भारत में विभिन्न प्रकार के मौसम का अनुभव होता है, जो हमारी सेहत पर कई तरह से असर डालता है। इनमें से एक गंभीर समस्या है जोड़ों का दर्द, जिसे सामान्यत: गठिया (Arthritis) के रूप में जाना जाता है। गठिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, और कठिनाई होती है, खासकर बदलते मौसम के दौरान इसलिए समय रहते अच्छे रुमेटोलॉजी हॉस्पिटल से इलाज ले सकते है। यहां हम समझेंगे कि मौसम का बदलाव गठिया को कैसे प्रभावित करता है, और इससे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं।


क्या आप या आपका कोई प्रिय गठिया के कारण जोड़ों के दर्द से जूझ रहा है? तो आज ही हमारे अनुभवी रूमेटोलॉजी विशेषज्ञों के साथ परामर्श बुक करें हमें कॉल करें +91 9667064100

 

परिचय (Introduction)

जोड़ों के दर्द की सामान्य जानकारी:

जोड़ों का दर्द एक सामान्य समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।  यह दर्द चोट, उम्र बढ़ने, संक्रमण, या गठिया जैसी स्थितियों के कारण हो सकता है। जोड़ों में दर्द अक्सर सूजन, कठोरता, और गतिशीलता में कमी के साथ जुड़ा होता है। प्रभावित जोड़ों में सामान्यत घुटने, कंधे, कूल्हे, उंगलियां, और रीढ़ शामिल होते हैं।


गठिया का संक्षिप्त परिचय:

गठिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, और जकड़न होती है। यह 100 से अधिक प्रकारों का हो सकता है, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. ऑस्टियोआर्थराइटिस: उम्र बढ़ने और जोड़ों के क्षय के कारण।

  2. रूमेटॉइड आर्थराइटिस: एक ऑटोइम्यून रोग, जो जोड़ों को प्रभावित करता है।

  3. गाउट: शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना 
     

 

गठिया और बदलते मौसम का संबंध (The relationship between arthritis and changing weather)

ठंड और नमी वाले मौसम में जोड़ों में दर्द और सूजन बढ़ सकती है। वायुदाब में गिरावट से जोड़ों के भीतर दबाव बढ़ता है, जिससे दर्द अधिक महसूस होता है। ठंडे मौसम में रक्त प्रवाह कम होने के कारण मांसपेशियों और जोड़ों में कठोरता आ जाती है।

 

  • रक्त प्रवाह में कमी

ठंड में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे जोड़ों और आसपास के ऊतकों में सूजन और दर्द हो सकता है।

 

  • स्वास्थ्य पर अन्य प्रभाव

बारिश और सर्दी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे शरीर संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। गर्मी या उमस के मौसम में थकान और जोड़ों में सूजन बढ़ सकती है।

 

  • गर्मी और आर्द्रता:

अत्यधिक गर्मी और आर्द्रता भी कुछ लोगों के लक्षणों को बढ़ा सकती है। पसीना और शरीर में जल-अनुपात में असंतुलन मांसपेशियों और जोड़ों पर असर डाल सकता है।

 

  • मूवमेंट  में कमी:

सर्दी या बारिश के दौरान लोग कम सक्रिय हो जाते हैं, जिससे जोड़ों की लचक और गतिशीलता में कमी आती है। लंबे समय तक निष्क्रिय रहने से जोड़ों की कठोरता बढ़ जाती है।

 

  • नमी और बारिश का प्रभाव:

उच्च नमी स्तर के कारण जोड़ों के आसपास सूजन बढ़ जाती है, जिससे दर्द में इजाफा होता है। नम वातावरण में शरीर की सहनशीलता कम हो जाती है, और गठिया से प्रभावित जोड़ों में असहजता बढ़ जाती है।

 

  • शरीर की प्रतिक्रिया:

ठंडे मौसम में शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है कि वह गर्मी बनाए रखने के लिए मांसपेशियों को कस ले। इससे जोड़ों के चारों ओर तनाव और दर्द बढ़ सकता है। मौसम के बदलाव से नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, जिससे थकान और दर्द की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
 

 

लक्षणों की पहचान (Identifying the symptoms)

