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वजाइनल इंफेक्शन, जिसे योनि संक्रमण भी कहा जाता है, महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली एक आम स्वास्थ्य समस्या है। यह इंफेक्शन या संक्रमण योनि के भीतर बैक्टीरिया, फंगस या वायरस के कारण हो सकता है और इसकी वजह से असहजता और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके लिए आपको समय रहते नोएडा के सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ अस्पताल (Best Gynecology Hospital in Noida) से सलाह ले लेनी चाहिए जिससे आपको आने वाले समय में किसी भी प्रकार का कोई इन्फेक्शन न हो पाए।
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विषय सूची(Table of Contents)
योनि संक्रमण, जिसे अंग्रेजी में "वजाइनल इंफेक्शन" कहा जाता है। महिलाओं में योनि क्षेत्र में होने वाली एक स्वास्थ्य संबंधी सामान्य समस्या है। यह संक्रमण विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, फंगस (फंगस), वायरस या परजीवियों के कारण हो सकता है। यह संक्रमण तब होता है जब सामान्य रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरियाओं की संख्या बढ़ जाती है। इससे बदबूदार, सफेद या धूसर रंग का स्राव हो सकता है। सामान्यतः यह संक्रमण कैंडिडा नामक फंगस के कारण भी होता है। खुजली, जलन और सफेद रंग का गाढ़ा और बदबूदार स्राव निकलता है। यह एक परजीवी के कारण भी होता है और आमतौर पर यौन संचारित रोग के रूप में होता है। कुछ वायरल संक्रमण, जैसे कि हरपीस सिम्प्लेक्स वायरस भी योनि में संक्रमण का कारण बन सकते हैं। कुछ गंभीर या अनुपचारित योनि संक्रमण, जैसे कि क्लैमाइडिया और गोनोरिया यदि फैलोपियन ट्यूब्स में फैल जाते हैं, तो बांझपन का कारण बन सकते हैं। इसलिए, किसी भी संक्रमण का समय पर और सही उपचार जरूरी है।
खुजली और जलन:
योनि में लगातार खुजली और जलन महसूस होना।
असामान्य स्राव :
स्राव का रंग सफेद, पीला, हरा या धूसर हो सकता है। स्राव गाढ़ा, पतला, या गाढ़ा दूध जैसा हो सकता है। कभी-कभी स्राव में बदबू भी आ सकती है, जो मछली जैसी हो सकती है (विशेषकर बैक्टीरियल वेजिनोसिस में)।
योनि में सूजन और लालिमा:
योनि और उसके आस-पास की त्वचा लाल और सूजी हुई हो सकती है।
पेशाब के दौरान जलन:
पेशाब के समय जलन या दर्द होना।
यौन संबंध के दौरान दर्द:
यौन संबंध बनाते समय दर्द महसूस होना जिसे डिस्पेर्यूनिया कहा जाता है।
बदबू आना:
योनि से बदबूदार स्राव निकलना, जो संक्रमण का संकेत हो सकता है।
दर्द:
कभी-कभी योनि और उसके आस-पास के क्षेत्र में दर्द या असहजता महसूस हो सकती है।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस :
यह संक्रमण तब होता है जब योनि में सामान्य रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरिया की में असंतुलन होता है। विशेष रूप से, लैक्टोबेसिलस बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है और हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। इस संक्रमण के कारण मछली जैसी बदबू, धूसर या सफेद स्राव, योनि में हल्की जलन या खुजली जैसे लक्षण दिखते हैं।
खमीर संक्रमण :
यह संक्रमण कैंडिडा नामक फंगस के कारण होता है, जो योनि में सामान्य रूप से भी पाया जा सकता है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका अत्यधिक विकास हो जाता है। गाढ़ा, सफेद, और पनीर जैसा स्राव, तीव्र खुजली, जलन, योनि में सूजन और लालिमा जैसे लक्षण हैं।
ट्राइकोमोनियासिस :
यह संक्रमण ट्राइकोमोनास वैजिनालिस नामक परजीवी के कारण होता है और यह यौन संचारित रोग के रूप में फैलता है। पीला-हरा, बदबूदार स्राव, योनि में खुजली, जलन, पेशाब के दौरान दर्द और यौन संबंध के दौरान दर्द लक्षण दिखते हैं।
वायरल संक्रमण :
विभिन्न वायरस जैसे कि हरपीस सिम्प्लेक्स वायरस और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) योनि में संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इस कारण छाले, दर्द, खुजली, और योनि क्षेत्र में लालिमा। कुछ मामलों में, योनि से स्राव या ब्लीडिंग भी हो सकती है।
क्लैमाइडिया और गोनोरिया :
