ग्लूकोमा एक जटिल और गंभीर आंखों की बीमारी है जो आंखों के ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाने का कारण बनती है। यह स्थिति प्रायः आंखों के अंदर बढ़े हुए दबाव (इंट्राओकुलर प्रेशर) के कारण होती है। ग्लूकोमा की पहचान जल्दी नहीं होती है क्योंकि इसके शुरुआती चरणों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन जब तक मरीज को लक्षण महसूस होते हैं, तब तक नुकसान स्थायी हो सकता है। जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से…
 

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ग्लूकोमा के लक्षण (Symptoms of Glaucoma)
ग्लूकोमा के प्रकार (Types of Glaucoma)
ग्लूकोमा के कारण (Causes of Glaucoma)
ग्लूकोमा से बचाव (Prevention of Glaucoma)
ग्लूकोमा का इलाज (Treatment of Glaucoma)

 

ग्लूकोमा क्या है ? (What is Glaucoma?)

ग्लूकोमा एक गंभीर आंखों की बीमारी है जिसमें ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है। ऑप्टिक नर्व वह नर्व होती है जो आंख से मस्तिष्क तक दृष्टि की जानकारी पहुंचाती है। ग्लूकोमा का मुख्य कारणं आंखों के अंदर बढ़ा हुआ दबाव (इंट्राओकुलर प्रेशर) है। यह दबाव आंख के अंदर बनने वाले और बाहर निकलने वाले तरल पदार्थ  के असंतुलन के कारण होता है। ग्लूकोमा का समय पर निदान और उपचार दृष्टि हानि को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नियमित आंखों की जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से आप इस गंभीर बीमारी से बच सकते हैं। यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है और यदि समय पर उपचार नहीं किया जाता, तो इससे दृष्टि हानि हो सकती है। इसलिए समय रहते नोएडा में ग्लूकोमा हॉस्पिटल में (Glaucoma Hospital in Noida) अपने नेत्र की जाँच अवश्य करवाएं।


ग्लूकोमा के लक्षण (Symptoms of Glaucoma in Hindi)

ग्लूकोमा के लक्षण आमतौर पर बीमारी के प्रकार और प्रगति के स्तर पर निर्भर करते हैं। शुरुआत में, इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं और धीरे-धीरे प्रकट होते हैं। ग्लूकोमा की पहचान जल्दी नहीं होती है क्योंकि इसके शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए, नियमित आंखों की जांच और समय पर निदान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें ग्लूकोमा का उच्च जोखिम है। ग्लूकोमा के कुछ सामान्य लक्षण हिंदी में (Symptoms of Glaucoma in Hindi) निम्नलिखित हैं:
 

  • धीरे-धीरे परिधीय दृष्टि का नुकसान: आमतौर पर यह सबसे पहले प्रभावित होती है और मरीज को इसका एहसास नहीं होता।
  • ट्यूब विजन: गंभीर मामलों में, केवल केंद्र की दृष्टि बची रहती है, जैसे ट्यूब के माध्यम से देखना।
  • आंखों में अचानक और तेज दर्द:  यह अचानक शुरू हो सकता है और तीव्र हो सकता है।
  • सिरदर्द: विशेषकर आंखों के ऊपर।
  • मतली और उल्टी: आंखों के दर्द के साथ।
  • धुंधली दृष्टि: अचानक दृष्टि धुंधली हो सकती है।
  • इंद्रधनुषी रंगों का दिखाई देना:  लाइट के आसपास रंगीन हलो दिखाई दे सकते हैं।
  • लाल आंखें: आंंखों की सफेदी लाल हो सकती है।
  • बड़ी आंखें:  शिशुओं में आंखों का बड़ा होना।
  • अत्यधिक आंसू आना: सामान्य से अधिक आंसू आना।
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता: तेज रोशनी में परेशानी होना।
  • कॉर्नियल धुंधलापन: कॉर्निया (आंख की पारदर्शी सतह) में धुंधलापन।
  • धीरे-धीरे दृष्टि हानि: परिधीय दृष्टि पहले प्रभावित होती है और फिर धीरे-धीरे केंद्रीय दृष्टि प्रभावित होती है।
  • धुंधली दृष्टि: सामान्य या दैनिक गतिविधियों के दौरान दृष्टि धुंधली हो सकती है।
  • रात में देखने में कठिनाई: रात में या कम रोशनी में दृष्टि में कठिनाई।
  • दोहरी दृष्टि: कुछ मामलों में दोहरी दृष्टि भी हो सकती है।

