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शरीर में कोई भी समस्या होने पर उसके लक्षण बाहरी रूप से नजर आने लगते हैं। अगर हमें बुखार है तो शरीर का तापमान बढ़ जाता है और शरीर में कमजोरी महसूस होने लगती है। शरीर में कोई आंतरिक चोट लगती है, तो पूरे शरीर पर उसका असर देखने को मिलता है। लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी भी हैं जिनके लक्षण बाहरी रूप से नजर नहीं आते हैं। ऐसे में इन समस्याओं का पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है। इन्हीं समस्याओं में शामिल है पीसीओडी की समस्या।यदि आपको पीसीओडी की समस्या है और उससे अधिक परेशान हैं तो आइये फेलिक्स हॉस्पिटल के साथ इसके कारण जानते है | पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिस्ट डिजीज (पीओसीडी) महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी है। पीसीओडी (PCOD) में हार्मोन बैलेंस न होने की वजह से ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट यानी गांठ हो जाती हैं। इन सिस्ट की वजह से महिलाओं में बड़े हार्मोनल बदलाव हो जाते हैं और बाद में इसकी वजह से पीरियड्स और प्रेग्नेंसी को डिस्टर्ब करते हैं।
पीसीओडी (PCOD) के लक्षणों व कारणों (solution for PCOD problem in hindi) को जानकर उन से राहत पाने के लिए महिलाएं कई तरह की एक्सरसाइज, डाइट प्लान और दवाओं का सेवन करती हैं। पीसीओडी (PCOD) में इस तरह की चीजें हर बार काम कर रही ही जाएं यह जरूरी नहीं है। ये एक ऐसा डिसऑर्डर है, जो आमतौर पर युवतियों में देखने को मिलता है। पीसीओडी (PCOD) का संबध प्रेगनेंसी न होने से जुड़ा हुआ है। पहली पीरियड साइकिल के साथ ही बहुत सी युवतियों को इस समस्या से होकर गुजरना पड़ता है। इसके चलते उन्हें मोटापा और चेहरे पर अनचाहे बाल नजर आने लगते हैं। इसके अलावा मुहांसों की समस्या भी इसका एक लक्षण है। किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए डॉक्टरी संपर्क आवश्यक है। पीसीओडी (PCOD) महिलाओं को होने वाली एक ऐसी समस्या है (symptoms of PCOD problem in females), जो हार्मोन में असंतुलन के कारण महिलाओं को प्रभावित करती है। इसके चलते महिलाओं को प्रेगनेंसी संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है। इस समस्या में बॉडी कम मैच्योर एग्स को प्रोडयूस करती है। जो आगे चलकर सिस्ट में बदल जाते हैं।फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपको सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे गयनेकोलॉजिस्ट के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
पीओसीडी (PCOD) के कई कारण होते हैं जैसे कि मुख्य रूप से जीवनशैली अस्वस्थ्य होना, व्यायाम, योग या मेडिटेशन नहीं करना और खान-पान में लापरवाही दिखाना आदि। लाइफ में तेजी से बढ़ा स्ट्रेस, बदला हुआ लाइफस्टाइल, लेट नाइट तक जागना और फिर दिन में देर तक सोना, स्मोकिंग और ड्रिकिंग में महिलाओं का बढ़ता शौक आदि पीसीओडी के मुख्य कारण हो सकते हैं। क्योंकि इनसे महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर गड़बड़ा जाता है। वहीं, वंशानुगत रूप से भी यह समस्या होती है। इसके कई कारण होते हैं जैसे कि मुख्य रूप से जीवनशैली अस्वस्थ्य होना, व्यायाम, योग या मेडिटेशन नहीं करना और खान-पान में लापरवाही दिखाना आदि। पीसीओडी के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि रात में देर तक जगना और फिर देर तक सोना, तनाव में रहना या हार्मोन संबंधित किसी समस्या से पीड़ित होना आदि। ऊपर दिए गए कारणों को ध्यान में रखकर, अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो पीसीओडी का खतरा कम हो सकता है।
बीमारी के कारणों में यह भी शामिल:
-वजन बढ़ना यानी मोटापा होना:
-किसी कारण पीरियड्स असंतुलन होना
-कुछ मामलों में आनुवंशिक कारण होना
-महिला की शरीर में इंसुलिन का स्तर अधिक होना
-सिगरेट, शराब या नशीली पदार्थों का सेवन करना
-डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर चीजें शामिल नहीं होना
पीसीओडी (PCOD) की समस्या उन महिलाओं में अधिक देखने को मिल रही है, जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं। पूरी रात जागना देर रात खाना जैसी लाइफस्टाइल उनकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचा रही है। क्योंकि इस तरह के रुटीन से बायॉलजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है। जो इस दिक्कत को बढ़ाने में बड़ा रोल निभा सकती है।
