बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं का जल्द पहचानना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि समय पर निदान और उपचार उनके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। कई बार माता-पिता को इन समस्याओं का पता लगाना कठिन हो सकता है, क्योंकि लक्षण हल्के या अन्य सामान्य बीमारियों जैसे दिख सकते हैं। इस ब्लॉग में, हम उन लक्षणों की चर्चा करेंगे जो बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं की ओर संकेत कर सकते हैं।


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Table of Contents:
 

  • बच्चों में जन्मजात हृदय रोग क्या है? (What is congenital heart disease in children?)

  • बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं के लक्षण (Symptoms of Heart Problems in Children)

  • बच्चों में हृदय संबंधी रोग के प्रकार (Types of Cardiac Disease in Children)

  • बच्चों में हृदय संबंधी रोग के कारण (Causes of heart disease in children)

  • बच्चों में हृदय रोग का निदान कैसे होता है? (How is heart disease diagnosed in children?)

  • बच्चों में हृदय संबंधी रोगों से बचाव (Prevention of heart diseases in children)

  • बच्चों में हृदय संबंधी रोगों का इलाज (Treatment of heart diseases in children)

  • फेलिक्स हॉस्पिटल्स में बच्चों में हृदय संबंधी रोगों के विशेषज्ञ के बारे में जाने (Know Pediatric Cardiology Specialists at Felix Hospitals)

  • निष्कर्ष (Conclusion)

  • बच्चों में हृदय संबंधी रोगों के लक्षणों को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और जवाब (Frequently asked questions and answers about symptoms of heart disease in children) 

 

बच्चों में जन्मजात हृदय रोग क्या है? (What is congenital heart disease in children?)

बच्चों में जन्मजात हृदय रोग बच्चों में जन्म के समय मौजूद हृदय की संरचना या कार्य में असामान्यताओं को कहा जाता है। यह एक प्रकार की हृदय विकृति है, जो गर्भावस्था के दौरान हृदय के विकास में समस्या के कारण होती है। यदि कोई बच्चा जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित है, तो समय पर निदान और उपचार से उसकी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं के लक्षणों को समय पर पहचानना उनके समग्र स्वास्थ्य और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। माता-पिता को हमेशा सतर्क रहना चाहिए और किसी भी असामान्यता को अनदेखा नहीं करना चाहिए। सही जानकारी और समय पर उपचार से बच्चे का जीवन सुरक्षित और स्वस्थ बनाया जा सकता है।


बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं के लक्षण (Symptoms of Heart Problems in Children)

 

  • सांस से संबंधित समस्याएंः
    सांस लेने में कठिनाई। खेलने, रोने या दूध पीने के बाद सांस फूलना। सोते समय तेजी से सांस लेना। छाती के अंदर धंसने जैसा महसूस होना।

  • त्वचा और होंठ का रंग बदलना:
    त्वचा, नाखून और होंठों का नीला पड़ना (साइनोसिस)। त्वचा का पीला या फीका दिखना। हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना।

  • वजन और विकास में रुकावट:
    बच्चे का वजन सामान्य से कम होना। सामान्य विकास न होना। दूध पीने में कठिनाई या बार-बार थकावट महसूस करना।

  • तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन:
    दिल का तेजी से धड़कना (टैकीकार्डिया)। अनियमित धड़कन महसूस होना। छाती में दर्द या बेचैनी।

  • थकावट और सुस्ती:
    खेलने या सामान्य गतिविधियों के बाद जल्दी थक जाना। लंबे समय तक सुस्ती महसूस करना। नींद के दौरान बेचैनी।
     

बार-बार फेफड़ों का संक्रमण:
 

  • बार-बार निमोनिया या ब्रोंकाइटिस होना। खांसी और कफ लंबे समय तक रहना।

  • बेहोशी या चक्कर आना

  • सामान्य गतिविधियों के दौरान चक्कर आना। अचानक बेहोशी आना।

  • खाने-पीने में दिक्कत

  • स्तनपान या बोतल से दूध पीने में परेशानी। कम भूख लगना। खाने के बाद थकावट महसूस करना।

  • गंभीर स्थिति में क्या हो सकता है ?

