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बच्चों में कैंसर एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, लेकिन प्रारंभिक पहचान और सही उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है। बच्चों में पाए जाने वाले प्रमुख कैंसर के प्रकारों के बारे में जानकारी पहले दी जा चुकी है। अब, बच्चों में कैंसर के सामान्य लक्षण, निदान, उपचार, और देखभाल के बारे में जानना महत्वपूर्ण है। बच्चों में कैंसर का इलाज समय पर और सही तरीके से किया जाए तो यह ठीक हो सकता है। जागरूकता और प्रारंभिक पहचान से इस समस्या से निपटना संभव है। यदि आपके या किसी और बच्चे के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत नोएडा में ऑन्कोलॉजिस्ट (Oncologist in Noida) से चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से…
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बचपन में होने वाले कैंसर (चाइल्डहुड कैंसर) कई प्रकार के होते हैं, जो बच्चों के शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। यह कैंसर बच्चों और किशोरों में होने वाले कैंसर के लिए संदर्भित है, और इनके लक्षण, उपचार और परिणाम वयस्कों के कैंसर से अलग हो सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रकार के बचपन के कैंसर और उनके सामान्य लक्षणों के बारे में जानकारी दी जा रही है:
ल्यूकेमिया (Leukemia): यह बच्चों में सबसे आम प्रकार का कैंसर है, जिसमें रक्त और अस्थि मज्जा प्रभावित होते हैं। ल्यूकेमिया के दो मुख्य प्रकार हैं। पहला एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया और दूसरा एक्यूट मायेलॉइड ल्यूकेमिया। थकान, बुखार, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, असामान्य रक्तस्राव, बार-बार संक्रमण, वजन घटाना इसके लक्षण हैं।
ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर : यह तंत्रिका तंत्र के सबसे आम प्रकार के ट्यूमर हैं। इनमें भी कई प्रकार होते हैं, जिनमें से मेडुलोब्लास्टोमा और ग्लियोमा प्रमुख हैं। सिरदर्द, उल्टी, दृष्टि में समस्या, संतुलन और चलने में कठिनाई इसके लक्षण हैं।
न्यूरोब्लास्टोमा: यह कैंसर तंत्रिका ऊतकों में उत्पन्न होता है और अधिकतर एड्रिनल ग्रंथि के पास पाया जाता है। यह आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होता है। पेट में सूजन, हड्डियों में दर्द, त्वचा पर नीले-लाल धब्बे, पलकें गिरना इसके लक्षण हैं।
विल्म्स ट्यूमर: यह किडनी में होने वाला एक प्रकार का कैंसर है और अधिकतर तीन से चार साल की उम्र के बच्चों में पाया जाता है। पेट में सूजन, पेट में दर्द, बुखार, भूख में कमी, रक्त में परिवर्तन इसके लक्षण हैं।
लिम्फोमा: यह कैंसर लिम्फ प्रणाली को प्रभावित करता है। इसके दो मुख्य प्रकार हैं। पहला हॉजकिन लिम्फोमा और दूसरा नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा। गर्दन, बगल, या कमर में सूजी हुई लिम्फ नोड्स, बुखार, रात को पसीना, वजन घटाना इसके लक्षण हैं।
रबडोमायोसारकोमा: यह कैंसर मांसपेशियों के ऊतकों में उत्पन्न होता है और अक्सर सिर, गर्दन, मूत्राशय, और प्रजनन अंगों में पाया जाता है। आंख की पुतली में सफेद धब्बा, आंख की रोशनी कम होना, आंखों का लाल होना या सूजना इसके लक्षण हैं।
रेटिनोब्लास्टोमा: यह आंखों के रेटिना में होने वाला एक प्रकार का कैंसर है, जो सामान्यतः छोटे बच्चों में पाया जाता है। आंख की पुतली में सफेद धब्बा, आंख की रोशनी कम होना, आंखों का लाल होना या सूजना इसके लक्षण है।
ऑस्टियोसारकोमा: यह हड्डियों का कैंसर है और यह किशोरों में अधिक आम है। यह अक्सर लंबी हड्डियों जैसे कि पैर और हाथों में पाया जाता है। हड्डियों में दर्द, सूजन, हड्डियों की कमजोरी इसके लक्षण हैं।