पहले सिर्फ लेट उम्र में शादी करने के कारण पीसीओडी की समस्या का महिलाओं को सामना करना पड़ता था लेकिन अब 15 से 16 साल की उम्र की लड़कियां भी इस दिक्कत से ग्रसित हो रही हैं। इनमें पीसीओडी के लक्षण (symptoms of PCOD problem in females) चेहरे और शरीर के अंगों पर घने बाल उगने, पीरियड्स के समय बहुत अधिक दर्द होने, हेवी ब्लीडिंग होने या समय पर पीरियड्स ना होने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
-पीसीओडी की समस्या होने पर महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है।
-पीरियड्स में किसी को कम ब्लीडिंग होती है तो किसी को बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है।
-हॉर्मोनल इंबैलंस के कारण भावनात्मक रूप से बहुत अधिक उथल-पुथल का सामना करती हैं।
-इस बीमारी में वेट तेजी से बढ़ने लगता है जबकि कुछ महिलाओं को हर समय कमजोरी की शिकायत रहती है।
-अनियमित मासिक धर्म (Irregular Menstruation): महिलाओं के मासिक धर्म अनियमित हो सकते हैं, यानी कि मासिक धर्म की तारीखें अचानक बदल सकती हैं या आने-जाने लग सकती हैं।
-हिरसूटिज्म (यौनक्षमता वृद्धि) (Increased Sexual Ability): पीसीओडी के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों पर अत्यधिक बाल विकसित हो सकते हैं, जैसे कि चेहरे, छाती और पेट पर।
-वजन बढ़ना (Gaining Weight): पीसीओडी के प्रभाव से महिलाओं को असामान्य तरीके से वजन बढ़ सकता है, खासकर पेट क्षेत्र में।
-त्वचा समस्याएं (Skin Problems): त्वचा में मुंहासे और एक्ने की समस्या हो सकती है।
-आंखों में समस्याएं (eye problems): पीसीओडी के कारण आंखों के चारों ओर गहरे रंग के पिघमेंटेशन (डार्क सर्कल्स) की समस्या हो सकती है।
-सीने में जलन: भोजन के बाद सीने में जलन।
-बालों का झड़ना: बालों का अधिक झड़ना और पतला होना।
-उल्टी या मतली की भावना: कई बार उल्टी आने की भावना।
-चिदचिदा अनुभव: अधिक चिदचिदा और उदास महसूस होना।
-अधिक थकान और निद्रालु भावना: सामान्य रूतीन में भी अधिक थकान
पीसीओडी के जोखिम को कम करने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना ज़रूरी है। इसके चलते अपने रूटीन में एक्सरसाइज और योग को कुछ देर के लिए जरूर शामिल करें। इसके अलावा खान पान की आदतों को नियमित करना जरूरी है। हेल्दी डाइट लेने से आपका शरीर कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचा रहता है। इसके अलावा अल्कोहल, स्मोकिंग और अन्य नशीले पदार्थों से दूरी बनाकर रखें। इसका शरीर पर कुप्रभाव दिखने लगता है। खुद को कोलेस्टेरोल से बचाने के लिए खाने में गुड फैट्स और सीमित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना ज़रूरी है। स्ट्रेस, एंजाइटी, नींद की कमी और ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में न रहने की वजह से पीसीओडी (PCOD) की समस्या होती है। ऐसे में महिलाओं को (PCOD problem treatment in hindi) मैग्नीशियम रिच फूड्स का सेवन ज्यादा करना चाहिए। मैग्नीशियम का पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से पीसीओडी समेत कई मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से भी छुटकारा मिलता है। इसके लिए डाइट में बादाम, काजू, कद्दू के बीज, पालक जैसी चीजों को शामिल कर सकते हैं। शरीर के बेहतर विकास के लिए जरूरी है जिंक बहुत जरूरी सप्लीमेंट माना जाता है। जिंक एक ऐसा पोषक तत्व है जो कई बीमारियों से बचाव करने में भी मदद करता है। जिंक आपको प्रचुर मात्रा में मिले इसके लिए आप डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स, नट्स और डार्क चॉकलेट जैसी चीजों को डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। ओमेगा-3 एक आवश्यक फैटी एसिड है जो ग्लूकोज चयापचय को विनियमित करने में मदद करता है। यह लैटिन को बेहतर बनाने में भी मदद करता है, जो बदले में भूख को कम करता है और वजन घटाने में मदद करता है। ओमेगा 3 को अपनी डाइट का हिस्सा बनाने के लिए डाइट में सोया, अखरोट, अलसी के बीज, एवोकाडो, फूलगोभी, मछली और अंडे को शामिल कर सकते हैं। विटामिन सी न सिर्फ पीसीओडी की प्रॉब्लम से राहत दिलाता है बल्कि स्किन और बालों के लिए भी बहुत अच्छा माना जाता है। विटामिन सी प्राप्त करने के लिए आप संतरे, नींबू, नींबू और अंगूर जैसी चीजों को डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।
फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपको सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे गयनेकोलॉजिस्ट के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
इसके उपचार के लिए सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव लाना जरूरी है। व्यायाम करें, संतुलित आहार लें, वज़न पर नियंत्रण रखें। अगर ऐसा करने के बाद भी पीरियड्स नियमित न हों तो दवाओं के रूप में हॉर्मोन्स भी दिए जाते हैं। उनके शरीर में इंसुलिन का स्तर सामान्य बनाए रखने के लिए भी दवाएं दी जाती हैं। अगर चेहरे पर बालों की समस्या है तो ऐसे हॉर्मोन दिए जाते हैं कि पुरुषों वाले हॉर्मोन का प्रभाव कम हो जाए। अगर कॉलेस्ट्रॉल की समस्या है तो उसे घटाने के लिए भी की दवा दी जाती है। इस तरह जो लक्षण अधिक प्रभावी होता है, पहले उसे ही दूर करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसकी वजह से अगर किसी स्त्री को संतानहीनता की समस्या हो (PCOD problem treatment in hindi) तो उसे फर्टिलिटी की दवाएं दी जाती हैं। जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी की जाती है। इलाज या सर्जरी कराने के बाद व्यायाम करती रहें, संतुलित आहार अपनाएं। यह जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है, इसलिए अगर आपकी आदतें सही रहेगी तो बीमारी के लक्षण वापस नहीं आएंगे। नियमित रूप से अपनी जांच करवाएं। डॉक्टर के संपर्क में रहें क्योंकि मेटाबोलिज्म बिगड़ने के कारण डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, दिल की बीमारियों के अलावा एंडोमीट्रियल कैंसर की भी आशंका बनी रहती है। इसलिए इस समस्या से पीड़ित स्त्रियों को आजीवन अपनी सेहत का खयाल रखना चाहिए।
कई बार महिलाओं को लंबे समय तक इस बात का पता ही नहीं चलता है कि वह पीसीओडी जैसी गंभीर समस्या से जूझ रही हैं। पीसीओडी जैसी कई तरह की हार्मोंस से जुड़ी समस्याएं ज्यादातर खराब खानपान के कारण होती हैं, जब शरीर को सही पोषण नहीं मिलता है तो हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है। ऐसे में पीओसीडी कंट्रोल करना चाहती हैं तो सबसे पहले प्रोसेस्ड फूड (Processed food), जंक फूड और शुगर से दूरी बना लें। मीठे की क्रेविंग होने पर आप गुड़ का सेवन करें और डिब्बाबंद जूस और पैक्ड फूड से दूरी बना लें।
आजकल की खराब बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण शरीर में हार्मोंस का लेवल बिगड़ता है, जिससे 'पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम' और 'पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज' की समस्या होती है। इसलिए पीसीओडी क्या है ये जानने के साथ साथ इसके कारण व लक्षण (signs and symptoms of PCOD in hindi) जानना भी जरूरी है| बिजी लाइफस्टाइल में लोगों का न तो उठने का एक समय होता है और न ही सोने का, ऐसे में कम सोना और सोने और जगने का समय निर्धारित न होने के कारण नींद की क्वालिटी खराब होने लगती है और सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे में सबसे पहले आप अपनी नींद को बेहतर करने के लिए रोजाना योग और मेडिटेशन करें तथा सोने और जगने का समय निर्धारित करें।
एक ही जगह पर बैठकर काम और एक्सरसाइज न करना कई बीमारियों का कारण है। बिगड़ी हुई लाइफस्टाल के कारण लोगों के पास एक्सरसाइज और योग करने का समय भी नहीं होता है, ऐसे में खराब खानपान के साथ घंटो तक एक ही जगह पर बैठकर काम करने से वजन बढ़ने के साथ-साथ PCOD जैसी हार्मोंस से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। जिसका बुरा असर महिलाओं की फर्टिलिटी पर भी पड़ता है और प्रेग्नेंसी में कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऐसे में अगर आप हार्मोंस का लेवल सही करना चाहती हैं तो एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाएं और रोजाना योग, मेडिटेशन और एक्सरसाइज के लिए समय निकालें।
पीसीओडी की समस्या से परेशान महिलाओं को डाइट में लो कैलोरी फूड शामिल करने चाहिए। ऐसी महिलाओं को रोज थोड़ा व्यायाम जरूर करना चाहिए। इस समस्या से जूझ रहीं महिलाएं ओवरवेट और इंसुलिन रेजिस्टेंट होती हैं, ऐसे में वजन में कमी आने से आपकी समस्या कम हो सकती है।
