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ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) जोड़ों से संबंधित दीर्घकालिक (क्रोनिक) बीमारी है, जो मुख्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ होती है। इसे वियर एंड टियर आर्थराइटिस भी कहा जाता है, क्योंकि यह जोड़ों के कार्टिलेज (एक चिकनी परत जो हड्डियों के सिरों को कवर करती है) के धीरे-धीरे खराब होने के कारण होता है। जब यह कार्टिलेज खराब हो जाता है, तो हड्डियां आपस में रगड़ने लगती हैं, जिससे जोड़ों में दर्द सूजन, और जकड़न होती है। यदि आपको या किसी और को ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत नॉएडा के सर्वश्रेष्ठ रुमेटोलॉजी हॉस्पिटल्स (best rheumatology hospital in noida) में सहायता प्राप्त करें। जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से..
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विषय सूची(Table of Contents)
ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया है, जिसमें जोड़ों के बीच मौजूद कार्टिलेज (गद्दीदार ऊतक) धीरे-धीरे टूटने लगता है। यह शरीर के जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न का कारण बनता है। आमतौर पर यह स्थिति घुटनों, कूल्हों, हाथों और रीढ़ की हड्डी के जोड़ों को प्रभावित करती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस बढ़ती उम्र के साथ अधिक सामान्य होती जाती है, लेकिन यह जोड़ों पर अधिक दबाव, चोट या अनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है।.
बुजुर्गों में जोड़ों का दर्द एक सामान्य समस्या है, और इसके कई कारण हो सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ, शरीर में प्राकृतिक बदलाव होते हैं जो जोड़ों पर प्रभाव डालते हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम प्रकार का गठिया है जो बुजुर्गों में जोड़ों के दर्द का प्रमुख कारण है। उम्र के साथ कार्टिलेज (हड्डियों के सिरों को कवर करने वाली चिकनी परत) का कमजोर होना और धीरे-धीरे खराब होना इसकी वजह से होता है। रुमेटोइड आर्थराइटिस यह एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला करती है, जिससे सूजन, दर्द और जोड़ नुकसान होता है। यह आमतौर पर बुजुर्गों में विकसित होता है और सामान्यत: हाथों और पैरों के छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है। जबकि गठिया शरीर में यूरिक एसिड के उच्च स्तर के कारण होता है। यह आमतौर पर एक जोड़ में अचानक दर्द और सूजन का कारण बनता है। उम्र के साथ, जोड़ों में सूजन हो सकती है, जिससे दर्द और कठोरता होती है।
जोड़ों में दर्द:
यह ऑस्टियोआर्थराइटिस का सबसे सामान्य लक्षण है। जोड़ों में दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है और गतिविधियों के साथ तेज हो जाता है।
जोड़ों की जकड़न:
खासकर सुबह या लंबे समय तक आराम करने के बाद जोड़ों में जकड़न महसूस होती है। यह कुछ मिनटों से लेकर एक घंटे तक रह सकती है।
जोड़ों में सूजन:
जोड़ों के आसपास सूजन आ सकती है, खासकर जब ऑस्टियोआर्थराइटिस गंभीर होता है।
जोड़ों में लचीलापन कम होना:
प्रभावित जोड़ों को हिलाने-डुलाने में कठिनाई होती है, जिससे सामान्य गतिविधियाँ करना मुश्किल हो सकता है।
जोड़ों से आवाज आना:
प्रभावित जोड़ों से खड़खड़ाहट या चरमराहट की आवाज आ सकती है, जिसे "क्रेपिटस" कहा जाता है। यह आवाज कार्टिलेज की टूट-फूट के कारण होती है।
जोड़ों का आकार बदलना:
समय के साथ, जोड़ों का आकार बदल सकता है, जिससे वे असामान्य दिख सकते हैं।
थकान:
दर्द और असुविधा के कारण व्यक्ति अधिक थकान महसूस कर सकता है।
मांसपेशियों में कमजोरी:
जोड़ों के आसपास की मांसपेशियाँ कमजोर हो सकती हैं, खासकर घुटनों के आसपास।