युविंग सारकोमा: यह भी एक प्रकार का हड्डी का कैंसर है, जो हड्डियों या आसपास के नरम ऊतकों में उत्पन्न होता है। हड्डियों या आसपास के ऊतकों में दर्द, सूजन, बुखार, थकान इसके लक्षण हैं।
असामान्य सूजन या गांठ: शरीर के किसी भी हिस्से में बिना कारण सूजन या गांठ होना।
लगातार बुखार: बिना किसी स्पष्ट कारण के लंबे समय तक बुखार बना रहना।
थकान और कमजोरी: बिना किसी कारण के अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस करना।
वजन कम होना: बिना किसी प्रयास के अचानक वजन कम होना।
रक्तस्राव और चोट: बार-बार नाक से खून आना, मसूड़ों से खून आना, या चोट लगने पर जल्दी खून जमना।
हड्डियों और जोड़ों में दर्द: हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द रहना।
निगलने में कठिनाई: निगलने में कठिनाई या पेट में दर्द।
नेत्र संबंधी समस्याएं: आंखों में सफेद चमक, धुंधलापन, या दृष्टि में कमी।
अनुवांशिक (Genetic) : कुछ बच्चों में कैंसर का जोखिम उनके जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है, जो उन्हें उनके माता-पिता से मिलता है। उदाहरण के लिए, रेटिनोब्लास्टोमा का कारण RB1 जीन में उत्परिवर्तन हो सकता है।
सिंड्रोम और अनुवांशिक विकार: कुछ अनुवांशिक सिंड्रोम जैसे कि ली-फ्रामेनी सिंड्रोम, बेकविथ-विदेमान सिंड्रोम, और न्यूरोफाइब्रोमैटॉसिस ट्यूमर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
पर्यावरणीय: गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद कुछ रसायनों और कीटनाशकों के संपर्क में आना बच्चों में कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। हालांकि, बच्चों में कैंसर के अधिकतर मामलों में पर्यावरणीय कारकों की भूमिका स्पष्ट नहीं है।
रेडिएशन: गर्भावस्था के दौरान या बचपन में रेडिएशन के संपर्क में आना कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। जैसे कि, उच्च-खुराक रेडिएशन थेरपी से कैंसर का उपचार करने वाले बच्चों में दूसरे कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
संक्रमण : कुछ वायरस बच्चों में कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए, एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी) लिम्फोमा से जुड़ा हुआ है, और हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) लिवर कैंसर से संबंधित हो सकता है।
जीवनशैली और अन्य कारक: परिवार में कैंसर के इतिहास से बच्चों में कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी: एचआईवी/एड्स या प्रतिरक्षादमनकारी दवाओं के उपयोग के कारण प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो सकता है, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
स्वाभाविक कारण: अधिकतर मामलों में, कैंसर किसी ज्ञात कारण के बिना ही जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है। ये स्वाभाविक म्यूटेशन विकास प्रक्रिया के दौरान हो सकते हैं और इनका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता।
कीमोथेरपी : कीमोथेरपी दवाओं का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मारने या उनके विकास को रोकने का उपचार है। यह अक्सर रक्त, अस्थि मज्जा, लिम्फ नोड्स, और अन्य तेजी से बढ़ने वाले कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होती है। इसके कारण बाल झड़ना, मतली, उल्टी, थकान, संक्रमण का जोखिम हो सकता है।
रेडिएशन थेरपी: उच्च-ऊर्जा रेडिएशन का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को मारने का उपचार है। यह ठोस ट्यूमर और मस्तिष्क के कैंसर के इलाज में प्रभावी हो सकता है। त्वचा की समस्याएं, थकान, अंगों को क्षति इसके दुष्प्रभाव है।
