पार्किंसंस रोग एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में डोपामाइन नामक रसायन के स्तर में कमी के कारण होता है। इस रोग का मुख्य प्रभाव शारीरिक गतिशीलता पर पड़ता है, जिससे शरीर में कंपकंपी, मांसपेशियों में अकड़न और संतुलन की समस्या उत्पन्न होती है। यह रोग अक्सर वृद्धावस्था में होता है, लेकिन कभी-कभी युवा व्यक्तियों में भी इसका असर देखा जा सकता है।  यदि आपको या किसी और को पार्किंसंस के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल से चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से..


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पार्किंसंस रोग क्या है ? (What is Parkinson's disease)

पार्किंसंस रोग एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) विकार है, जो मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करता है जो शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। यह एक प्रगतिशील विकार है, जिसका मतलब है कि समय के साथ इसके लक्षण बदतर होते जाते हैं। इस रोग का कारण मुख्य रूप से मस्तिष्क में डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी माना जाता है, जो मस्तिष्क के एक खास हिस्से (सबस्टेंटिया निग्रा) में डोपामाइन-उत्पादक न्यूरॉन्स के क्षय से होता है। यह विकार आमतौर पर वृद्धावस्था में होता है, हालांकि कुछ मामलों में यह युवा व्यक्तियों में भी पाया जा सकता है। इसका पूरी तरह से इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं। डोपामाइन को बढ़ाने वाली दवाओं, फिजिकल थेरेपी, और कुछ मामलों में सर्जरी से मरीज को राहत मिल सकती है।
 

पार्किंसंस रोग के लक्षण (Symptoms of Parkinson's Disease)

पार्किंसंस रोग एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) विकार है, जिसमें मस्तिष्क के कुछ हिस्से धीरे-धीरे कमजोर हो जाते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1. कंपन (Tremors)

आमतौर पर हाथों, पैरों या अंगुलियों में अनियंत्रित कंपकंपी होती है, विशेष रूप से हाथों में जब व्यक्ति आराम की स्थिति में होता है।


2. मांसपेशियों में कठोरता (Muscle Stiffness)

शरीर के अंगों में कठोरता या जकड़न महसूस होती है, जिससे चलने-फिरने में कठिनाई होती है।


3. मंद गति (Bradykinesia)

व्यक्ति की गति धीमी हो जाती है, जिससे साधारण कार्य जैसे चलना या हाथ उठाना भी धीमा और कठिन हो जाता है।


4. संतुलन और स्थिति में अस्थिरता (Postural Instability)

खड़े होने पर असंतुलन, गिरने का डर और शरीर की स्थिति को बनाए रखने में कठिनाई होती है।


5. शरीर का झुकना (Stooped Posture)

पार्किंसंस रोग से पीड़ित व्यक्ति का शरीर अक्सर आगे की ओर झुका हुआ दिखाई देता है।


6. हाथों का ठीक से न चलना (Loss of Automatic Movements)

आंखों की पलकें कम झपकना, चेहरे के भावों का कम होना, हाथों का चलते समय झूलना आदि जैसी स्वचालित क्रियाओं में कमी आ जाती है।


7. बोलने में समस्या (Speech Changes)  

आवाज धीमी, असामान्य या लड़खड़ाहट के साथ आ सकती है।


8. लिखने में कठिनाई (Writing Changes)

लिखावट में छोटापन या अक्षरों का आपस में मिला होना, जिसे माइक्रोग्राफिया कहा जाता है।

 

पार्किंसंस रोग के प्रकार (Types of Parkinson's Disease)

1. प्राथमिक पार्किंसंस (Idiopathic Parkinson's Disease):

यह सबसे सामान्य प्रकार है और इसका सटीक कारण अज्ञात होता है। इसमें मस्तिष्क में डोपामिन नामक रसायन की कमी होती है, जो मुख्य रूप से लक्षण उत्पन्न करता है।


2. पार्किंसंस प्लस सिंड्रोम (Parkinson-Plus Syndromes):

यह पार्किंसंस जैसे लक्षणों के साथ अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों का समूह है, जिसमें अतिरिक्त लक्षण शामिल होते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं:


3. प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी (PSP):

इसमें आंखों की गति, संतुलन और चलने में कठिनाई होती है।


4. मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी (MSA):

इसमें स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली में समस्या होती है, जो रक्तचाप, हृदय गति, पाचन आदि को प्रभावित करती है।


5. कॉर्टिकोबेसल डिजनरेशन (CBD):

इसमें शरीर के एक ओर कमजोरी और अकड़न होती है, और व्यक्ति में समन्वय की समस्या होती है।


6. अनुवांशिक पार्किंसंस (Genetic Parkinson’s Disease):

यह दुर्लभ प्रकार का पार्किंसंस है, जो परिवार में आनुवंशिकता के कारण होता है। कुछ खास जीन म्यूटेशन इसके कारण बन सकते हैं।


7. डोपामिनर्जिक रिसेप्टर ब्लॉकर से उत्पन्न पार्किंसंस (Drug-Induced Parkinsonism):