गठिया के लक्षणों की पहचान व्यक्ति को प्रारंभिक अवस्था में समस्या को समझने और सही समय पर इलाज कराने में मदद करती है। नीचे विस्तृत विवरण दिया गया है:

 

जोड़ों में दर्द और जकड़न:
  • दर्द:

    दर्द सामान्य रूप से सुबह उठने के बाद अधिक महसूस होता है या लंबे समय तक आराम करने के बाद बढ़ता है।  दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है और प्रभावित जोड़ों में लगातार बना रह सकता है।

     

  • जकड़न:

    जोड़ों में कठोरता महसूस होती है, खासतौर पर सुबह के समय।
    जोड़ों की गति सीमित हो सकती है।

     

  • सूजन और लालिमा:

    जोड़ों के आसपास सूजन होती है, जो स्पर्श करने पर गर्म या कोमल महसूस हो सकती है। त्वचा लाल हो सकती है, जिससे सूजनग्रस्त हिस्से में जलन और असहजता महसूस होती है।

     

  • चलने-फिरने में कठिनाई:

    जोड़ों में सूजन और जकड़न के कारण दैनिक गतिविधियां जैसे चलना, उठना-बैठना या सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल हो जाता है। गंभीर मामलों में जोड़ों की स्थायी क्षति के कारण गतिशीलता में स्थायी बाधा हो सकती है।

 

अन्य संभावित लक्षण:
  • गर्मी और थकान:

    प्रभावित व्यक्ति को हल्का बुखार या सामान्य थकान महसूस हो सकती है।

     

  • जोड़ों का आकार बदलना:

    लंबे समय तक लक्षण बने रहने पर जोड़ों का आकार विकृत हो सकता है।

     

  • कड़क आवाज:

    जोड़ों को हिलाने पर खड़खड़ाहट या कड़क आवाज आ सकती है।

     

  • ग्रिप में कमजोरी:

    हाथों की पकड़ कमजोर हो सकती है।
     

गठिया को मैनेज करने के उपाय (Ways to manage arthritis)

गठिया को मैनेज करना आवश्यक है ताकि लक्षणों को कम किया जा सके और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके। यहां कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं:


गर्म कपड़ों और कंबलों का उपयोग:

ठंड के मौसम में जोड़ों को गर्म रखना महत्वपूर्ण है। गर्म कपड़े, दस्ताने, मोजे, और कंबलों का उपयोग करें। गर्म पानी की थैली या हीटिंग पैड से प्रभावित जोड़ों पर सेकाई करें।


हल्की फिजिकल एक्टिविटी और व्यायाम:

  • स्ट्रेचिंग: 
    नियमित स्ट्रेचिंग से जोड़ों की लचक और गति बनाए रखी जा सकती है।

     

  • हल्का व्यायाम: 
    तैराकी, योग, या पैदल चलना जैसे कम प्रभाव वाले व्यायाम मददगार हो सकते हैं।

     

  • अति न करें: 
    जोड़ों पर अधिक दबाव डालने वाले व्यायाम से बचें। नियमित गतिविधि से जोड़ों के आसपास की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

     

खान-पान में सुधार और गर्म पेय का सेवन:

1. एंटी-इंफ्लेमेटरी भोजन:

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड (मछली, अलसी, अखरोट)।

  • हल्दी और अदरक जैसे प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ।

     

2. गर्म पेय:

हल्दी दूध, अदरक-तुलसी की चाय, और ग्रीन टी। गर्म पेय से शरीर को आराम और जोड़ों में रक्त प्रवाह बेहतर होता है।

 

3. पर्याप्त पानी पीना:

शरीर को हाइड्रेटेड रखें, जिससे जोड़ों की चिकनाई बनी रहे।

 

विटामिन डी का महत्व:

  • हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए:विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं।

  • सूरज की रोशनी: प्रतिदिन सुबह की धूप लें।

  • सप्लीमेंट्स: डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी सप्लीमेंट लें।
     

जीवनशैली में बदलाव:

  • आराम:

    पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी से दर्द बढ़ सकता है।

     

  • तनाव प्रबंधन:

    ध्यान, प्राणायाम, और रिलैक्सेशन तकनीक का उपयोग करें।

     