  • लगातार साइनोसिस (नीले रंग का होना)।

  • सांस लेने में लगातार दिक्कत।

  • बेहोशी का बार-बार आना।

  • छाती में असामान्य उभार।


बच्चों में हृदय संबंधी रोग के प्रकार (Types of Cardiac Disease in Children)

 

जन्मजात हृदय रोग (Congenital Heart Disease)

यह हृदय की संरचना या कार्य में गड़बड़ी होती है, जो जन्म से ही मौजूद होती है। इसके प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:


हृदय के भीतर सुराख (Septal Defects)

एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD): 
हृदय के ऊपरी कक्षों (एट्रिया) के बीच की दीवार में छेद। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD): हृदय के निचले कक्षों (वेंट्रिकल) के बीच की दीवार में छेद।


वॉल्व संबंधी समस्याएं (Valve Defects)

पल्मोनरी या एओर्टिक स्टेनोसिस: वॉल्व का संकरा होना, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।


माइट्रल या ट्राइसपिड वॉल्व रेजुर्गिटेशन: 

वॉल्व का सही तरीके से बंद न होना, जिससे रक्त वापस बहता है।


रक्त वाहिकाओं की समस्याएं (Blood Vessel Defects)

पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA): 

फेफड़ों की धमनी और महाधमनी के बीच की रक्त वाहिका का जन्म के बाद बंद न होना।
कोआर्कटेशन ऑफ एओर्टा: महाधमनी (एओर्टा) का संकरा होना।


जटिल जन्मजात हृदय दोष (Complex Congenital Heart Defects)

टेट्रालॉजी ऑफ फॉलो (TOF): चार दोषों का समूह: वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट, पल्मोनरी स्टेनोसिस, राइट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी, और एओर्टा की विस्थापन।

ट्रांसपोजिशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज (TGA): महाधमनी और फेफड़ों की धमनी की स्थिति का उल्टा होना।

हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम (HLHS): हृदय का बायां हिस्सा अविकसित होना।

 

अर्जित हृदय रोग (Acquired Heart Disease)

रूमेटिक हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease)
यह स्ट्रीपटोकोकल गले के संक्रमण के कारण होता है और हृदय वॉल्व को नुकसान पहुंचाता है।


कावासाकी रोग (Kawasaki Disease)
यह बच्चों में कोरोनरी धमनी को प्रभावित करता है और दिल के दौरे का जोखिम बढ़ा सकता है।


मायोकार्डिटिस (Myocarditis)
यह हृदय की मांसपेशियों की सूजन है, जो वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है।


हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर (Rare in Children)


हालांकि दुर्लभ, लेकिन कुछ बच्चों में ब्लड प्रेशर और कोरोनरी धमनी की समस्याएं हो सकती हैं।
सायनोसिस और नॉन-सायनोसिस दोष

सायनोसिस दोष (Cyanotic Defects):
यह हृदय रोग का वह प्रकार है जिसमें शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे होंठ और त्वचा नीले पड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए टेट्रालॉजी ऑफ फॉलो, ट्रांसपोजिशन ऑफ ग्रेट आर्टरीज।


नॉन-सायनोसिस दोष (Non-Cyanotic Defects):
इसमें हृदय के दोष होने के बावजूद त्वचा का रंग सामान्य रहता है। उदाहरण के लिए एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट, वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट।

 

बच्चों में हृदय संबंधी रोग के कारण (Causes of heart disease in children)

जन्मजात हृदय रोग के कारण (Congenital Heart Disease)

जन्मजात हृदय रोग हृदय की संरचना में गड़बड़ी के कारण होता है, जो गर्भावस्था के दौरान हृदय के विकास में समस्या के कारण उत्पन्न हो सकता है।

  • आनुवंशिक (Genetic Factors)
    परिवार में हृदय रोग का इतिहास। किसी अन्य जन्मजात विकृति जैसे डाउन सिंड्रोम से जुड़ा हुआ। आनुवंशिक विकार या माता-पिता में क्रोमोसोमल असामान्यता।

