गाउट एक प्रकार का गठिया (arthritis) है, जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर के बढ़ने से होता है। यह स्थिति अचानक तीव्र दर्द, सूजन, और अन्य असुविधाओं का कारण बनती है, खासकर जोड़ों में। यदि आपको या किसी और को गाउट के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत नोएडा के अच्छे रुमेटोलॉजी हॉस्पिटल (Best Rheumatology Hospital in Noida) से चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से..

 


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गाउट रोग क्या है ? (What is Gout?)

गाउट (Gout) एक प्रकार का आर्थराइटिस (गठिया) है, जो शरीर में यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर के कारण होता है। जब शरीर में यूरिक एसिड अधिक हो जाता है, तो यह क्रिस्टल्स के रूप में जमा हो जाता है, खासकर जोड़ों में, जिससे दर्द, सूजन, और लालिमा होती है। इसे आमतौर पर पैर के अंगूठे के जोड़ों में देखा जाता है, लेकिन यह शरीर के अन्य जोड़ों जैसे घुटनों, एड़ी, कलाई और कोहनी में भी हो सकता है। यदि सही समय पर उपचार न किया जाए, तो गाउट गंभीर हो सकता है और स्थायी रूप से जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

गाउट रोग के लक्षण (Symptoms of Gout)

  1. अचानक और तीव्र दर्द:

    गाउट के दौरे अक्सर अचानक शुरू होते हैं। दर्द बहुत तीव्र होता है। यह आमतौर पर रात में होता है। सबसे अधिक प्रभावित जोड़ों में पैर के अंगूठे का जोड़ा होता है, लेकिन यह अन्य जोड़ों जैसे घुटनों, एड़ी, कलाई, उंगलियों और कोहनी में भी हो सकता है।

     

  2. जोड़ों में सूजन:

    प्रभावित जोड़ों में सूजन हो जाती है, जो स्पर्श करने पर गर्म महसूस होती है।

     

  3. लालिमा और संवेदनशीलता:

    प्रभावित क्षेत्र में त्वचा लाल हो जाती है और यह इतना संवेदनशील हो सकता है कि हल्का स्पर्श भी दर्द का कारण बन सकता है।

     

  4. गतिविधियों में कठिनाई:

    जोड़ों में कठोरता महसूस हो सकती है, जिससे चलने-फिरने या सामान्य गतिविधियों में कठिनाई होती है।

     

  5. गठानों का बनना (टॉफी):

    लंबे समय तक अनियंत्रित गाउट होने पर यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा होकर गठानें बना सकते हैं, जिन्हें टॉफी  कहते हैं। यह त्वचा के नीचे जोड़ों के आसपास या कान के पास भी दिखाई दे सकती हैं।

     

  6. गाउट के दौरे का पुनरावृत्ति:

    गाउट के दौरे कभी-कभी कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं, और यह बार-बार हो सकते हैं अगर इलाज न किया जाए।

     

गाउट रोग के प्रकार (Types of Gout)

  1. एसिंप्टोमैटिक हाइपरयूरिसेमिया (Asymptomatic Hyperuricemia) :

    यह गाउट का प्रारंभिक चरण है जिसमें शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा हुआ होता है, लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते। इस चरण में व्यक्ति को जोड़ों में दर्द, सूजन या कोई अन्य परेशानी नहीं होती, लेकिन अगर यूरिक एसिड का स्तर अधिक समय तक बढ़ा रहे, तो गाउट का दौरा शुरू हो सकता है।

     

  2. तीव्र गाउट आर्ट्राइटिस (Acute Gouty Arthritis) :

    यह गाउट का चरण होता है जब यूरिक एसिड क्रिस्टल जोड़ों में जमा होकर अचानक तेज दर्द और सूजन का कारण बनते हैं। यह दर्द बहुत तीव्र हो सकता है और अक्सर रात में होता है। आमतौर पर एक ही जोड़ (जैसे पैर का अंगूठा) प्रभावित होता है, लेकिन अन्य जोड़ों में भी गाउट का असर हो सकता है। यह चरण कुछ दिनों से लेकर एक हफ्ते तक रह सकता है।