ये दोनों यौन संचारित रोग हैं जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमेटिस और नीसेरिया गोनोरिया बैक्टीरिया के कारण होते हैं। इनका संक्रमण सामान्यतः बिना लक्षण के भी हो सकता है, लेकिन कभी-कभी योनि से असामान्य स्राव, पेशाब के दौरान दर्द और यौन संबंध के दौरान दर्द हो सकता है।
एट्रोफिक वेजिनाइटिस :
यह संक्रमण मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी के कारण होता है। योनि में सूखापन, जलन, खुजली और यौन संबंध के दौरान दर्द, इसके लक्षण हैं।
बैक्टीरियल असंतुलन :
योनि में सामान्य रूप से कई प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं, जिनमें से लैक्टोबेसिलस प्रमुख हैं। जब इन बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है, तो हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, जिससे बैक्टीरियल वेजिनोसिस हो सकता है।
फंगल संक्रमण :
कैंडिडा नामक फंगस योनि में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है। लेकिन जब इसका अत्यधिक विकास होता है, तो यह फंगल संक्रमण का कारण बन सकता है। इसका कारण एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग हो सकता है, जो योनि के सामान्य बैक्टीरियाओं को नष्ट कर सकता है। यह गर्भावस्था, डायबिटीज, या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, उच्च शर्करा युक्त आहार के कारण होता है।
यौन संचारित संक्रमण (एसटीआईएस) :
कुछ योनि संक्रमण (वजाइनल इंफेक्शन) जैसे कि ट्राइकोमोनियासिस, क्लैमाइडिया और गोनोरिया, यौन संपर्क के माध्यम से फैलते हैं। असुरक्षित यौन संबंध, एक से अधिक यौन साथी होना, और बिना कंडोम के यौन संबंध बनाना इन संक्रमणों का खतरा बढ़ा सकता है।
हार्मोनल परिवर्तन :
एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में बदलाव, विशेष रूप से मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) के बाद, योनि के प्राकृतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिससे एट्रोफिक वेजिनाइटिस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
स्वच्छता और व्यक्तिगत आदतें :
अत्यधिक योनि की सफाई जैसे कि डाउचिंग, सुगंधित साबुन या अन्य रसायनयुक्त उत्पादों का उपयोग योनि के प्राकृतिक पीएच संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। गीले या तंग कपड़े पहनना, जो योनि क्षेत्र को अधिक समय तक नमी में रखता है, संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली :
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, जैसे कि डायबिटीज या एचआईवी के रोगी, अधिक जोखिम में होते हैं, क्योंकि उनका शरीर संक्रमण से लड़ने में उतना सक्ष्म नहीं होता।
एलर्जी या संवेदनशीलता :
कुछ महिलाओं को कंडोम, लुब्रिकेंट या अन्य यौन सामग्री में पाए जाने वाले रसायनों से एलर्जी या संवेदनशीलता हो सकती है, जो योनि में जलन और संक्रमण का कारण बन सकती है।
पोषण की कमी :
विटामिन और खनिजों की कमी, विशेष रूप से विटामिन डी और विटामिन ए की कमी, योनि के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
स्वच्छता का ध्यान रखें :
रोजाना गुनगुने पानी से योनि क्षेत्र की सफाई करें। इसके लिए माइल्ड साबुन या बिना सुगंध वाले उत्पादों का उपयोग करें। योनि को साफ करते समय आगे से पीछे की दिशा में पोंछें ताकि बैक्टीरिया को योनि में प्रवेश करने से रोका जा सके।
डाउचिंग से बचें :
डाउचिंग (योनि की अंदरूनी सफाई के लिए रसायनयुक्त उत्पादों का उपयोग) से योनि का प्राकृतिक पीएच संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
सुगंधित उत्पादों से बचें :
सुगंधित साबुन, शावर जेल, योनि स्प्रे और सुगंधित सैनिटरी उत्पादों का उपयोग न करें, क्योंकि ये योनि की संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
साफ और सूखे कपड़े पहनें :
कॉटन के बने अंडरवियर पहनें जो सांस लेने योग्य होते हैं और नमी को सोखते हैं। तंग और नायलॉन के बने कपड़ों से बचें, क्योंकि ये नमी को फंसा सकते हैं और फंगस के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर सकते हैं।
सुरक्षित यौन संबंध :