यह ऑस्टियोआर्थराइटिस का सबसे सामान्य प्रकार है और उम्र बढ़ने के साथ स्वाभाविक रूप से विकसित होता है। इसमें जोड़ों में कार्टिलेज का टूटना शुरू हो जाता है, जो उम्र के साथ घिसता रहता है। यह अधिकतर घुटनों, कूल्हों, हाथों और रीढ़ की हड्डी के जोड़ों को प्रभावित करता है। इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता, लेकिन उम्र, वजन और रोज़मर्रा के काम इसका खतरा बढ़ा सकते हैं।
यह किसी चोट, बीमारी या अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण विकसित होता है। द्वितीयक ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण हो सकता है:
संयुक्त चोट (Joint Injury):
पुरानी चोटों या दुर्घटनाओं के कारण जोड़ों में नुकसान होने पर यह विकसित हो सकता है।
मोटापा (Obesity):
अत्यधिक वजन के कारण जोड़ों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे कार्टिलेज जल्दी घिसता है।
जन्मजात विकृतियां (Congenital Abnormalities):
जन्म से ही अगर जोड़ों में असामान्यताएं हैं, तो यह ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन सकता है।
अन्य बीमारियां:
जैसे रूमेटॉयड आर्थराइटिस, गाउट, या मधुमेह जैसी स्थितियों से भी द्वितीयक ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है।
उम्र बढ़ना:
यह ऑस्टियोआर्थराइटिस का सबसे आम कारण है। उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों का कार्टिलेज कमजोर हो जाता है, जिससे यह टूटने लगता है और जोड़ों में दर्द और सूजन होती है।
जोड़ों की चोट:
किसी पुराने चोट, दुर्घटना, या फ्रैक्चर के कारण जोड़ों में पहले से हुए नुकसान से ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित हो सकता है। खेल के दौरान लगी चोटें भी इसके जोखिम को बढ़ाती हैं।
मोटापा (Obesity):
अधिक वजन होने से घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे कार्टिलेज जल्दी घिसता है और ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है।
अनुवांशिकता (Genetics):
यदि परिवार में किसी को ऑस्टियोआर्थराइटिस है, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है। कुछ लोग जन्म से ही ऐसे जीन लेकर पैदा होते हैं जो उन्हें इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं।
अत्यधिक जोड़ों का उपयोग (Overuse of Joints):
जिन लोगों का काम या गतिविधियां बार-बार जोड़ों पर दबाव डालती हैं, जैसे कि भारी वजन उठाने वाले या श्रमिक, उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा अधिक होता है।
लिंग (Gender):
महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है, खासकर 50 साल की उम्र के बाद।
जोड़ों की विकृतियां (Joint Deformities):
कुछ लोगों में जन्म से ही जोड़ों में विकृतियां होती हैं, जिससे उनके कार्टिलेज जल्दी घिस सकते हैं।
अन्य बीमारियां:
गठिया के अन्य रूप, जैसे रूमेटॉयड आर्थराइटिस, गाउट या मधुमेह जैसी स्थितियाँ भी ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन सकती हैं।
स्वस्थ वजन बनाए रखें:
शरीर का अतिरिक्त वजन घुटनों और कूल्हों जैसे वजन सहने वाले जोड़ों पर अधिक दबाव डालता है। वजन घटाने से ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा कम हो सकता है और जोड़ों पर दबाव कम होता है।
नियमित व्यायाम करें:
हल्के और नियमित व्यायाम, जैसे तैराकी, चलना, साइकिल चलाना, या योग, जोड़ों की मजबूती और लचीलापन बनाए रखने में मदद करते हैं। यह जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है, जिससे जोड़ों पर दबाव कम होता है।
अत्यधिक जोड़ों का उपयोग न करें:
ऐसे काम या गतिविधियों से बचें, जिनसे लगातार या अत्यधिक जोड़ों पर दबाव पड़े। भारी वजन उठाने या एक ही तरह की दोहराई जाने वाली गतिविधियों से जोड़ों को नुकसान हो सकता है।