  • वजन नियंत्रण:

    अधिक वजन जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, इसलिए वजन संतुलित रखें।

     

डॉक्टर से कब संपर्क करें (When to contact a doctor)

गठिया के लक्षणों को कभी-कभी घरेलू उपायों और जीवनशैली में बदलाव से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन कुछ स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक हो जाता है। यहां ऐसे संकेत दिए गए हैं जब चिकित्सा सहायता लेना जरूरी है:

  • जब दर्द असहनीय हो जाए:

    यदि दर्द इतना बढ़ जाए कि दैनिक गतिविधियां जैसे चलना, उठना, बैठना मुश्किल हो जाएं। दर्द आराम या हल्की गतिविधियों के बाद भी कम न हो। दर्द रात में बढ़कर नींद को प्रभावित करे।

  • सूजन लंबे समय तक बनी रहे:

    यदि जोड़ों की सूजन कुछ दिनों या हफ्तों तक बनी रहे। सूजन के साथ लालिमा, गर्मी, या दबाने पर अत्यधिक दर्द महसूस हो। सूजन बढ़ती जाए या अन्य जोड़ों तक फैल जाए।

  • जोड़ों की हिलने-डुलने की क्षमता में कमी आए:

    यदि प्रभावित जोड़ों में कठोरता इतनी बढ़ जाए कि उन्हें हिलाना-डुलाना मुश्किल हो जाए। जोड़ों में स्थायी अकड़न या उनकी सामान्य गति खत्म हो जाए। गतिशीलता में कमी के कारण दैनिक कार्य बाधित होने लगें।

  • अन्य गंभीर लक्षण दिखें:

    बुखार के साथ जोड़ों में दर्द या सूजन। अचानक वजन घटना।अत्यधिक थकान या कमजोरी महसूस होना। त्वचा पर चकत्ते या अन्य असामान्य लक्षण दिखाई देना।

  • इलाज का प्रभाव न दिखे:

    यदि घरेलू उपाय, दर्द निवारक दवाएं, या अन्य उपचार प्रभावी न हों। यदि गठिया के लक्षण समय के साथ बदतर होते जाएं।

  • चिकित्सीय सलाह की जरूरत क्यों है ?

    गठिया के प्रकार का सही निदान करना (जैसे, रूमेटॉइड, ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट)। आवश्यक जांच (जैसे, एक्स-रे, ब्लड टेस्ट) कराना। सही दवाएं या उपचार योजना प्राप्त करना। दीर्घकालिक जटिलताओं (जैसे, जोड़ों का स्थायी नुकसान) को रोकना।
     

     

बदलते मौसम में गठिया रोकने के लिए सुझाव (Tips to prevent arthritis during changing seasons)

बदलते मौसम में गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने और उनकी तीव्रता को रोकने के लिए कुछ सावधानियां और उपाय अपनाए जा सकते हैं। यहां ऐसे सुझाव दिए गए हैं जो विशेष रूप से ठंड और नमी वाले मौसम में मददगार हो सकते हैं:
 

शरीर को गर्म और लचीला बनाए रखना:

  • गर्म कपड़े पहनें:

    ऊनी मोजे, दस्ताने, और स्कार्फ पहनें ताकि शरीर का तापमान बनाए रखा जा सके।

  • गर्म पानी से स्नान करें:

    यह जोड़ों को राहत देता है और लचीलापन बनाए रखता है।

  • हल्का व्यायाम करें:

    योग, स्ट्रेचिंग, और वॉकिंग जैसे व्यायाम से जोड़ों की लचक बनी रहती है और रक्त प्रवाह बेहतर होता है।

  • हीट थेरेपी:

    प्रभावित जोड़ों पर गर्म सेकाई करें।
     

खान-पान पर ध्यान दें:

  • एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार:

    हल्दी, अदरक, हरी सब्जियां, और फल जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स खाएं।

     

  • गर्म पेय का सेवन करें:

    हर्बल टी, सूप, और गर्म दूध जोड़ों को आराम देते हैं।

     

  • संतुलित आहार:

    प्रोटीन, विटामिन, और खनिजों से भरपूर आहार लें। अधिक पानी पीकर शरीर को हाइड्रेटेड रखें।

