती हैं।


11.गर्भाशय ग्रीवा में परिवर्तन:

ओव्यूलेशन से पहले और इसके दौरान गर्भाशय ग्रीवा का आकार पतला और चिपचिपा हो जाता है, जिसका उद्देश्य शुक्राणु को अंडे तक पहुंचाना होता है। यह कच्चे अंडे की सफेदी के समान दिखता है।

 

 

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निष्कर्ष (Conclusion)

ओव्यूलेशन के दौरान शरीर में हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जिनसे महिलाएं अपने उपजाऊ दिनों की पहचान कर सकती हैं। यह प्रक्रिया गर्भधारण की संभावना को अधिकतम करने के लिए महत्वपूर्ण होती है।ओव्यूलेशन की प्रक्रिया महिला की प्रजनन क्षमता के लिए महत्वपूर्ण होती है और इस पर बहुत से कारक प्रभाव डाल सकते हैं जैसे हार्मोनल स्वास्थ्य, जीवनशैली, तनाव और स्वास्थ्य की अन्य समस्याएं। इन हार्मोनल प्रक्रियाओं का तालमेल ओव्यूलेशन सुनिश्चित करता है। यदि इन हार्मोनल प्रक्रियाओं में कोई गड़बड़ी होती है, तो यह ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और गर्भधारण करने में कठिनाई हो सकती है इसके लिए आप गर्भावस्था प्लानिंग टिप्स (pregnancy planning tips) अपनाइये। इनमें से किसी भी विधि का उपयोग करने से पहले डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, ताकि आपकी आवश्यकताओं और स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर उपयुक्त गर्भनिरोधक उपाय चुना जा सके। ओव्यूलेशन समस्याओं के इलाज के लिए सही उपचार का चयन व्यक्तिगत स्थिति और कारण पर निर्भर करता है।

 

ओव्यूलेशन के लक्षण को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( Frequently asked questions about ovulation symptoms)

प्रश्न 1: ओव्यूलेशन क्या है और यह कब होता है ?

उत्तर: ओव्यूलेशन वह प्रक्रिया है जब महिला के अंडाशय से एक परिपक्व अंडाणु निकलता है। यह आमतौर पर मासिक चक्र के बीच में, यानी 10 से 16 दिनों के बीच होता है, लेकिन यह हर महिला के चक्र की लंबाई के आधार पर भिन्न हो सकता है।


प्रश्न 2: ओव्यूलेशन के दौरान कौन-कौन से लक्षण दिखाई देते हैं ?

उत्तर: ओव्यूलेशन के दौरान महिलाओं में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जैसे शरीर के तापमान में हल्का सा वृद्धि। सर्वाइकल म्यूकस का पतला और पारदर्शी होना। हल्का पेट दर्द या ऐंठन, जिसे मित्तलस्मरज़ कहा जाता है। बढ़ी हुई यौन इच्छा। हल्की स्तन कोमलता।


प्रश्न 3: ओव्यूलेशन के लक्षण कितने दिनों तक रहते हैं ?

उत्तर: ओव्यूलेशन के लक्षण (symptoms of ovulation) आमतौर पर 1 से 2 दिनों तक रहते हैं, क्योंकि अंडाणु ओव्यूलेशन के 12 से 24 घंटों के भीतर ही निषेचित होने के लिए उपलब्ध रहता है।

 

प्रश्न 4: क्या ओव्यूलेशन के दौरान हर महिला में समान लक्षण होते हैं ?

उत्तर: नहीं, हर महिला के ओव्यूलेशन के लक्षण भिन्न हो सकते हैं। कुछ महिलाओं में लक्षण स्पष्ट होते हैं, जबकि कुछ में बिल्कुल नहीं दिखाई देते।


प्रश्न 5: ओव्यूलेशन के दौरान किन शारीरिक बदलावों का अनुभव होता है ?

उत्तर: ओव्यूलेशन के दौरान शारीरिक बदलावों में पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेट फूला हुआ महसूस होना, हल्का चिड़चिड़ापन, और सर्वाइकल म्यूकस का बदलाव शामिल है।


प्रश्न 6: क्या ओव्यूलेशन के लक्षणों से गर्भधारण के समय का पता लगाया जा सकता है ?

उत्तर:हां, ओव्यूलेशन के लक्षणों को पहचानने से गर्भधारण के लिए सही समय का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि यह वह समय होता है जब गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है।


प्रश्न 7: क्या ओव्यूलेशन के लक्षणों में किसी प्रकार की दवा या चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है ?

उत्तर: सामान्यतया ओव्यूलेशन के लक्षणों के लिए किसी दवा या चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अगर लक्षण असहनीय या असामान्य हों, तो डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

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