     

  3. इंटरक्रिटिकल गाउट (Intercritical Gout) :

    यह वह चरण है जब गाउट के दौरे के बीच की अवधि होती है। इस दौरान व्यक्ति को कोई लक्षण महसूस नहीं होते, और जोड़ों में दर्द या सूजन नहीं होती। हालांकि इस अवधि में भी शरीर में यूरिक एसिड का स्तर उच्च बना रहता है, और बिना इलाज के अगले दौरे की संभावना बनी रहती है।

     

  4. क्रोनिक टोफेसियस गाउट (Chronic Tophaceous Gout) :

    यह गाउट का गंभीर चरण है, जो कई वर्षों तक बिना इलाज के रहने पर विकसित होता है। इसमें जोड़ों में लगातार सूजन, दर्द और कठोरता हो सकती है। टोफी नामक यूरिक एसिड के ठोस जमा गठानें त्वचा के नीचे, कानों, हाथों और पैरों में बन जाती हैं। यह अवस्था जोड़ों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द का कारण बन सकती है।

     

  5. पोडाग्रा (Podagra):

    यह एक विशेष प्रकार का गाउट है जिसमें विशेष रूप से पैर के अंगूठे के जोड़ में सूजन और दर्द होता है।
     

     

गाउट रोग के कारण (Causes of Gout)

  1. यूरिक एसिड का अधिक उत्पादन :

    जब शरीर में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है, तो इसका परिणाम यूरिक एसिड के अधिक उत्पादन के रूप में होता है। यह स्थिति गाउट का मुख्य कारण होती है। प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे रेड मीट, समुद्री भोजन, शराब और कुछ प्रकार की बीयर यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा सकते हैं।

     

  2. यूरिक एसिड का सही से उत्सर्जन न होना :

    गुर्दों के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है, लेकिन कभी-कभी गुर्दे इसे प्रभावी तरीके से बाहर नहीं निकाल पाते, जिससे इसका स्तर बढ़ जाता है। किडनी से संबंधित समस्याओं या कमजोर किडनी कार्यक्षमता की स्थिति में यूरिक एसिड का निष्कासन धीमा हो जाता है |

     

  3. खान-पान और जीवनशैली :

    रेड मीट, सी-फूड, शेलफिश, और प्यूरीन-युक्त आहार जैसे बीयर और मीठे पेय पदार्थ (फ्रुक्टोज वाले) यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाते हैं। खासकर बीयर और शराब के अत्यधिक सेवन से शरीर में यूरिक एसिड का निर्माण बढ़ सकता है। वजन अधिक होने से शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है और गाउट की संभावना बढ़ जाती है।

     

  4. अनुवांशिकता :

    अगर परिवार में गाउट का इतिहास है, तो इसकी संभावना अधिक होती है। गाउट से पीड़ित व्यक्तियों के परिवार में इसे विकसित करने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

     

  5. मेडिकल स्थितियां :

    मधुमेह के रोगियों में गाउट का खतरा अधिक होता है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों में गाउट का जोखिम बढ़ जाता है। कमजोर किडनी कार्यक्षमता से यूरिक एसिड का उचित उत्सर्जन नहीं हो पाता, जिससे इसका स्तर बढ़ जाता है। हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों में भी गाउट का खतरा बढ़ सकता है।

     

  6. दवाओं का सेवन :

    यूरिन वर्धक दवाओं से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है, क्योंकि यह यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं। कम मात्रा में एस्पिरिन लेने से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ सकती है। साइक्लोस्पोरिन दवाएं भी यूरिक एसिड के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं।

     

  7. अन्य कारण :

    शरीर में पानी की कमी से यूरिक एसिड की सांद्रता बढ़ जाती है, जिससे यह जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा हो सकता है। सर्जरी या गंभीर चोट भी गाउट के दौरे को ट्रिगर कर सकती है। अत्यधिक मानसिक और शारीरिक तनाव भी गाउट को प्रेरित कर सकता है जिसके चलते आपको गाउट के हॉस्पिटल (Gout Hospital) में खुद को दिखाना आवश्यक हो जाता है।