सर्जरी : कैंसरयुक्त ट्यूमर या प्रभावित ऊतकों को शल्यक्रिया के माध्यम से निकालना। यह ठोस ट्यूमर के इलाज के लिए सबसे आम विधि है। दर्द, संक्रमण, अंगों की कार्यक्षमता में कमी इसके दुष्प्रभाव है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट : अस्थि मज्जा को स्वस्थ स्टेम सेल्स से बदलने का उपचार है। यह अक्सर ल्यूकेमिया और अन्य रक्त कैंसर के मामलों में उपयोग होता है। संक्रमण, अंगों को क्षति, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याएं इसके दुष्प्रभाव है।
इम्यूनोथेरपी : प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करने वाला उपचार है। यह कुछ विशेष प्रकार के कैंसर में उपयोगी हो सकता है। थकान, बुखार, दाने इसके दुष्प्रभाव है।
टार्गेटेड थेरपी : यह कैंसर कोशिकाओं की विशिष्ट विशेषताओं को लक्षित करके उनका विकास रोकने का उपचार है। यह कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया और अन्य ठोस ट्यूमर के लिए उपयोगी हो सकता है। त्वचा की समस्याएं, उच्च रक्तचाप, रक्त के थक्के इसके दुष्प्रभाव है।
पेलियेटिव केयर : यह उपचार कैंसर के लक्षणों और उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने पर केंद्रित है। यह सभी चरणों में बच्चों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है। मानसिक और भावनात्मक समर्थन, जैसे काउंसलिंग और थेरेपी। यह बच्चे और उनके परिवार को मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करता है।
पोषण और आहार: कैंसर के इलाज के दौरान बच्चों के पोषण का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यह उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और ऊर्जा बनाए रखने में मदद करता है।
फिजिकल थेरेपी: शारीरिक गतिविधियों और व्यायाम के माध्यम से बच्चों की शारीरिक शक्ति और कार्यक्षमता को बनाए रखना। यह कैंसर के इलाज के बाद बच्चों के पुनर्वास में मदद करता है।
स्वस्थ जीवनशैली: बच्चों को पौष्टिक और संतुलित आहार देना चाहिए, जिसमें फल, सब्जियां, अनाज और प्रोटीन शामिल हों। नियमित शारीरिक गतिविधि और खेलकूद बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है। बच्चों को धूम्रपान और शराब से दूर रखें। गर्भावस्था के दौरान माताओं को भी इनसे बचना चाहिए।
पर्यावरणीय सुरक्षा: बच्चों को हानिकारक रसायनों और कीटनाशकों के संपर्क से बचाएं। अनावश्यक रेडिएशन के संपर्क से बचाएं और चिकित्सा संबंधी रेडिएशन का उपयोग केवल आवश्यक होने पर ही करें।
संक्रमण की रोकथाम: बच्चों का नियमित टीकाकरण सुनिश्चित करें। हेपेटाइटिस बी और HPV जैसे वायरस के खिलाफ टीकाकरण कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। बच्चों को व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना सिखाएं और उन्हें बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
अनुवांशिक सलाह: यदि परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लें। अनुवांशिक परीक्षण और परामर्श से कैंसर के जोखिम का आकलन किया जा सकता है। नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और चिकित्सा जांच से किसी भी असामान्यता का प्रारंभिक चरण में पता चल सकता है। बच्चों में किसी भी असामान्य लक्षण या शारीरिक परिवर्तन पर ध्यान दें और समय पर डॉक्टर से सलाह लें।
जानकारी और जागरूकता: बच्चों और उनके माता-पिता को कैंसर के जोखिम कारकों और लक्षणों के बारे में शिक्षित करें। स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लें। समुदाय और सहायता समूहों से जुड़ें जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सहायता प्रदान करते हैं।
सही समय पर निदान और उपचार, बच्चों की जीवन प्रत्याशा और गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सलाह के लिए फ़ोन करें - +91 9667064100.