कुछ दवाओं, जैसे एंटीसाइकोटिक्स, का दीर्घकालिक उपयोग डोपामिन रिसेप्टर को प्रभावित करता है, जिससे पार्किंसंस जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। दवा बंद करने के बाद ये लक्षण सामान्यतः कम हो सकते हैं।


8. वैस्कुलर पार्किंसंस (Vascular Parkinsonism):

यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की समस्या (जैसे स्ट्रोक) के कारण होता है। इसमें मुख्य रूप से निचले शरीर पर प्रभाव पड़ता है और चाल में कठिनाई होती है।


9. युवावस्था पार्किंसंस (Young-Onset Parkinson's Disease):

यह 50 वर्ष से कम उम्र में शुरू होता है और इसके कारण अनुवांशिक या पर्यावरणीय हो सकते हैं।
 

पार्किंसंस रोग के कारण (Causes of Parkinson's Disease)

1. डोपामाइन न्यूरॉन्स का क्षय:

पार्किंसंस रोग का मुख्य कारण मस्तिष्क के बेसल गैन्ग्लिया क्षेत्र में डोपामाइन नामक रसायन का कमी होना है। डोपामाइन न्यूरॉन्स का क्षय होने से शरीर की गति और संतुलन पर असर पड़ता है।


2. आनुवंशिक कारण:

कुछ मामलों में, यह बीमारी परिवार में आनुवंशिकता के कारण भी हो सकती है। कुछ जीन म्यूटेशंस पार्किंसंस के विकास में योगदान कर सकते हैं।


3. पर्यावरणीय कारक:

कीटनाशकों, हर्बिसाइड्स, और भारी धातुओं जैसे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना पार्किंसंस रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है।


4. उम्र का बढ़ना:

उम्र बढ़ने के साथ पार्किंसंस रोग होने की संभावना बढ़ जाती है, खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में।


5. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस:

यह शरीर में फ्री रेडिकल्स की वृद्धि के कारण होता है, जो न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं और पार्किंसंस रोग के विकास में योगदान कर सकते हैं।


6. मस्तिष्क में सूजन:

कुछ अध्ययन बताते हैं कि मस्तिष्क में सूजन भी इस रोग का कारण हो सकती है, जिससे तंत्रिका कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।

 

पार्किंसंस रोग से बचाव और निदान (Prevention and diagnosis of Parkinson's disease)

पार्किंसंस रोग एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जो मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इसमें व्यक्ति के शरीर में कंपकंपी, गति में कठिनाई और संतुलन में परेशानी होती है। हालांकि पार्किंसंस रोग का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन कुछ तरीके अपनाकर इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

1. सक्रिय जीवनशैली:

नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधि से इस रोग का खतरा कम हो सकता है। योग और स्ट्रेचिंग से लचीलापन बनाए रखने में मदद मिलती है।


2. संतुलित आहार:

ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर युक्त भोजन से दिमाग को स्वस्थ रखा जा सकता है।


3. तनाव प्रबंधन:

तनाव और चिंता पार्किंसंस के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं, इसलिए ध्यान, योग, और अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपनाना सहायक होता है।


4. दवा और चिकित्सा:

डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं से डोपामाइन स्तर को संतुलित रखा जा सकता है। लेवोडोपा जैसी दवाइयाँ पार्किंसंस के लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं।


5. डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS):

गंभीर मामलों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन नामक प्रक्रिया में मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, जो कि पार्किंसंस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

 

पार्किंसंस रोग से बचने के लिए सुझाव:

  • नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधि अपनाएं।

  • संतुलित और पोषक आहार लें।

  • मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, तनाव को कम करें।

  • चिकित्सकीय परामर्श लेते रहें और लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
     

पार्किंसंस रोग का इलाज (Treatment of Parkinson's disease)

दवाएं (Medications)

  1. लेवोडोपा (Levodopa):

    यह सबसे प्रभावी दवा मानी जाती है, जो मस्तिष्क में डोपामाइन के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है।

     

  2. डोपामाइन एगोनिस्ट: 
    ये दवाएं मस्तिष्क में डोपामाइन की तरह काम करती हैं।

     

  3. एमएओ-बी इन्हिबिटर्स:

    ये दवाएं डोपामाइन के टूटने की प्रक्रिया को धीमा करती हैं, जिससे लक्षणों में कमी आती है।

     

  4. कैटेकोम-ओ-मेथिलट्रांसफरेज़ (COMT) इन्हिबिटर्स:

    ये दवाएं लेवोडोपा की अवधि बढ़ाती हैं।
     

सर्जरी (Surgery)

  1. डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS):

    इसमें मस्तिष्क के विशेष हिस्सों में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, जो लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह विधि उन मरीजों के लिए उपयोगी है, जिनमें दवाओं का असर कम हो गया हो।

     

  2. फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरेपी:

    फिजिकल थेरेपी मांसपेशियों की शक्ति बढ़ाने और संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
    ऑक्यूपेशनल थेरेपी रोजमर्रा के कार्यों को करने में सहायता प्रदान करती है।
     