यौन संबंध बनाते समय कंडोम का उपयोग करें। यह यौन संचारित संक्रमण (STIs) के जोखिम को कम करता है। एक से अधिक यौन साथी से बचें और अपने साथी के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
स्वस्थ आहार का सेवन :
प्रोबायोटिक्स, जैसे कि दही का सेवन करें, जो लैक्टोबेसिलस बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ावा देता है और योनि के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। शर्करा के अत्यधिक सेवन से बचें, क्योंकि यह खमीर संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है।
गीले कपड़े तुरंत बदलें :
स्विमिंग या व्यायाम के बाद गीले कपड़ों को तुरंत बदलें। गीले और पसीने से भरे कपड़े योनि संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
एंटीबायोटिक्स का सावधानी से उपयोग :
डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स का सेवन न करें। एंटीबायोटिक्स योनि के प्राकृतिक बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
पेशाब के बाद सफाई :
पेशाब के बाद हमेशा योनि क्षेत्र को अच्छे से पोंछें और इसे सूखा रखें। नमी बैक्टीरिया और फंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है।
तनाव कम करें :
तनाव आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। नियमित रूप से व्यायाम करें, ध्यान लगाएं, और पर्याप्त नींद लें।
संवेदनशीलता के लिए जागरूक रहें :
यदि आपको किसी उत्पाद, कपड़े या खाद्य पदार्थ से एलर्जी या संवेदनशीलता है, तो उनसे बचें। योनि में किसी भी प्रकार की जलन या खुजली होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस :
डॉक्टर की सलाह द्वारा निर्धारित मेट्रोनिडाजोल या क्लिंडामाइसिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन या उपयोग योनि में बैक्टीरियल संक्रमण को खत्म करने में मदद करता है। ये दवाएं मौखिक रूप में या क्रीम, जेल के रूप में योनि में लगाई जाती हैं। कभी-कभी डॉक्टर प्रोबायोटिक्स की सलाह देते हैं, जो योनि के स्वस्थ बैक्टीरिया को बहाल करने में मदद कर सकते हैं।
फंगल संक्रमण :
फंगल संक्रमण का इलाज आमतौर पर एंटिफंगल दवाओं से किया जाता है। ये दवाएं क्रीम, जेल, टैबलेट, या सपोसिटरी योनि में डाली जाने वाली गोली के रूप में उपलब्ध होती हैं। सामान्यत: क्लोट्रिमाज़ोल, माइकोनाज़ोल या फ्लुकोनाजोल का उपयोग किया जाता है। फ्लुकोनाजोल जैसी मौखिक एंटिफंगल दवा भी एक विकल्प है, खासकर अगर संक्रमण गंभीर या बार-बार हो रहा हो।
ट्राइकोमोनियासिस :
ट्राइकोमोनियासिस का इलाज मेट्रोनिडाजोल या टिनिडाजोल जैसी एंटीप्रोटोजोअल दवाओं से किया जाता है। ये दवाएं मौखिक रूप में ली जाती हैं। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आपके यौन साथी का भी इलाज आवश्यक है।
वायरल संक्रमण :
हरपीस सिम्प्लेक्स वायरस संक्रमण के लिए एंटीवायरल दवाएं जैसे कि एसिक्लोविर, वलासिक्लोविर, फैम्सिक्लोविर का उपयोग किया जाता है। ये दवाएं संक्रमण के लक्षणों को कम करने और संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करती हैं, लेकिन इन्हें पूरी तरह खत्म नहीं कर सकतीं। एचपीवी के लिए विशेष उपचार नहीं है, लेकिन संक्रमण के परिणामस्वरूप होने वाले वार्ट्स का इलाज किया जा सकता है। डॉक्टर योनि के वार्ट्स को हटाने के लिए क्रीम, लेजर थेरेपी या सर्जिकल प्रक्रियाओं का उपयोग कर सकते हैं।
क्लैमाइडिया और गोनोरिया :
क्लैमाइडिया और गोनोरिया का इलाज एज़िथ्रोमाइसिन या डॉक्सीसाइक्लिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। दोनों रोगों का इलाज यौन साथी के लिए भी आवश्यक होता है।
एट्रोफिक वेजिनाइटिस :
रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण होने वाली सूजन और संक्रमण का इलाज एस्ट्रोजन क्रीम, टैबलेट या रिंग्स के उपयोग से किया जा सकता है। ये योनि के सूखापन को कम करने और संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
घरेलू उपचार और स्व-देखभाल :
दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स योनि के स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा दे सकते हैं। कुछ महिलाएं खमीर संक्रमण के इलाज के लिए दही का उपयोग करती हैं, लेकिन इसे केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही अपनाना चाहिए। सूखे और साफ कपड़े पहनना और गीले कपड़ों को तुरंत बदलना संक्रमण के फैलाव को रोक सकता है।