 

 

गाउट रोग का इलाज (Treatment of Gout)

  1. दवाएं :

    इबुप्रोफेन और नाप्रोक्सन जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। कोलचिसीन यह एक विशेष दवा है जो गाउट के दौरे के दौरान दर्द को कम करने में सहायक होती है। इसे शुरुआत में लेने पर बेहतर प्रभाव मिलता है। यदि अन्य दवाएं प्रभावी नहीं होती हैं, तो प्रीडनिसोन जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। अलोप्यूरिनॉल शरीर में यूरिक एसिड के उत्पादन को कम करती है और इसे गाउट के दीर्घकालिक प्रबंधन के लिए उपयोग किया जाता है। फेबक्सोस्टैट भी यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है। प्रबेनिसिड यह गुर्दे को यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करती है।

     

  2. जीवनशैली में परिवर्तन :

    प्यूरीन-युक्त खाद्य पदार्थ जैसे रेड मीट और समुद्री भोजन से बचें और फलों, सब्जियों और दूध उत्पादों का सेवन बढ़ाएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि यूरिक एसिड का स्तर कम रहे। स्वस्थ वजन बनाए रखें, क्योंकि अधिक वजन यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है।

     

  3. प्राकृतिक उपचार :

    चेरी गाउट के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। दालचीनी और अदरक सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होती है।

     

  4. नियमित जांच और निगरानी :

    डॉक्टर से नियमित रूप से यूरिक एसिड के स्तर की जांच कराएं और आवश्यकतानुसार दवाओं में बदलाव करें।

     

  5. शारीरिक गतिविधियां :

    नियमित व्यायाम करें जैसे कि चलना, दौड़ना, या तैराकी, जिससे वजन को नियंत्रित करने और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है।

     

  6. स्टेरॉयड उपचार :

    यदि अन्य दवाएं प्रभावी नहीं होती हैं, तो डॉक्टर स्टेरॉयड दवाएं भी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।

 

 

गाउट रोग से बचाव (Prevention from Gout)

  1. संतुलित आहार अपनाना :

    रेड मीट, शेलफिश, और कुछ प्रकार के समुद्री भोजन का सेवन कम करें। हरी पत्तेदार सब्जियां, फल विशेषकर चेरी, जामुन और नींबू को आहार में शामिल करें। लो-फैट दूध और दही का सेवन फायदेमंद होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे सामन और अलसी के बीज शामिल करें।

     

  2. पर्याप्त पानी पिएं :

    दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। यह यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करता है और गुर्दों की सेहत बनाए रखता है।

     

  3. शराब और मीठे पेय से परहेज :

    खासकर बीयर और अन्य शराबों का सेवन कम करें, क्योंकि ये यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाते हैं। मीठे सोडा और फलों के रस से भी बचें, जो यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकते हैं।

     

  4. वजन प्रबंधन :

    अतिरिक्त वजन कम करने से यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, तेजी से वजन घटाने से भी यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है, इसलिए इसे धीरे-धीरे करें।

     

  5. नियमित व्यायाम :

    नियमित रूप से व्यायाम करें जैसे चलना, दौड़ना, तैराकी या योग जो शरीर को स्वस्थ रखने और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।

     

  6. दवाओं का सही उपयोग :

    यदि आप पहले से गाउट के दौरे से ग्रसित हैं, तो डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का नियमित सेवन करें और सलाह के अनुसार उपचार करें।

     

  7. स्वास्थ्य जांच :

    स्वास्थ्य की नियमित जांच कराते रहें, विशेष रूप से गुर्दे और रक्तचाप की।

     

  8. तनाव प्रबंधन :

    ध्यान, योग, और गहरी सांस लेने की तकनीकें तनाव को प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं।

     

