Subscribe to our
सर्दियों के मौसम में दिल के दौरे का खतरा अधिक बढ़ जाता है और इसके पीछे कई कारण होते हैं। ठंड का असर खासतौर पर दिल और रक्तवाहिकाओं पर पड़ता है। इन कारणों से सर्दियों में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, खासकर दिल की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए। हार्ट अटैक के सामान्य लक्षणों में सीने में दर्द या भारीपन, सांस लेने में कठिनाई, ठंडे पसीने आना, चक्कर आना और कंधे, गर्दन या बाजू में दर्द शामिल होते हैं। अगर ये लक्षण दिखें, तो तुरंत सबसे अच्छा हार्ट अटैक अस्पताल से चिकित्सकीय सहायता लें।
ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें +91 9667064100.
सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ता है ? (Why does the risk of heart attack increase in winter season)
सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक के लक्षण (Symptoms of heart attack in winter season)
सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक के कारण (Causes of heart attack in winter season)
सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक से बचाव (Heart attack prevention in winter season)
सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक का इलाज (Treatment of heart attack in winter season)
फेलिक्स हॉस्पिटल्स में हार्ट अटैक के विशेषज्ञ के बारे में जानें (Know the heart attack expert at felix hospitals)
निष्कर्ष (Conclusion)
सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और जवाब ( Frequently asked questions and answers regarding heart attack in winter season)
रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ना:
ठंड के मौसम में शरीर की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है और रक्तचाप बढ़ जाता है। इससे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
रक्त का गाढ़ा होना:
सर्दियों में शरीर का तापमान गिरने पर खून गाढ़ा हो सकता है, जिससे थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। अगर यह थक्का हृदय की धमनियों में फंस जाता है, तो दिल के दौरे हो सकता है।
बढ़ा हुआ रक्तचाप:
ठंड में ब्लड प्रेशर स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है क्योंकि दिल को शरीर को गर्म रखने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है। यह भी हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाता है।
कम शारीरिक गतिविधि:
सर्दियों में लोग आमतौर पर कम चलते-फिरते हैं, जिससे उनका शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। यह दिल के लिए जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि शारीरिक गतिविधि की कमी से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
ठंड के कारण ऑक्सीजन की कमी:
ठंडे मौसम में शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है। अगर शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो दिल को अतिरिक्त दबाव सहना पड़ता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।
सर्दियों में तनाव:
सर्दी के मौसम में तनाव और अवसाद भी बढ़ जाते हैं, जो हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। तनाव से रक्तचाप और हार्मोनल असंतुलन बढ़ सकता है, जो दिल पर बुरा असर डालता है।
सीने में दर्द या असहजता:
सीने के बीच या बाईं ओर भारीपन, दबाव या जलन जैसा महसूस होना। दर्द अक्सर कुछ मिनटों तक रहता है और फिर कम या अधिक हो सकता है। यह दिल के दौरे का प्रमुख लक्षण होता है।
बांह, गर्दन, या जबड़े में दर्द:
दर्द या असहजता सीने से कंधे, बाईं बांह, पीठ, गर्दन या जबड़े तक फैल सकती है। यह दर्द कभी-कभी बाईं ओर अधिक महसूस होता है।
सांस लेने में कठिनाई:
सामान्य से अधिक गहरी या कठिनाई से सांस लेना हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है, खासकर जब इसे बिना किसी स्पष्ट कारण के अनुभव किया जाए।
ठंडे पसीने आना:
अचानक ठंडे पसीने का आना दिल के दौरे के चेतावनी संकेतों में से एक है, खासकर सर्दी के मौसम में जब शरीर पहले से ठंडे वातावरण में हो।
थकान या कमजोरी:
बिना किसी भारी शारीरिक गतिविधि के अत्यधिक थकान महसूस होना या कमजोरी महसूस होना यह खासकर महिलाओं में हार्ट अटैक का सामान्य लक्षण हो सकता है।
चक्कर आना या बेहोशी:
चक्कर आना, हल्का महसूस होना या बेहोश होने जैसा महसूस होना दिल के दौरे का एक संकेत हो सकता है, जो सर्दी में कम ऑक्सीजन के कारण और अधिक गंभीर हो सकता है।
जी मिचलाना या उल्टी आना:
हार्ट अटैक के दौरान कुछ लोगों को मिचली या उल्टी का अनुभव भी हो सकता है। यह लक्षण अक्सर अन्य पाचन समस्याओं की तरह लग सकता है लेकिन दिल की समस्या का संकेत हो सकता है।
पेट में दर्द या असहजता:
कुछ लोगों में दिल के दौरे के दौरान पेट में दर्द या जलन हो सकती है। इसे एसिडिटी या अपच समझने की गलती भी की जा सकती है।
रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ना:
ठंड के मौसम में शरीर की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। इससे दिल को शरीर में रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जो दिल पर अतिरिक्त दबाव डालता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
रक्त का गाढ़ा होना:
सर्दियों में ठंड के कारण खून गाढ़ा हो जाता है, जिससे थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। यह थक्के रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा कर सकते हैं, जिससे दिल को रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और हार्ट अटैक हो सकता है।
ब्लड प्रेशर का बढ़ना:
ठंडे मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए रक्तचाप स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप हार्ट अटैक का प्रमुख जोखिम कारक होता है, क्योंकि इससे हृदय की धमनियों पर अधिक दबाव पड़ता है।
शारीरिक गतिविधियों में कमी:
सर्दियों में लोग सामान्यत कम शारीरिक गतिविधियां करते हैं, जिससे वजन बढ़ सकता है और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। शारीरिक गतिविधियों की कमी से दिल की सेहत खराब होती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।
ऑक्सीजन की कमी:
ठंडे मौसम में शरीर की ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ जाती है, लेकिन ठंड के कारण खून में ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है। दिल को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, और इसकी कमी से दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।
मानसिक तनाव और अवसाद:
सर्दियों में दिन छोटे होते हैं और सूरज की रोशनी कम मिलती है, जिससे कुछ लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद (सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर) बढ़ सकता है। तनाव और अवसाद हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में से एक होते हैं, क्योंकि ये ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन को प्रभावित करते हैं।
धूम्रपान और शराब का बढ़ा हुआ सेवन:
सर्दियों में कुछ लोग धूम्रपान और शराब का सेवन बढ़ा देते हैं ताकि उन्हें ठंड से राहत मिले। धूम्रपान और अत्यधिक शराब दिल के लिए हानिकारक होते हैं और इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अचानक तापमान परिवर्तन:
सर्दियों में ठंडे वातावरण से अचानक गर्म वातावरण में जाना या ठंडे पानी से नहाना दिल पर अचानक दबाव डाल सकता है। यह तापमान में अचानक बदलाव दिल को झटका दे सकता है और दिल के दौरे का कारण बन सकता है।
अधिक कैलोरी युक्त भोजन:
सर्दियों में लोग अधिक कैलोरी और वसायुक्त भोजन करना पसंद करते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल से धमनियां संकरी हो जाती हैं, जो दिल के दौरे का खतरा बढ़ाता है।
तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें:
अगर दिल के दौरे के लक्षण दिखाई दें (जैसे कि सीने में दर्द, सांस की कमी, ठंडे पसीने आना), तो तुरंत आपातकालीन चिकित्सा सेवा को बुलाएं। हार्ट अटैक का समय पर इलाज बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि पहले 1 घंटे में इलाज मिलने से गंभीर नुकसान को रोका जा सकता है।
प्राथमिक उपचार :
हार्ट अटैक के दौरान एस्पिरिन की एक गोली (300mg) चबाकर खाई जा सकती है लेकिन अगर डॉक्टर ने इसे अनुमति दी हो तो। क्योंकि एस्पिरिन खून को पतला करने में मदद करती है और थक्के बनने से रोकती है। अगर मरीज के पास नाइट्रोग्लिसरीन है जो दिल की बीमारी के मरीजों को डॉक्टर द्वारा दी जाती है, तो इसे निर्देशानुसार लिया जा सकता है ताकि दिल की धमनियों को आराम मिल सके। इन प्राथमिक उपचारों के बाद जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचने की कोशिश करें।
चिकित्सीय उपचार (Medical Treatment) :
खून में बने थक्के को घोलने के लिए थ्रोम्बोलिटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो ब्लड फ्लो को पुनः सामान्य बनाने में मदद करती है। इसे क्लॉट-बस्टर दवा भी कहा जाता है।
एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग:
अगर दिल के दौरे का कारण किसी धमनियों में रुकावट है, तो डॉक्टर एंजियोप्लास्टी कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में धमनियों को चौड़ा करने के लिए एक छोटी सी ट्यूब (स्टेंट) डाली जाती है ताकि ब्लड फ्लो ठीक हो सके।
कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट (CABG):
यह सर्जरी उन मामलों में की जाती है जब धमनियों में रुकावट को हटाना मुश्किल होता है। इसमें डॉक्टर खून के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए हृदय की बंद धमनियों को बाईपास कर देते हैं।
मेडिकल मैनेजमेंट:
एंटीप्लेटलेट दवाएं जैसे एस्पिरिन, क्लोपिडोग्रेल दी जाती हैं ताकि खून में थक्के बनने से रोका जा सके। बीटा-ब्लॉकर्स दिल की धड़कन को धीमा कर हृदय की ऑक्सीजन की जरूरत को कम करती हैं। कोलेस्ट्रॉल-घटाने वाली दवाएं जैसे स्टेटिन्स हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने को रोकती हैं।