 

ग्लूकोमा के प्रकार (Types of Glaucoma) 

ओपन-एंगल ग्लूकोमा : 
यह ग्लूकोमा का सबसे सामान्य प्रकार है और इसे "क्रोनिक ग्लूकोमा" भी कहा जाता है। शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते। धीरे-धीरे परिधीय दृष्टि का नुकसान होता है, और अगर समय पर इलाज नहीं किया जाए तो केंद्रीय दृष्टि भी प्रभावित हो सकती है। इसका कार आंख के अंदर तरल पदार्थ का धीरे-धीरे निर्माण और निष्कासन के बीच असंतुलन के कारण होता है, जिससे आंखों का अंदरूनी दबाव बढ़ जाता है।


एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा : 
इस प्रकार के ग्लूकोमा को एक्यूट या नैरो-एंगल ग्लूकोमा भी कहा जाता है। अचानक और गंभीर लक्षण जैसे आंखों में तेज दर्द, सिरदर्द, मतली, उल्टी, धुंधली दृष्टि, और इंद्रधनुषी रंगों का दिखाई देना इसके लक्षण हैं। आंख का ड्रेनेज एंगल अचानक बंद हो जाता है, जिससे तरल पदार्थ का बहाव बाधित हो जाता है और अंदरूनी दबाव तेजी से बढ़ जाता है। यह एक आपात स्थिति होती है और तुरंत चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।


सामान्य-दबाव ग्लूकोमा : 
इस प्रकार के ग्लूकोमा में आंख का अंदरूनी दबाव सामान्य होता है, लेकिन ऑप्टिक नर्व को नुकसान होता है। ओपन-एंगल ग्लूकोमा के समान, दृष्टि हानि धीरे-धीरे होती है। इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि ऑप्टिक नर्व का रक्त प्रवाह कम हो सकता है।


द्वितीयक ग्लूकोमा : 
यह किसी अन्य बीमारी या स्थिति के कारण होता है। संबंधित बीमारी या स्थिति के लक्षणों के साथ दृष्टि हानि होती है। आंख में सूजन, मधुमेह, आंख की चोट, या अन्य बीमारियों के कारण हो सकता है।


जन्मजात ग्लूकोमा : 
यह नवजात शिशुओं में जन्म से या कुछ समय बाद होता है। आंखों का बड़ा होना, अत्यधिक आंसू आना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और कॉर्नियल धुंधलापन इसके लक्षण हैं। आंख के ड्रेनेज सिस्टम के विकास में दोष इसका कारण है।


पिगमेंटरी ग्लूकोमा : 
यह एक प्रकार का द्वितीयक ग्लूकोमा है। दृष्टि हानि, धुंधली दृष्टि, और इंद्रधनुषी रंगों का दिखाई देना इसके प्रमुख लक्षण हैं। पिगमेंट (रंग) का आंख के ड्रेनेज सिस्टम में अवरुद्ध होना इसका प्रमुख कारण है।


न्यूरोवास्कुलर ग्लूकोमा : 
यह मधुमेह और अन्य रक्त वाहिका विकारों से संबंधित हो सकता है। दृष्टि हानि, आंखों में दर्द, और लाल आंखें इसके लक्षण हैं। आंखों में नए, असामान्य रक्त वाहिकाओं का विकास, जो ड्रेनेज एंगल को अवरुद्ध कर सकते हैं।


ग्लूकोमा के कारण (Causes of Glaucoma)