ओवर-द-काउंटर दवाएं :
हल्के संक्रमण के लिए, ओवर-द-काउंटर उपलब्ध एंटिफंगल क्रीम्स और सपोसिटरी का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन यदि लक्षण गंभीर हैं या बार-बार हो रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
नियमित जांच :
यदि आपको बार-बार योनि संक्रमण हो रहा है, तो नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराना महत्वपूर्ण है। वे आपकी स्थिति के आधार पर उचित उपचार योजना तैयार कर सकते हैं।
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समय पर उपचार और उचित देखभाल से योनि संक्रमण को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। योनि संक्रमण का सफल इलाज संभव है, लेकिन इसके लिए सही निदान और उपचार आवश्यक है। डॉक्टर द्वारा किए गए जांच जैसे कि योनि की जांच और लैब टेस्ट, संक्रमण के प्रकार को निर्धारित करने में मदद करते हैं। इसके आधार पर, डॉक्टर एंटीबायोटिक, एंटीफंगल या एंटी पैरासिटिक दवा देते हैं। इसलिए लक्षण दिखने पर सतर्क हो जाए।
प्रश्न 1: क्या योनि संक्रमण यौन संचारित होता है?
उत्तर: कुछ योनि संक्रमण, जैसे कि ट्राइकोमोनियासिस, यौन संचारित होते हैं। हालांकि, खमीर संक्रमण और बैक्टीरियल वेजिनोसिस हमेशा यौन संचारित नहीं होते।
प्रश्न 2: क्या योनि संक्रमण से बचने के लिए विशेष साबुन का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, विशेष रूप से सुगंधित साबुन, शावर जेल या योनि स्प्रे का उपयोग नहीं करना चाहिए। ये उत्पाद योनि के प्राकृतिक पीएच संतुलन को बिगाड़ सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। योनि की सफाई के लिए केवल गुनगुने पानी और माइल्ड साबुन का उपयोग करें।
प्रश्न 3: क्या योनि संक्रमण से गर्भावस्था पर कोई प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: कुछ योनि संक्रमण, जैसे कि बैक्टीरियल वेजिनोसिस और ट्राइकोमोनियासिस, गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का कारण बन सकते हैं, जैसे समय से पहले प्रसव या कम वजन का बच्चा। गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार के संक्रमण का उपचार करना आवश्यक है।
प्रश्न 4: क्या खमीर संक्रमण एक गंभीर समस्या है?
उत्तर: खमीर संक्रमण आमतौर पर गंभीर नहीं होते हैं, लेकिन यदि उन्हें ठीक से उपचारित नहीं किया गया, तो वे असुविधा और बार-बार होने वाले संक्रमण का कारण बन सकते हैं। बार-बार होने वाले खमीर संक्रमणों के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।
प्रश्न 5: क्या पुरुष भी योनि संक्रमण फैला सकते हैं?
उत्तर: हां, कुछ मामलों में, यौन साथी एक दूसरे को संक्रमण फैला सकते हैं, विशेष रूप से ट्राइकोमोनियासिस के मामले में। इसलिए, दोनों पार्टनर्स का इलाज करना महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 6: क्या दही खाने से योनि संक्रमण में मदद मिलती है?
उत्तर: दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स योनि में स्वस्थ बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ा सकते हैं, जो खमीर संक्रमण से बचाव में सहायक हो सकता है। हालांकि इसे एकमात्र उपचार के रूप में न देखें और संक्रमण के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
प्रश्न 7: क्या योनि संक्रमण से छुटकारा पाने के बाद पुनः संक्रमण हो सकता है?
उत्तर: हां, यदि सावधानी नहीं बरती जाती या संक्रमण के कारणों को ठीक से समझा नहीं जाता, तो योनि संक्रमण दोबारा हो सकता है। उचित स्वच्छता और डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 8 : योनि संक्रमण से बचने के लिए सबसे अच्छा इलाज क्या है?
उत्तर: योनि संक्रमण से बचने के लिए सबसे अच्छा इलाज संक्रमण के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक, एंटिफंगल या एंटीप्रोटोजोअल दवाएं प्रभावी हो सकती हैं। कभी-कभी घरेलू उपचार भी सहायक हो सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।