पुनर्वास (Rehabilitation)
डॉक्टर की देखरेख में व्यायाम और पोषण से जुड़े कार्यक्रम, जिनका उद्देश्य हृदय की सेहत में सुधार करना और हार्ट अटैक की पुनरावृत्ति को रोकना होता है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, धूम्रपान और शराब से परहेज करना चाहिए।
ठंड से बचाव:
मरीज को सर्दी में अतिरिक्त गर्म कपड़ों से ढक कर रखना चाहिए ताकि ठंड के प्रभाव से रक्त वाहिकाएं संकुचित न हों।
ठंडी हवा से बचें:
दिल के दौरे के दौरान ठंडी हवा दिल पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है, इसलिए मरीज को गर्म वातावरण में रखना चाहिए।
व्यायाम करते समय सावधानी:
हार्ट अटैक के बाद पुनर्वास के दौरान सर्दियों में बाहर व्यायाम करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। ठंड में अचानक शारीरिक गतिविधि दिल पर दबाव डाल सकती है।
शारीरिक गतिविधि बनाए रखें:
सर्दियों में शारीरिक रूप से सक्रिय रहना बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित व्यायाम करने से रक्त संचार में सुधार होता है और दिल को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है। हल्की-फुल्की सैर, योग और स्ट्रेचिंग जैसी गतिविधियाँ फायदेमंद हो सकती हैं। हालांकि, अत्यधिक ठंड में बाहर व्यायाम करने से बचें और शरीर को ज्यादा ठंड में न डालें।
पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें:
सर्दियों में शरीर को गर्म रखना बेहद जरूरी है। ठंडे मौसम में उचित गर्म कपड़े पहनें, जैसे ऊनी कपड़े, मोजे, और दस्ताने। सिर को टोपी से ढककर रखें, क्योंकि शरीर की अधिकांश गर्मी सिर से निकलती है। तापमान में अचानक गिरावट से बचने के लिए घर से बाहर निकलते समय हमेशा गर्म कपड़े पहनें।
धूम्रपान और शराब से बचें:
धूम्रपान और शराब का सेवन दिल के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है, खासकर सर्दियों में। धूम्रपान से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह, शराब दिल की धड़कन को असामान्य कर सकती है, जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
संतुलित आहार लें:
सर्दियों में वसायुक्त और तैलीय भोजन से बचें, क्योंकि इससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जो दिल के लिए हानिकारक होता है। अधिक फल, सब्जियां और फाइबर युक्त आहार लें। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन (जैसे मछली, अलसी के बीज) और अच्छे वसा का सेवन दिल के लिए लाभकारी होता है।
सर्दियों में रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। अगर आप पहले से ही उच्च रक्तचाप या हृदय रोग से पीड़ित हैं, तो नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराएं और अपनी दवाएं समय पर लें। सर्दियों में अपने ब्लड प्रेशर पर नजर रखें।
ठंड से सीधे संपर्क से बचें:
बहुत ठंडे मौसम में बाहर जाने से बचें, खासकर तब जब हवा ठंडी हो। अगर बाहर जाना आवश्यक हो तो नाक और मुंह को स्कार्फ या मास्क से ढक लें, ताकि ठंडी हवा सीधे फेफड़ों में न जाए। ठंड में अचानक से ज्यादा मेहनत वाला काम न करें, क्योंकि इससे दिल पर जोर पड़ सकता है।
तनाव और अवसाद को नियंत्रित करें:
सर्दियों में मानसिक तनाव और अवसाद (सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर) का सामना करना सामान्य हो सकता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। योग, ध्यान, और अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करें ताकि तनाव से बचा जा सके। परिवार और दोस्तों से बातचीत करना और सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
अधिक पानी पीएं:
सर्दियों में लोग अक्सर कम पानी पीते हैं, जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और रक्त का प्रवाह सुचारू रहता है। ठंड में भी पर्याप्त पानी पिएं, चाहे आपको प्यास न लगे।
ठंड में भारी शारीरिक कार्य करने से बचें :
सर्दियों में भारी वजन उठाने या बहुत ज्यादा मेहनत करने से बचें, क्योंकि ठंड में दिल पर दबाव अधिक होता है। अगर आपको कोई शारीरिक कार्य करना हो, तो पहले शरीर को गर्म करके ही काम शुरू करें।
दवाइयों और सलाह का पालन करें:
अगर आप पहले से दिल की बीमारी या उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों और सलाह का पालन करें। सर्दियों में नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें और कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
हार्ट अटैक के इलाज के लिए विभिन्न विशेषज्ञों की टीम आवश्यक होती है। फेलिक्स हॉस्पिटल्स के कार्डयोलॉजिस्ट्स जो सर्वोत्तम हृदय शल्यचिकित्सक, डॉ. राहुल अरोरा और डॉ. सिद्धार्थ सम्राट से मिलकर आप अपने हार्ट अटैक का इलाज जान सकते हैं। कार्डियोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, हार्ट सर्जन (कार्डियक सर्जन), इमरजेंसी मेडिसिन डॉक्टर, इंटेंसिविस्ट (आईसीयू डॉक्टर) के अलावा नर्स और पैरामेडिक्स देखभाल और उपचार में सहायता करते हैं।
फेलिक्स हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर की सलाह के लिए आज ही फोन करें +91 9667064100.