आंख का अंदरूनी दबाव बढ़ना : ग्लूकोमा का मुख्य कारण आंख का अंदरूनी दबाव (इंट्राओकुलर प्रेशर) बढ़ना है, जो आंख के अंदर बनने वाले और बाहर निकलने वाले तरल पदार्थ के असंतुलन के कारण होता है।


ड्रेनेज सिस्टम में अवरोध : आंख के ड्रेनेज चैनल में अवरोध होने के कारण तरल पदार्थ का बहाव बाधित हो सकता है, जिससे आंख का दबाव बढ़ जाता है।


आनुवंशिक कारक : ग्लूकोमा परिवार में आनुवंशिक हो सकता है। यदि आपके परिवार में किसी को ग्लूकोमा है, तो आपके ग्लूकोमा विकसित होने का जोखिम अधिक होता है।


उम्र : उम्र बढ़ने के साथ ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ जाता है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह बीमारी अधिक सामान्य है।


मधुमेह : मधुमेह के मरीजों में ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ जाता है, खासकर अगर उनका रक्त शर्करा स्तर नियंत्रण में नहीं है।


उच्च रक्तचाप : उच्च रक्तचाप भी ग्लूकोमा के विकास में एक भूमिका निभा सकता है।


आंख की चोटें :  आंख की गंभीर चोटें या ऑपरेशन भी ग्लूकोमा के विकास का कारण बन सकते हैं।


नेत्र विकार : आंख की अन्य बीमारियां, जैसे कि रेटिनल डिटैचमेंट, आँख के ट्यूमर, या नेत्र सूजन, ग्लूकोमा के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।


लंबे समय तक स्टेरॉयड का उपयोग :  लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाओं का उपयोग, विशेष रूप से आई ड्रॉप्स, ग्लूकोमा के विकास का जोखिम बढ़ा सकता है।


पतली कॉर्निया : कॉर्निया की मोटाई कम होने पर भी ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ सकता है।


नसों में रक्त प्रवाह की समस्या : ऑप्टिक नर्व को रक्त प्रवाह कम होने से भी ग्लूकोमा का जोखिम बढ़ सकता है।

 

ग्लूकोमा से बचाव (Prevention of Glaucoma)

नियमित आंखों की जांच : नियमित जांच के माध्यम से ग्लूकोमा का प्रारंभिक चरण में ही पता लगाया जा सकता है। 40 वर्ष की उम्र के बाद हर 2-4 साल में, 55 वर्ष की उम्र के बाद हर 1-3 साल में, और 65 वर्ष की उम्र के बाद हर 1-2 साल में आंखों की जांच करानी चाहिए।

पारिवारिक इतिहास की जानकारी : यदि आपके परिवार में किसी को ग्लूकोमा है, तो आप अपने आंखों की नियमित जांच कराते रहें।


आंखों को चोट से बचाएं : खेलकूद, काम या किसी अन्य गतिविधि के दौरान आंखों को चोट से बचाने के लिए सुरक्षात्मक चश्मा पहनें।


स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नियमित व्यायाम करने से आंखों का दबाव कम किया जा सकता है। संतुलित आहार और उचित पोषण आँखों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। धूम्रपान छोड़ने से ग्लूकोमा और अन्य नेत्र रोगों का जोखिम कम हो सकता है।


मधुमेह और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखें : मधुमेह और उच्च रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित रखें और नियमित जांच कराएं। डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों का सही तरीके से उपयोग करें।


लंबे समय तक स्टेरॉयड का उपयोग न करें : अगर आपको स्टेरॉयड दवाइयों का उपयोग करना है, तो डॉक्टर की सलाह के बिना इनका लंबे समय तक उपयोग न करें।


आंखों की सुरक्षा : धूप में निकलते समय सनग्लास पहनें जो यूवी किरणों से सुरक्षा प्रदान करें। लंबे समय तक कंप्यूटर और मोबाइल का उपयोग करते समय बीच-बीच में आंखों को आराम दें।


आंखों की नियमित सफाई : आंखों को साफ और स्वच्छ रखें और किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचें।