वैकल्पिक चिकित्सा (Alternative Therapies)

  1. योग और ध्यान:

    ये मानसिक संतुलन बनाए रखने और तनाव को कम करने में सहायक होते हैं।

  2. एरोबिक एक्सरसाइज:

    यह लचीलेपन, संतुलन, और समन्वय में सुधार करती है।

  3. आहार और जीवनशैली में बदलाव:

    पौष्टिक आहार और नियमित एक्सरसाइज रोग की प्रगति को धीमा कर सकते हैं। कैफीन युक्त पेय पदार्थ (जैसे चाय और कॉफी) का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है। यह सभी उपचार व्यक्ति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग असर कर सकते हैं, इसलिए पार्किंसंस रोग के उपचार के लिए न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह लेना अनिवार्य है।
     

पार्किंसंस के लिए सबसे अच्छा डॉक्टर कौन है?

पार्किंसंस रोग के विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट होते हैं। फेलिक्स हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जन डॉ. सौम्य मित्तल, डॉ. सुमित शर्मा, और डॉ. आलोक कुमार दूबे, विशेष रूप से पार्किंसंस और अन्य मूवमेंट डिसऑर्डर का इलाज करते हैं, उन्हें "मूवमेंट डिसऑर्डर विशेषज्ञ" कहा जाता है। पार्किंसंस रोग के विशेषज्ञ से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है ताकि रोगी को सही देखभाल और उपचार मिल सके, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो।


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निष्कर्ष (Conclusion)

इस रोग का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। उपचार में मुख्य रूप से दवाइयाँ, शारीरिक उपचार, और कभी-कभी शल्य चिकित्सा (स्ट्रियोटैक्टिक सर्जरी) शामिल होती है। समय रहते उपचार और देखभाल से पार्किंसंस रोग के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे रोगी की जीवन गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
 

पार्किंसंस रोग के लक्षण को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और जवाब ( Frequently asked questions and answers about Parkinson's disease symptoms)

प्रश्न 1: पार्किंसंस रोग के मुख्य लक्षण क्या हैं ?

उत्तर: शारीरिक कंपन (ट्रेमर), हाथ, पैरों और चेहरे की मांसपेशियों में जकड़न या कठोरता, चलने में कठिनाई और धीमा चलना, संतुलन में कमी और गिरने की संभावना, शरीर के हिस्सों में गति की कमी आदि।


प्रश्न 2: क्या पार्किंसंस रोग का इलाज संभव है ?

उत्तर: पार्किंसंस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवाइयाँ और अन्य उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। डॉक्टर के मार्गदर्शन में दवाइयाँ और शारीरिक उपचार से जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।


प्रश्न 3: पार्किंसंस रोग का कारण क्या है ?

उत्तर: पार्किंसंस रोग का कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन यह मस्तिष्क में डोपामिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी के कारण होता है। इसके अलावा जीन, पर्यावरणीय कारक और उम्र भी इस रोग के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।


प्रश्न 4: पार्किंसंस रोग के लिए कौन सी दवा इस्तेमाल होती हैं ?

उत्तर: मलेवोडोपा (Levodopa) सबसे आम दवा है, जो मस्तिष्क में डोपामिन का स्तर बढ़ाती है। इसके अलावा डोपामिन एगोनिस्ट, MAO-B इनहिबिटर्स, और एंटीकॉलिनर्जिक दवाइयाँ भी इस्तेमाल की जाती हैं। इस बात का खास ध्यान दिया जाए की बिना डॉक्टर से पूछे दवा न ली जाए यह सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।


प्रश्न 5: क्या पार्किंसंस रोग में शारीरिक व्यायाम फायदेमंद है ?

उत्तर: हां, शारीरिक व्यायाम पार्किंसंस रोग के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। यह मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने, संतुलन सुधारने और चलने में मदद करता है।


प्रश्न 6: क्या पार्किंसंस रोग का असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है ?

उत्तर: हां, पार्किंसंस रोग से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। कई रोगियों को अवसाद, चिंता, और संज्ञानात्मक समस्याएँ हो सकती हैं।


प्रश्न 7: पार्किंसंस रोग के लिए सर्जरी की आवश्यकता कब होती है ?

उत्तर: जब दवा प्रभावी नहीं होतीं या लक्षणों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता, तो गहरे मस्तिष्क उत्तेजना (Deep Brain Stimulation, DBS) जैसी सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।


प्रश्न 8: पार्किंसंस रोग में क्या खाना चाहिए ?

उत्तर: पार्किंसंस रोग में फाइबर से भरपूर आहार लेना चाहिए। यह पाचन तंत्र को सही रखने में मदद करता है। इसमें फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज शामिल हैं। इसके अलावा, स्वस्थ वसा (जैसे, ओमेगा-3 फैटी एसिड) और प्रोटीन से भरपूर आहार जैसे मछली, अंडे, दालें और नट्स भी फायदेमंद होते हैं।

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