  • पर्यावरणीय कारण (Environmental Factors)
    गर्भावस्था के दौरान संक्रमण (जैसे, रूबेला या जर्मन मीजल्स)। गर्भावस्था में खतरनाक दवाओं या नशीली चीज़ों का सेवन। शराब या धूम्रपान का उपयोग। गर्भावस्था के दौरान विकिरण के संपर्क में आना।

  • मातृ स्वास्थ्य (Maternal Health)
    गर्भावस्था में डायबिटीज या अनियंत्रित ब्लड शुगर। थायरॉइड की समस्या। पोषण की कमी, विशेष रूप से फोलिक एसिड की कमी। मोटापा या उच्च रक्तचाप।

  • अन्य कारण:
    गर्भ में ऑक्सीजन की कमी। प्लेसेंटा की अपर्याप्त कार्यक्षमता।
     

अर्जित हृदय रोग के कारण (Acquired Heart Disease)

ये रोग बच्चे के जन्म के बाद संक्रमण, चोट या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के कारण होते हैं।


संक्रमण से संबंधित:

  • रूमेटिक फीवर: गले के स्ट्रीप संक्रमण (Strep Throat) के कारण, जो हृदय वॉल्व को प्रभावित कर सकता है।

  • कावासाकी रोग: रक्त वाहिकाओं की सूजन, जो कोरोनरी धमनी को नुकसान पहुंचा सकती है।

  • मायोकार्डिटिस: हृदय की मांसपेशियों में सूजन, जो वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है।


पोषण और जीवनशैली:

अस्वास्थ्यकर आहार और मोटापा। बच्चों में उच्च रक्तचाप या कोलेस्ट्रॉल। निष्क्रिय जीवनशैली।

  • अन्य चिकित्सा स्थितियां:
    जन्म के समय कम वजन। लंबे समय तक दवाओं का उपयोग। गंभीर एनीमिया।

  • चोट या बाहरी कारण:
    सीने पर चोट। सर्जिकल या चिकित्सा संबंधी जटिलताएं।

  • विशेष जोखिम कारक:
    कुछ स्थितियां बच्चे को हृदय रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती हैं।

  • प्रि-मैच्योर डिलीवरी: समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में हृदय की समस्याओं का जोखिम अधिक होता है।

  • ट्विन या मल्टीपल प्रेग्नेंसी: एक से अधिक भ्रूण होने पर हृदय विकास पर असर पड़ सकता है।

  • गर्भावस्था में मां को ऑटोइम्यून रोग (जैसे, ल्यूपस): इससे बच्चे का हृदय प्रभावित हो सकता है।


बच्चों में हृदय रोग का निदान कैसे होता है (How is heart disease diagnosed in children)
 

  • शारीरिक जांच (Physical Examination)
    डॉक्टर बच्चे की सामान्य स्थिति और हृदय की धड़कन की जांच करते हैं। हृदय की ध्वनि सुनना यानी स्टेथोस्कोप से दिल की धड़कन और असामान्य आवाज़ (जैसे मर्मर) सुनना त्वचा, नाखूनों, और होंठों के रंग की जांच (नीलापन साइनोसिस का संकेत हो सकता है)। सांस लेने की गति और सीने में किसी असामान्यता को देखना।

  • मेडिकल इतिहास (Medical History)
    बच्चे के लक्षणों की जानकारी लेना (जैसे, थकावट, सांस फूलना, या वजन न बढ़ना)। परिवार में किसी को हृदय रोग का इतिहास है या नहीं। गर्भावस्था के दौरान मां की स्वास्थ्य स्थिति (जैसे, संक्रमण, दवाएं, या शुगर)।

  • इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)
    यह हृदय की अल्ट्रासाउंड तकनीक है जो हृदय की संरचना और कार्य का आकलन करती है। हृदय में छेद, वाल्व की समस्याएं, और रक्त प्रवाह का पता लगाने के लिए सबसे प्रभावी परीक्षण।