     

  • तनाव कम करें:

    ध्यान और प्राणायाम जैसे तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें। पर्याप्त नींद लें ताकि शरीर को ठीक होने का समय मिल सके।

     

  • नियमित जांच और चिकित्सा सलाह:

    रूमेटोलॉजिस्ट से नियमित परामर्श लें। मौसम बदलने के दौरान गठिया की तीव्रता को कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं का सही समय पर सेवन करें।

     

  • जोड़ों को अतिरिक्त दबाव से बचाएं:

    भारी सामान उठाने से बचें। कुशन वाले जूते पहनें जो पैरों के जोड़ों पर दबाव कम करें।
     

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रूमेटोलॉजी विशेषज्ञ युवा रोगियों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वे व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ और समर्थन प्रदान करते हैं, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, और इसके परिणामस्वरूप उनके जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य परिणाम बेहतर होते हैं। आप जोड़ों के दर्द के लक्षणों पर चर्चा करने के लिए डॉ. किरण सेठ या हमारी रूमेटोलॉजी विशेषज्ञ टीम से परामर्श लेना चाहते हैं, तो आज ही हमसे संपर्क करें।


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निष्कर्ष (conclusion)

बदलते मौसम में गठिया और जोड़ों के दर्द का प्रभाव बढ़ सकता है, लेकिन सही देखभाल और उपायों से इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। ऐसे मौसम में गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता, नियमित देखभाल, और समय पर चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है। यह न केवल जोड़ों की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि व्यक्ति की जीवनशैली को भी सुधारता है।
 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently asked questions)


1. क्या गठिया केवल ठंड में बढ़ता है ?

उत्तर: नहीं, गठिया ठंड के साथ-साथ अन्य मौसमों में भी बढ़ सकता है। ठंडे मौसम में मांसपेशियां और जोड़ों की कठोरता के कारण दर्द अधिक महसूस हो सकता है। बारिश और नमी वाले मौसम में वायुदाब में बदलाव के कारण सूजन और दर्द बढ़ सकता है।  गर्म और आर्द्र मौसम भी कुछ लोगों के लिए असहज हो सकता है, क्योंकि यह शरीर में थकान और सूजन को बढ़ा सकता है।हालांकि, ठंड का मौसम गठिया रोगियों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।


2. गर्म पानी से स्नान कितना फायदेमंद है ?

उत्तर: गर्म पानी से स्नान गठिया के लिए बेहद फायदेमंद है। जोड़ों की कठोरता कम करता है और मांसपेशियों को आराम देता है। रक्त प्रवाह बढ़ाने में मदद करता है, जिससे सूजन और दर्द कम होता है। थकावट और तनाव को भी कम करता है। स्नान के दौरान ईप्सम सॉल्ट (सेंधा नमक) मिलाने से अतिरिक्त राहत मिल सकती है। ध्यान रखें कि पानी बहुत गर्म न हो, क्योंकि अत्यधिक गर्मी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है।


3. गठिया के लिए कौन से व्यायाम बेहतर हैं ?

उत्तर: गठिया के लिए हल्के और जोड़ों पर कम दबाव डालने वाले व्यायाम सबसे अच्छे माने जाते हैं। स्ट्रेचिंग कजोड़ों की लचक और गति बनाए रखने के लिए। योग शरीर को लचीला और तनावमुक्त रखने में मदद करता है। तैराकी कम प्रभाव वाला व्यायाम है जो जोड़ों पर दबाव डाले बिना मांसपेशियों को मजबूत करता है। पैदल चलना हल्के कार्डियो के लिए, जो जोड़ों को सक्रिय रखता है। साइक्लिंग घुटनों और कूल्हों की सेहत के लिए फायदेमंद। व्यायाम शुरू करने से पहले डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श लें।


4. गठिया के लिए कौन से आहार अच्छे होते हैं ?

उत्तर: ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, और फल आपकी सेहत के लिए अच्छे होते हैं।


5. क्या व्यायाम गठिया में फायदेमंद है ?

उत्तर: हां, व्यायाम जोड़ों को लचीला रखने और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, जिससे दर्द में कमी आ सकती है।

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