अगर आपका वजन कंट्रोल रहता है तो इससे इंसुलिन और एंड्रोजन का लेवल कम होता है, जिससे ओव्यूलेशन को रिस्टोर और मेंस्ट्रुअल साइकिल को ठीक करने में मदद मिलती है। जो महिलाएं कंसीव करना चाहती हैं उन्हें अपना वजन जरूर कंट्रोल रखना चाहिए। इसलिए पीसीओडी क्या है ये जानने के साथ साथ इसके कारण व लक्षण (signs and symptoms of PCOD in hindi) जानना भी जरूरी है |
खाने में ब्रोकोली, फूलगोभी, पालक, हरी और लाल मिर्च, अंकुरित दालें और हाई फाइबर फूड शामिल करने चाहिए।प्रोटीन के लिए और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
एक्सरसाइज से न केवल शरीर फिट रहता है बल्कि रोजाना व्यायाम करने से ब्लड शुगर भी कंट्रोल रहता है। आपकी डेली एक्टिविटी फिजिकल एक्टिवनेस और एक्सरसाइज इंसुलिन रेजिस्टेंस को रोकती हैं जिससे इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।
महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए। हालांकि कई बार फस्ट्रेशन होने लगती है, लेकिन आपकी हेल्थ और पॉजिटिविटी से आप इस समस्या को कम कर सकती हैं।इसलिए पीसीओडी क्या है ये जानने के साथ साथ इसके कारण व लक्षण (signs and symptoms of PCOD in hindi) जानना भी जरूरी है |
पीसीओडी (PCOD) महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है जिसका सही समय पर उपचार करना महत्वपूर्ण है। यदि आपको पीसीओडी से संबंधित समस्याएं हैं, तो आपको एक प्रशिक्षित चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए ताकि आपको सही उपचार मिल सके। डॉक्टर की सलाह के अनुसार आहार, व्यायाम और दवाइयों का सही संयोजन करके आप अपने स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।
फेलिक्स हॉस्पिटल
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पीसीओडी क्या है?
-पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) या पोलिसिस्टिक ओवेरी डिसीज (PCOD) एक गर्भाशय की गंदगी संबंधी समस्या है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में छोटी-छोटी गांठियाँ बनती हैं।
पीसीओडी के क्या कारण होते हैं?(signs and symptoms of PCOD in hindi)
-हर्मोनल असंतुलन, अत्यधिक वजन, अनियमित खानपान, अतिरिक्त धूम्रपान, और जीवनशैली के अन्य कारक जैसे बुरी आदतें PCOD के कारण हो सकते हैं।
पीसीओडी के क्या लक्षण होते हैं?
-अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, चेहरे पर अतिरिक्त बाल, चेहरे और बॉडी में मुँहासे, त्वचा की तिल-मस्से, और मासिक धर्म के दर्द कुछ पीसीओडी के लक्षण हो सकते हैं।
पीसीओडी के निदान के लिए कौन-कौन से परीक्षण होते हैं?
-स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा किये गए जांचों में अल्ट्रासाउंड, रक्त परीक्षण, हॉर्मोन परीक्षण, और गर्भाशय की सोनोग्राफी शामिल हो सकती हैं।
पीसीओडी का इलाज क्या होता है? (pcod problem treatment in hindi)
-पीसीओडी का इलाज वजन नियंत्रण, अनियमित पीरियड्स का संवारना, दवाओं का उपयोग, और योग और प्राणायाम के साथ बदलते जीवनशैली से संभव है।
पीसीओडी के इलाज में कौन-कौन सी दवाएं उपयोगी होती हैं?
-डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयाँ जैसे कि बर्थ कंट्रोल पिल्स, अंतः-गर्भाशय डिवाइस, और हार्मोनल थेरेपी PCOD के इलाज में उपयोगी हो सकती हैं।
पीसीओडी के इलाज में आहार का क्या महत्व होता है?
-सही आहार का सेवन करना, विशेष रूप से फल, सब्जियों, अनाज, और प्रोटीन से भरपूर आहार, पीसीओडी के इलाज में मददगार हो सकता है।
पीसीओडी से बचने के उपाय क्या हैं?
-वजन नियंत्रण, स्वस्थ आहार, और नियमित व्यायाम पीसीओडी से बचने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
पीसीओडी के इलाज के बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
-डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना, नियमित जांच और ध्यान रखना, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना PCOD के इलाज के बाद महत्वपूर्ण है।
क्या पीसीओडी से गर्भावस्था पर प्रभाव होता है?
-हां, पीसीओडी के रोगी गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का सामना कर सकती है, लेकिन सही चिकित्सा देखभाल और नियमित जांच से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।