डॉ. मुक्ता बक्सी एक उच्च कुशल चिकित्सा ऑन्कोलॉजिस्ट और कैंसर रोग विशेषज्ञ हैं। उनका विविध विशेषताओं में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव है, जिनमें शामिल हैं स्तन कैंसर, गर्भाशयीय कर्कटरोग, श्वसन कर्कटरोग, आंत्र कैंसररोग, तथा रक्त एवं लिम्फोइड कैंसररोग। वे हीमेटोपॉइएटिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण में भी कुशल हैं।
बच्चों में कैंसर(Cancers in Children) के अधिकांश मामले अज्ञात कारणों से होते हैं, और इनके पीछे किसी एक कारण का पता लगाना मुश्किल होता है। अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक मिलकर बच्चों में कैंसर के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। किसी भी संदिग्ध लक्षण या पारिवारिक इतिहास के मामले में चिकित्सकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक पहचान और सही चिकित्सा से बच्चों में कैंसर का प्रभावी उपचार संभव है। बच्चों में कैंसर से पूर्णतः बचाव संभव नहीं है, लेकिन उपरोक्त निवारक उपायों से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी किसी भी चिंता के मामले में तुरंत नोएडा के कैंसर हॉस्पिटल (Cancer Hospital in Noida) में चिकित्सकीय सलाह ली जाए। प्रारंभिक पहचान और सही समय पर इलाज बच्चों के जीवन की गुणवत्ता और उनके कैंसर के ठीक होने की संभावना को बढ़ा सकता है।
प्रश्न 1: बच्चों में कैंसर के सबसे सामान्य प्रकार कौन से हैं?
उत्तर: बच्चों में सबसे सामान्य कैंसर के प्रकार हैं: ल्यूकेमिया (विशेषकर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर, लिम्फोमा (हॉजकिन और नॉन-हॉजकिन), रबडोमायोसारकोमा, रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियोसारकोमा, युविंग सारकोमा हैं।
प्रश्न 2: बच्चों में कैंसर के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: बच्चों में कैंसर के लक्षण विभिन्न हो सकते हैं। जिनमें असामान्य सूजन या गांठ, लगातार बुखार, थकान और कमजोरी, वजन कम होना, बार-बार संक्रमण, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, निगलने में कठिनाई, नेत्र संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
प्रश्न 3: बच्चों में कैंसर का कारण क्या है?
उत्तर: बच्चों में कैंसर के अधिकांश कारण अज्ञात हैं, लेकिन कुछ संभावित कारण अनुवांशिक उत्परिवर्तन, पर्यावरणीय संपर्क (रसायन, कीटनाशक, रेडिएशन), वायरल संक्रमण, पारिवारिक इतिहास, प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी हैं।
प्रश्न 4: बच्चों में कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?
उत्तर: बच्चों में कैंसर का निदान विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जिनमें शारीरिक परीक्षा, रक्त परीक्षण, इमेजिंग टेस्ट (एक्सरे, एमआरआइ, सीटी स्कैन), बायोप्सी, अस्थि मज्जा परीक्षण शामिल हैं।
प्रश्न 5: बच्चों में कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?
उत्तर: बच्चों में कैंसर के इलाज के विभिन्न तरीके हैं, जिनमें कीमोथेरपी, रेडिएशन थेरपी सर्जरी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, इम्यूनोथेरपी, टार्गेटेड थेरपी सहायक उपचार जैसे कि पेलियेटिव केयर, मनोवैज्ञानिक समर्थन, पोषण और फिजिकल थेरेपी भी महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 6: बच्चों में कैंसर से बचाव कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: बच्चों में कैंसर से पूरी तरह से बचाव संभव नहीं है, लेकिन जोखिम कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली (संतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि), पर्यावरणीय सुरक्षा (रसायनों और रेडिएशन से बचाव), टीकाकरण, परिवारिक इतिहास की जानकारी और अनुवांशिक सलाह, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और लक्षणों पर ध्यान देकर कुछ कदम उठाए जा सकते हैं।
प्रश्न 7: बच्चों में कैंसर के इलाज के दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं?
उत्तर: कैंसर के इलाज के दुष्प्रभाव विभिन्न हो सकते हैं, जिनमें बाल झड़ना, मतली और उल्टी, थकान, संक्रमण का जोखिम, त्वचा की समस्याएं, अंगों को क्षति शामिल हैं।
प्रश्न 8: बच्चों में कैंसर के बाद पुनर्वास कैसे किया जाता है?
उत्तर: कैंसर के इलाज के बाद बच्चों का पुनर्वास महत्वपूर्ण है, जिसमें फिजिकल थेरेपी, मनोवैज्ञानिक समर्थन, पोषण और आहार पर ध्यान देना, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण शामिल हैं।