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG/EKG)
    यह हृदय की विद्युत गतिविधि को मापता है। अनियमित धड़कन (अरिदमिया) या हृदय की मांसपेशियों की समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है।

  • ब्लड टेस्ट (Blood Tests)
    कुछ विशेष एंजाइम या हार्मोन का स्तर हृदय की समस्याओं का संकेत दे सकता है। संक्रमण या आनुवंशिक कारणों की पहचान के लिए।

  • व्यायाम परीक्षण (Exercise Stress Test)
    यह बड़े बच्चों में हृदय की धड़कन और ऑक्सीजन की क्षमता को मापने के लिए किया जाता है। खेलकूद या शारीरिक गतिविधियों के दौरान हृदय की प्रतिक्रिया को परखा जाता है।

  • नवजात स्क्रीनिंग (Newborn Screening)
    नवजात शिशुओं में जन्मजात हृदय रोग का जल्दी पता लगाने के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं। पल्स ऑक्सीमेट्री टेस्ट। नियमित शारीरिक जांच।


बच्चों में हृदय संबंधी रोगों से बचाव (Prevention of heart diseases in children)

 

गर्भावस्था के दौरान सावधानियां:

  • सही पोषण और आहार:
    संतुलित और पोषक आहार लें, जिसमें फोलिक एसिड, आयरन, और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल हों। जंक फूड और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों से बचें।

  • संक्रमण से बचाव:
    गर्भावस्था के दौरान रूबेला (जर्मन मीजल्स) और अन्य संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण कराएं। साफ-सफाई और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें।

  • हानिकारक आदतों से बचें:
    धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन न करें। डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन न करें।

  • नियमित स्वास्थ्य जांच:
    गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लें। शुगर और ब्लड प्रेशर का नियंत्रण रखें।
     

जन्म के बाद बच्चे की देखभाल:

  • नियमित टीकाकरण:
    बच्चों को समय पर सभी अनिवार्य टीके लगवाएं, जैसे कि रूबेला, डिप्थीरिया, और टेटनस। कावासाकी रोग और रूमेटिक फीवर से बचाव के लिए संक्रमण रोकने पर ध्यान दें।

  • शारीरिक जांच:
    बच्चे के स्वास्थ्य की नियमित जांच कराएं। नवजात स्क्रीनिंग टेस्ट से जन्मजात हृदय रोग का जल्दी पता लगाया जा सकता है।

  • संतुलित आहार:
    बच्चों के आहार में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन शामिल करें। अत्यधिक चीनी और जंक फूड से बचाएं।

  • शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहन दें:
    बच्चों को नियमित रूप से खेलने और व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें। निष्क्रिय जीवनशैली (जैसे, अधिक टीवी या मोबाइल का उपयोग) से बचाएं।

  • संक्रमण से बचाव:
    गले के संक्रमण का समय पर इलाज
    रूमेटिक फीवर से बचने के लिए गले के संक्रमण (स्ट्रीप थ्रोट) का तुरंत इलाज करें। डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करें।
    स्वच्छता का ध्यान रखें
    बच्चे को साफ-सफाई के महत्व को सिखाएं। बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए हाथ धोने की आदत डालें।
     

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:

  • वजन नियंत्रण:
    बच्चों को मोटापा से बचाएं, क्योंकि यह हृदय संबंधी रोगों का बड़ा कारण हो सकता है। शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ आहार से वजन नियंत्रित रखें।

  • ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का ध्यान रखें:
    बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल की जांच करें। उच्च नमक और वसा वाले भोजन से बचाएं।

  • परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो तो विशेष सतर्कता बरतें:
    यदि परिवार में आनुवंशिक हृदय रोग का इतिहास है, तो बच्चे की नियमित जांच कराएं। जेनेटिक काउंसलिंग का लाभ लें।

 

बच्चों में हृदय संबंधी रोगों का इलाज (Treatment of heart diseases in children)


दवाओं से उपचार (Medications)