तनाव से बचें : योग, ध्यान और अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करें जिससे आंखों का दबाव कम हो सकता है।

 

ग्लूकोमा का इलाज (Treatment of Glaucoma)

दवाइयांः  लाटानोप्रोस्ट, बिमाटोप्रोस्ट और ट्रावोप्रोस्ट आंखों के अंदर के तरल पदार्थ के प्रवाह को बढ़ाते हैं और दबाव को कम करते हैं। बीटा ब्लॉकर्स जैसे कि टिमोलोल और बेटाक्सोलोल ये तरल पदार्थ के उत्पादन को कम करते हैं। कार्बोनिक एनहाइड्रेज इन्हिबिटर्स जैसे कि डॉरज़ोलामाइड औरब्रिनज़ोलामाइड ये तरल पदार्थ के उत्पादन को कम करते हैं। एल्पा-एगोनिस्ट्स जैसे कि ब्रिमोनिडाइन ये तरल पदार्थ के उत्पादन को कम करते हैं और बहाव को बढ़ाते हैं।


गोलियां:

गंभीर मामलों में या जब आई ड्रॉप्स पर्याप्त नहीं होतीं, तो डॉक्टर गोलियों की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे कि एसीटाजोलामाइड और मिथाज़ोलामाइड आदि का सेवन डॉक्टर की सलाह करना चाहिए। 


लेजर थेरेपी : 

ओपन-एंगल ग्लूकोमा के लिए लेजर का उपयोग आंखों के ड्रेनेज चैनल्स को खोलने के लिए किया जाता है, जिससे तरल पदार्थ का प्रवाह बेहतर हो सके।

लेजर इरिडोटॉमी  एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा के लिए: एक छोटा छिद्र बनाकर आंख के अंदर के दबाव को कम किया जाता है।


सर्जरी : ट्राबेकुलेक्टॉमी सर्जरी में एक नया ड्रेनेज पाथवे बनाया जाता है, जिससे तरल पदार्थ बाहर निकल सके और दबाव कम हो सके।


ड्रेनेज इम्प्लांट : एक छोटा ट्यूब या वाल्व इम्प्लांट किया जाता है, जिससे तरल पदार्थ का बहाव नियंत्रित होता है।


माइक्रो-इनवेसिव ग्लूकोमा सर्जरी : यह नई तकनीक है जो पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम जटिल होती है और रिकवरी टाइम कम होता है। इसके कई प्रकार होते हैं, जैसे कि स्टेंट्स, माइक्रो-ट्यूब्स आदि।


जीवनशैली में बदलाव : नियमित व्यायाम करने से आंखों का दबाव कम हो सकता है। विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें। योग, ध्यान और अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकों का उपयोग।


वैकल्पिक चिकित्सा : कुछ लोगों को हर्बल सप्लीमेंट्स और एक्यूपंक्चर से भी राहत मिलती है, लेकिन इनके उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

 

मिलिए फेलिक्स हॉस्पिटल के सर्वश्रेष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ से 

डॉ. मोहम्मद उज़ैर ज़काई ने नेत्रविज्ञान में एक दशक से अधिक का अनुभव प्राप्त किया है और वे बुनियादी और उन्नत नेत्र प्रक्रियाओं में माहिर हैं। आउट पेशेंट देखभाल और आपातकालीन प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वे विभिन्न नेत्रीय जांचों में दक्ष हैं, जिनमें स्लिट लैम्प परीक्षा, OCT इमेजिंग, और फंडस फ्लोरोसिन एंजियोग्राफी शामिल हैं।


डॉ. दीपांजलि आर्य एक सम्मानित नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं जिनके पास 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे विभिन्न नेत्र स्थितियों का निदान, उपचार और शल्य चिकित्सा करने के लिए समर्पित हैं। डॉ. आर्य व्यक्तिगत उपचार योजनाओं के माध्यम से आंखों के स्वास्थ्य को सुधारने के प्रति प्रतिबद्ध हैं, जो प्रत्येक मरीज की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार तैयार की जाती हैं।


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निष्कर्ष (Conclusion)