फेलिक्स हॉस्पिटल्स में गाउट रोग के विशेषज्ञ के बारे में जानें (Know the Gout expert at felix hospitals)

ऑर्थोपेडिक सर्जन गाउट से प्रभावित जोड़ों की स्थिति का प्रबंधन करने में मदद करते हैं, विशेष रूप से यदि जोड़ों में दर्द और सूजन गंभीर हो। फेलिक्स हॉस्पिटल्स की रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. किरण सेठ है जो आर्थराइटिस और संबंधित बीमारियों, जैसे गाउट का विशेष अध्ययन और उपचार करती हैं। ये डॉक्टर गाउट के उपचार के लिए सर्वोत्तम रणनीतियों की योजना बनाने में मदद करते हैं।


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निष्कर्ष (Conclusion)

गाउट एक प्रकार का गठिया है, जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर के बढ़ने से होता है। यह स्थिति अचानक तीव्र दर्द, सूजन और लालिमा का कारण बनती है, खासकर जोड़ों में, जैसे कि पैर की अंगुली, घुटने, और कलाई में। गाउट एक प्रबंधनीय स्थिति है, और यदि सही तरीके से इलाज किया जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। समय पर पहचान और उपचार से भविष्य में गाउट के दौरे की संभावना को कम किया जा सकता है।
 

गाउट रोग को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और जवाब ( Frequently asked questions and answers about Gout)

प्रश्न 1: गाउट के कारण क्या हैं ?

उत्तर: गाउट का मुख्य कारण शरीर में यूरिक एसिड का अत्यधिक निर्माण या इसके निष्कासन में समस्या है। इसके कारणों में आनुवंशिकता, उच्च प्यूरीन आहार, शराब का सेवन, और कुछ दवाओं का उपयोग शामिल हैं।


प्रश्न 2: गाउट का इलाज कैसे किया जाता है ?

उत्तर: गाउट का इलाज दर्द निवारक दवाओं, सूजन कम करने वाली दवाओं, और यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने वाली दवाओं से किया जाता है। इसके अलावा, जीवनशैली में परिवर्तन और उचित आहार का पालन भी आवश्यक है।


प्रश्न 3: क्या गाउट के दौरे को रोका जा सकता है ?

उत्तर: हां, गाउट के दौरे को संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी पीने, और शराब व मीठे पेय पदार्थों से बचने के माध्यम से रोका जा सकता है।


प्रश्न 4: गाउट के दौरे के दौरान क्या करें ?

उत्तर: गाउट के दौरे के दौरान प्रभावित जोड़ को आराम दें, बर्फ लगाएं, और डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाएं लें। डॉक्टर से परामर्श करना भी महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 5: गाउट और अन्य गठिया के प्रकारों में क्या अंतर है ?

उत्तर: गाउट एक विशेष प्रकार का गठिया है जो यूरिक एसिड के कारण होता है, जबकि अन्य प्रकारों जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस या रूमेटोइड आर्थराइटिस विभिन्न कारणों से होते हैं, जैसे जोड़ों की घिसावट या प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याएं।


प्रश्न 6: गाउट से पीड़ित व्यक्ति को क्या आहार लेना चाहिए ?

उत्तर: गाउट से पीड़ित व्यक्तियों को प्यूरीन-युक्त खाद्य पदार्थों (जैसे रेड मीट, शेलफिश) से बचना चाहिए और फलों, सब्जियों, लो-फैट डेयरी उत्पादों, और पानी का सेवन बढ़ाना चाहिए।


प्रश्न 7: क्या गाउट केवल पुरुषों को होता है ?

उत्तर: गाउट अधिकतर पुरुषों में पाया जाता है, लेकिन यह महिलाओं में भी हो सकता है, खासकर मेनोपॉज के बाद।


प्रश्न 8: गाउट का क्या कोई दीर्घकालिक प्रभाव होता है ?

उत्तर: यदि गाउट का उपचार नहीं किया जाता है, तो यह दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि जोड़ों में स्थायी क्षति, किडनी की समस्या और उच्च रक्तचाप।

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