कुछ हृदय संबंधी समस्याएं दवाओं से नियंत्रित की जा सकती हैं। डॉक्टर लक्षणों के अनुसार दवाएं लिखते हैं:
 

  • डाययूरेटिक्स (Diuretics): शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ को कम करने के लिए।

  • डिजिटालिस (Digitalis): हृदय की पंपिंग क्षमता बढ़ाने के लिए।

  • एंटी-अरिदमिक दवाएं: अनियमित दिल की धड़कन (अरिदमिया) को नियंत्रित करने के लिए।

  • ब्लड थिनर (Blood Thinners): रक्त के थक्के बनने से रोकने के लिए।

  • एंटीबायोटिक्स: संक्रमण रोकने या इलाज के लिए।

  • प्रोस्टाग्लैंडिन इन्हिबिटर: फेफड़ों और हृदय के बीच रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए।


जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Changes)

  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से बच्चों की हृदय की सेहत में सुधार होता है।

  • धूम्रपान और अत्यधिक नमक, चीनी या वसा से बचने की सलाह दी जाती है।


इंटरवेंशनल प्रक्रियाएं (Interventional Procedures)

कुछ मामलों में जटिलता को दूर करने के लिए बिना सर्जरी के कैथेटर-आधारित प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।

  • बालून एंजियोप्लास्टी (Balloon Angioplasty): संकुचित रक्त वाहिकाओं या वाल्व को खोलने के लिए।

  • डिवाइस क्लोजर (Device Closure): हृदय में छेद (जैसे, एट्रियल या वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट) को बंद करने के लिए।

  • वॉल्व रिप्लेसमेंट: खराब वॉल्व को बदलने या ठीक करने के लिए।


सर्जिकल उपचार (Surgical Treatment)

यदि हृदय दोष गंभीर है, तो सर्जरी की आवश्यकता होती है:
 

  • ओपन हार्ट सर्जरी (Open Heart Surgery): जन्मजात दोष जैसे हृदय के छेद (ASD/VSD) को ठीक करने के लिए। वाल्व की मरम्मत या प्रतिस्थापन।

  • फॉन्टन प्रोसिजर (Fontan Procedure): जटिल जन्मजात हृदय रोग (जैसे, सिंगल वेंट्रिकल दोष) के लिए।

  • अर्टेरियल स्विच सर्जरी (Arterial Switch Surgery): महाधमनी और पल्मोनरी धमनी के दोष को ठीक करने के लिए।

  • ब्लालॉक-टॉसिग शंट (Blalock-Taussig Shunt): सायनोसिस दोष के लिए।


कार्डिएक कैथेटराइजेशन (Cardiac Catheterization)
 

  • यह डायग्नोसिस और उपचार दोनों के लिए उपयोगी है।

  • इसमें कैथेटर के माध्यम से हृदय तक पहुंचकर दोषों को ठीक किया जाता है।

  • यह प्रक्रिया कम इनवेसिव होती है और रिकवरी तेज होती है।


हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant)

  • यदि बच्चे का हृदय गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त है और अन्य उपचार असफल हो गए हैं, तो हृदय प्रत्यारोपण आवश्यक हो सकता है।


सपोर्टिव थेरेपी (Supportive Therapy)

  • फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपी से बच्चे की सामान्य गतिविधियों में सुधार होता है।

  • पोषण और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है।


फॉलो-अप और देखभाल (Follow-Up and Monitoring)

  • नियमित जांच और फॉलो-अप बच्चों में हृदय रोग की प्रगति और इलाज के प्रभाव का आकलन करने के लिए जरूरी है।

  • डॉक्टर ईसीजी, इकोकार्डियोग्राफी और अन्य परीक्षणों के माध्यम से बच्चे की स्थिति की निगरानी करते हैं।

 

फेलिक्स हॉस्पिटल्स में बच्चों में हृदय संबंधी रोगों के विशेषज्ञ के बारे में जाने (Know Pediatric Cardiology Specialists at Felix Hospitals)


बच्चों में हृदय संबंधी रोगों का इलाज करने वाले विशेषज्ञ बाल हृदय रोग विशेषज्ञ होते हैं। ये विशेषज्ञ बच्चों के हृदय और रक्त परिसंचरण प्रणाली से संबंधित समस्याओं के निदान, उपचार और प्रबंधन में प्रशिक्षित होते हैं। डॉक्टर की सलाह के लिए आज ही फोन करें - +91 9667064100.