ग्लूकोमा अक्सर शुरुआती चरणों में लक्षणहीन होता है, जिससे इसका समय पर निदान कठिन हो सकता है। नियमित नेत्र जांच और निगरानी महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनका ग्लूकोमा का जोखिम अधिक है। ग्लूकोमा को एक बार पहचान लेने के बाद, जीवन भर निगरानी और उपचार की आवश्यकता होती है। नियमित नेत्र जांच और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है। ग्लूकोमा का समय पर निदान और उचित उपचार दृष्टि हानि को रोकने के लिए आवश्यक है। यदि आप नोएडा में है और आपको ग्लूकोमा के लक्षण या जोखिम कारक दिखाई देते हैं, तो तुरंत नोएडा में नेत्र रोग विशेषज्ञ (Glaucoma Specialist in Noida) से परामर्श करें।

 

ग्लूकोमा को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (Frequently asked questions and answers about Glaucoma)

 

प्रश्न 1: ग्लूकोमा का निदान कैसे किया जाता है ?
उत्तर: ग्लूकोमा का निदान नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है, जिसमें टोनोमेट्री (आंख का दबाव मापना), ऑप्टिक नर्व का परीक्षण, विज़ुअल फील्ड टेस्ट, गोनियोस्कोपी, और पचिमेट्री (कॉर्निया की मोटाई मापना) शामिल हैं।


प्रश्न 2: ग्लूकोमा का इलाज कैसे किया जाता है ?
उत्तर: ग्लूकोमा का इलाज दवाइयों (आई ड्रॉप्स और गोलियां), लेजर थेरेपी, सर्जरी (ट्राबेकुलेक्टॉमी, ड्रेनेज इम्प्लांट्स), और माइक्रो-इनवेसिव ग्लूकोमा सर्जरी (MIGS) के माध्यम से किया जाता है। इलाज का उद्देश्य आंख के दबाव को कम करना और दृष्टि को बचाना है।


प्रश्न 3: क्या ग्लूकोमा का इलाज संभव है ?
उत्तर: ग्लूकोमा का इलाज संभव है, लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। इलाज का मुख्य उद्देश्य आंख के दबाव को नियंत्रित करना और दृष्टि हानि को रोकना है।


प्रश्न 4: क्या ग्लूकोमा को रोका जा सकता है ?
उत्तर: ग्लूकोमा को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन नियमित नेत्र जांच, स्वस्थ जीवनशैली, और जोखिम कारकों का प्रबंधन करके इसके विकास को धीमा किया जा सकता है।


प्रश्न 5: ग्लूकोमा का इलाज कौन करता है ?
उत्तर: ग्लूकोमा का इलाज नेत्र रोग विशेषज्ञ (ओफ़थैल्मोलॉजिस्ट) करते हैं। जटिल मामलों में ग्लूकोमा विशेषज्ञ भी शामिल हो सकते हैं। प्राथमिक जांच और प्रबंधन के लिए नेत्र चिकित्सक (ऑप्टोमेट्रिस्ट) भी मदद कर सकते हैं।


प्रश्न 6: ग्लूकोमा के लिए कौन जोखिम में है ?
उत्तर: 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, जिनके परिवार में ग्लूकोमा का इतिहास है, मधुमेह या उच्च रक्तचाप के मरीज, और जो लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाइयों का उपयोग करते हैं, उन्हें ग्लूकोमा का अधिक जोखिम होता है।


प्रश्न 7: क्या ग्लूकोमा के कारण अंधापन हो सकता है ?
उत्तर: हां, यदि ग्लूकोमा का समय पर निदान और उपचार नहीं किया जाता, तो यह अंधेपन का कारण बन सकता है। यह दृष्टि हानि के प्रमुख कारणों में से एक है।


प्रश्न 8: ग्लूकोमा के दौरान आंखों की देखभाल कैसे की जाए ?
उत्तर: डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से दवाइयां और आई ड्रॉप्स का उपयोग करें, नियमित नेत्र जांच कराएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन शामिल हैं।

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