सही शारीरिक मुद्रा (Posture) बनाए रखें:
खड़े होने, बैठने और चलने के दौरान सही शारीरिक मुद्रा बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इससे रीढ़ की हड्डी और जोड़ों पर अनावश्यक दबाव कम होता है।
जोड़ों की सुरक्षा करें:
यदि आपको किसी खेल या गतिविधि के दौरान चोट लगने का खतरा है, तो उचित सुरक्षा उपकरण पहनें। चोटें ऑस्टियोआर्थराइटिस के विकास को बढ़ावा दे सकती हैं।
स्वस्थ आहार लें:
विटामिन डी और कैल्शियम युक्त आहार हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, जबकि ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त भोजन (जैसे मछली और नट्स) सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार आवश्यक है।
जोड़ों का नियमित रूप से ख्याल रखें:
यदि किसी जोड़े में दर्द या सूजन हो, तो उसे नजरअंदाज न करें। समय पर उपचार कराने से ऑस्टियोआर्थराइटिस के जोखिम को कम किया जा सकता है।
चोटों से बचें:
जोड़ों की चोटें ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ा सकती हैं। इसलिए खेल या शारीरिक गतिविधियों के दौरान सुरक्षा उपाय अपनाएं और जोड़ों को सुरक्षित रखें।
तनाव और थकान से बचें:
अत्यधिक तनाव और थकान जोड़ों पर असर डाल सकते हैं, इसलिए तनाव को नियंत्रित करने के लिए आराम और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
मधुमेह और अन्य बीमारियों का नियंत्रण:
मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित रखना जरूरी है, क्योंकि ये बीमारियाँ भी ऑस्टियोआर्थराइटिस के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
जीवनशैली में बदलाव:
अतिरिक्त वजन कम करने से घुटनों और कूल्हों पर दबाव कम होता है, जिससे दर्द और सूजन कम हो सकती है। तैराकी, योग, पैदल चलना और साइकिल चलाना जैसे कम प्रभाव वाले व्यायाम जोड़ों को मजबूत और लचीला बनाए रखते हैं। मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने से जोड़ों पर कम दबाव पड़ता है। अत्यधिक शारीरिक श्रम या लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने से बचना चाहिए। जोड़ों को आराम देना और तनाव प्रबंधन करना भी महत्वपूर्ण है।
दवाइयां:
पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन जैसी दर्द निवारक दवाएं दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी (एनएसएआईडी) दवाएं सूजन और दर्द को कम करती हैं। इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सेन इस श्रेणी में आते हैं। गंभीर सूजन और दर्द के लिए, डॉक्टर प्रभावित जोड़ों में स्टेरॉयड इंजेक्शन लगा सकते हैं। यह अस्थायी रूप से दर्द और सूजन को कम कर सकता है। हाइलूरोनिक एसिड इंजेक्शन जोड़ों के भीतर घिसी हुई कार्टिलेज को लुब्रिकेट करते हैं और दर्द को कम करने में मदद करते हैं, खासकर घुटनों में।
फिजियोथेरेपी:
फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा दिए गए विशेष व्यायाम जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और जोड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर करते हैं। हॉट और कोल्ड थेरेपी से गर्मी और ठंड से जोड़ों में दर्द और सूजन कम की जा सकती है।
थेराप्यूटिक अल्ट्रासाउंड:
यह तकनीक गहरे ऊतकों में दर्द और सूजन को कम करने के लिए उपयोग की जाती है।
सहायक उपकरण (Assistive Devices):
ऑर्थोपेडिक उपकरण यानी की बैसाखी, वॉकर, घुटने के ब्रेस या ऑर्थोपेडिक जूते इस्तेमाल करके जोड़ों पर दबाव कम किया जा सकता है। पैर और हाथ के जोड़ों के लिए विशेष इन्सोल्स या स्प्लिंट्स भी मददगार होते हैं।
सर्जरी:
जब दवाएं और अन्य इलाज काम नहीं करते हैं, और स्थिति गंभीर हो जाती है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। आर्थ्रोस्कोपी में छोटे चीरे के माध्यम से क्षतिग्रस्त कार्टिलेज की मरम्मत की जाती है। यह प्रक्रिया कम गंभीर मामलों के लिए उपयुक्त होती है। जोड़ प्रत्यारोपण गंभीर स्थिति में, खासकर घुटनों और कूल्हों में, प्रभावित जोड़ को कृत्रिम जोड़ से बदलने के लिए सर्जरी की जाती है। ऑस्टियोटॉमी में हड्डियों की स्थिति को बदलकर जोड़ों पर दबाव कम किया जाता है।
आहार और पूरक आहार:
मछली या अलसी के बीज में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। हड्डियों को मजबूत रखने के लिए विटामिन डी और कैल्शियम युक्त भोजन या पूरक आहार फायदेमंद होते हैं।
वैकल्पिक चिकित्सा:
कुछ लोगों को दर्द से राहत के लिए एक्यूपंक्चर से फायदा मिलता है। मांसपेशियों की मसाज दर्द और जकड़न को कम करने में सहायक हो सकती है।
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ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर उम्र बढ़ने, जोड़ों के अत्यधिक उपयोग या चोट के कारण होती है। यह स्थिति धीरे-धीरे विकसित होती है और हड्डियों के सिरों पर कार्टिलेज के क्षरण से होती है, जिससे जोड़ों में दर्द, सूजन, कठोरता, और गतिशीलता में कमी आती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस को जीवनशैली में बदलाव, समय पर इलाज और सही देखभाल से प्रबंधित किया जा सकता है, ताकि व्यक्ति की जीवन की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके।
प्रश्न 1: ऑस्टियोआर्थराइटिस किस आयु वर्ग में अधिक होती है ?
उत्तर: ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिक होती है, लेकिन यह किसी भी आयु में हो सकती है, खासकर यदि जोड़ों पर अत्यधिक दबाव पड़ा हो या चोट लगी हो।
प्रश्न 2: क्या ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज संभव है ?
उत्तर: स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना, संतुलित आहार लेना, और जोड़ों की सही देखभाल करना ऑस्टियोआर्थराइटिस के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
प्रश्न 3: ऑस्टियोआर्थराइटिस किन जोड़ों को प्रभावित करती है ?
उत्तर: यह बीमारी मुख्य रूप से घुटनों, कूल्हों, हाथों, रीढ़ की हड्डी और कभी-कभी कंधों और पैरों के जोड़ों को प्रभावित करती है।
प्रश्न 4: क्या व्यायाम ऑस्टियोआर्थराइटिस में मददगार है ?
उत्तर: हां, नियमित व्यायाम जोड़ों को लचीला और मजबूत बनाए रखता है, जिससे दर्द और कठोरता कम हो सकती है। तैराकी, योग, और पैदल चलना जैसे हल्के व्यायाम फायदेमंद होते हैं।
प्रश्न 5: ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए कौन-कौन सी दवाएं ली जा सकती हैं ?
उत्तर: दर्द और सूजन को कम करने के लिए पैरासिटामोल, एनएसएआईडी (इबुप्रोफेन), स्टेरॉयड इंजेक्शन, और हाइलूरोनिक एसिड इंजेक्शन जैसी दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 6: क्या ऑस्टियोआर्थराइटिस सर्जरी से ठीक हो सकती है ?
उत्तर: सर्जरी गंभीर मामलों में की जाती है, खासकर जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं। इसमें जोड़ प्रत्यारोपण जैसी सर्जरी शामिल होती है, जो मरीज की जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है।
प्रश्न 7: ऑस्टियोआर्थराइटिस का निदान कैसे होता है ?
उत्तर: ऑस्टियोआर्थराइटिस का निदान शारीरिक जांच, एक्स-रे, एमआरआई और रक्त परीक्षण के जरिए किया जाता है। डॉक्टर मरीज के लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के आधार पर इसका पता लगाते हैं।
प्रश्न 8: क्या ऑस्टियोआर्थराइटिस वंशानुगत हो सकती है ?
उत्तर: हां, ऑस्टियोआर्थराइटिस में आनुवंशिक घटक होते हैं, जिसका मतलब है कि जिनके परिवार में यह बीमारी होती है, उनमें इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।