निष्कर्ष (Conclusion)

बच्चों में हृदय संबंधी रोगों के लक्षण अक्सर हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं, और यह समय पर पहचानने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आमतौर पर, सांस लेने में कठिनाई, थकावट, त्वचा या होंठों का नीला पड़ना, छाती में दर्द, और असामान्य दिल की धड़कन हृदय संबंधी समस्याओं के संकेत हो सकते हैं। सही समय पर इन लक्षणों का ध्यान रखना और उन्हें चिकित्सकीय ध्यान में लाना बच्चों में हृदय रोगों के सही निदान और उपचार के लिए आवश्यक है। अगर बच्चों में इन लक्षणों में से कोई भी दिखे, तो बिना देर किए बाल हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

 

बच्चों में हृदय संबंधी रोगों के लक्षणों को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और जवाब (Frequently asked questions and answers about symptoms of heart disease in children)


प्रश्न 1: क्या बच्चों में छाती में दर्द हमेशा हृदय रोग का संकेत होता है ?
उत्तर: नहीं। बच्चों में छाती में दर्द के अधिकतर कारण मांसपेशियों, हड्डियों, या पेट की समस्याओं से जुड़े होते हैं। हालांकि, यदि दर्द के साथ सांस फूलना, चक्कर आना, या धड़कन की गड़बड़ी हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।


प्रश्न 2: क्या हृदय रोग आनुवंशिक हो सकते हैं ?
उत्तर: हां। यदि परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, तो बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। इस स्थिति में बच्चे की नियमित जांच कराना महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 3: बच्चों में सांस फूलने का हृदय रोग से क्या संबंध है ?
उत्तर: सांस फूलना (विशेषकर हल्की गतिविधियों के दौरान) दिल की पंपिंग क्षमता में कमी या फेफड़ों में अधिक रक्त प्रवाह का संकेत हो सकता है, जो हृदय रोग से जुड़ा हो सकता है।


प्रश्न 4:  बच्चों में थकावट और विकास में देरी क्यों होती है ?
उत्तर: हृदय की समस्याओं के कारण शरीर के अंगों तक पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाते, जिससे बच्चे जल्दी थक जाते हैं और उनकी शारीरिक विकास प्रक्रिया धीमी हो सकती है।


प्रश्न 5: क्या हृदय की असामान्य धड़कन (अरिदमिया) बच्चों में सामान्य है ?
उत्तर: कुछ हल्की अरिदमिया सामान्य हो सकती हैं और बच्चे के बढ़ने पर ठीक हो जाती हैं। लेकिन यदि यह नियमित रूप से हो रही है या इसके साथ अन्य लक्षण हैं, तो यह गंभीर हृदय समस्या का संकेत हो सकता है।


प्रश्न 6: क्या हृदय रोग केवल जन्मजात होते हैं ?
उत्तर: नहीं। हृदय रोग जन्मजात (जन्म से) और अर्जित (जीवन के दौरान) दोनों हो सकते हैं। अर्जित हृदय रोग संक्रमण, रूमेटिक फीवर, या अन्य कारणों से हो सकता है।


प्रश्न 7: क्या बच्चों के हृदय रोग का इलाज संभव है ?
उत्तर: हां। आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और दवाओं की मदद से बच्चों के हृदय रोगों का प्रभावी इलाज संभव है। सर्जरी, कैथेटर-आधारित प्रक्रियाएं, और दवाएं उपचार में सहायक होती हैं।


प्रश्न 8:  क्या बच्चों में हृदय रोग से बचाव संभव है?
उत्तर: हां, हृदय रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान मां की अच्छी देखभाल। बच्चे का समय पर टीकाकरण। स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाना। संक्रमण और गले की बीमारियों का समय पर इलाज।

 

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