सर्दियों के मौसम में दिल के दौरे का इलाज अन्य मौसमों में होने वाले हार्ट अटैक के इलाज से बहुत हद तक समान होता है, लेकिन ठंड के मौसम में कुछ अतिरिक्त सावधानियाँ बरतनी पड़ सकती हैं। हार्ट अटैक के दौरान समय पर और सही उपचार दिल के दौरे के गंभीर परिणामों को रोक सकता है। सर्दियों में दिल के दौरे के इलाज के लिए समय पर और उचित चिकित्सा सहायता अत्यधिक आवश्यक है। दिल के दौरे के बाद दी जाने वाली देखभाल और जीवनशैली में सुधार भविष्य में दिल के दौरे को रोकने में मदद कर सकते हैं।
प्रश्न 1: सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ जाता है ?
उत्तर: र्दियों में ठंड के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ता है और दिल पर अधिक दबाव पड़ता है। इसके अलावा ठंड से खून गाढ़ा हो जाता है, जिससे थक्के बनने का खतरा होता है, और ऑक्सीजन की कमी भी दिल के लिए हानिकारक हो सकती है।
प्रश्न 2: क्या ठंड में ज्यादा व्यायाम करने से दिल पर खतरा बढ़ सकता है ?
उत्तर: सर्दी में अत्यधिक और अचानक व्यायाम करने से दिल पर दबाव बढ़ सकता है। अगर आप पहले से हार्ट की बीमारी से पीड़ित हैं, तो अचानक भारी व्यायाम करने से बचें और किसी भी नए व्यायाम को शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
प्रश्न 3: सर्दियों में ब्लड प्रेशर क्यों बढ़ता है ?
उत्तर: ठंडे मौसम में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकता है।
प्रश्न 4: क्या दिल के मरीजों को सर्दियों में बाहर जाने से बचना चाहिए ?
उत्तर: दिल के मरीजों को बहुत ठंडे मौसम में बाहर जाने से बचना चाहिए, खासकर अगर तापमान बहुत कम हो। अगर बाहर जाना आवश्यक हो, तो पूरी तरह से गर्म कपड़े पहनें और शरीर को गर्म रखने के उपाय करें। ठंड के समय अचानक शारीरिक गतिविधियां करने से भी बचें।
प्रश्न 5: क्या ठंडे पानी में नहाने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है ?
उत्तर: हां, ठंडे पानी में नहाने से शरीर में अचानक तापमान में गिरावट होती है, जिससे दिल पर अचानक दबाव पड़ सकता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। सर्दियों में गुनगुने पानी से नहाना बेहतर होता है, खासकर बुजुर्गों और दिल के मरीजों के लिए।
प्रश्न 6: क्या सर्दियों में डाइट में कुछ बदलाव करना चाहिए ?
उत्तर: हां, सर्दियों में ऐसा आहार लें जो शरीर को गर्म रखे और पोषक तत्वों से भरपूर हो। साबुत अनाज, फल, सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ और हरी पत्तेदार सब्जियाँ दिल के लिए फायदेमंद होती हैं। तैलीय और वसायुक्त भोजन से बचें।
प्रश्न 7: क्या विटामिन डी की कमी भी हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाती है ?
उत्तर: हां, सर्दियों में सूरज की रोशनी कम मिलने से विटामिन डी की कमी हो सकती है, जो दिल की सेहत को प्रभावित कर सकती है। विटामिन डी की कमी से उच्च रक्तचाप और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें या डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट लें।
प्रश्न 8: ठंड में मानसिक तनाव और हार्ट अटैक का क्या संबंध है ?
उत्तर: सर्दियों में दिन छोटे और अंधेरे अधिक होने से कुछ लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद बढ़ सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। मानसिक तनाव को कम करने के लिए नियमित व्यायाम, ध्यान और दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताना फायदेमंद हो सकता है।