बवासीर (पाइल्स), जिसे हेमोरॉयड्स भी कहा जाता है। एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की नसों में सूजन हो जाती है। यह सूजन या तो आंतरिक रूप से (गुदा के अंदर) या बाहरी रूप से (गुदा के बाहर) हो सकती है। बवासीर एक सामान्य लेकिन असहज करने वाली समस्या हो सकती है। बवासीर दर्द, खुजल और मल त्याग के समय रक्तस्राव जैसे लक्षण पैदा कर सकती है। यदि आपको या किसी और को बवासीर के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत जनरल सर्जन (General surgeon) से चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। जानिए इसके बारे में विस्तार से.

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Table of Contents
बवासीर में कौन से खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए? (Which foods should be avoided in piles?) 
फाइबर युक्त सब्जियां जिनका सेवन करना चाहिए (Fiber-rich vegetables that should be consumed)
फाइबर युक्त फल जिनका सेवन करना चाहिए (Fiber rich fruits that should be consumed)
बवासीर में कौन से खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए? (Which foods should be avoided in piles?) 
बवासीर में आहार क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is Diet Important in Hemorrhoids?)
निष्कर्ष (Conclusion)



बवासीर में कौन से खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए? (Which foods should be avoided in piles?)
 

1-मसालेदार और तली-भुने खाद्य पदार्थ

क्योंः मसालेदार और तली-भुनी चीजें पाचन तंत्र में जलन पैदा कर सकती हैं, जिससे कब्ज या दस्त हो सकते हैं। कब्ज के कारण मल त्याग में कठिनाई होती है और इससे बवासीर की सूजन और दर्द बढ़ सकता है। मसालेदार भोजन पेट और आंतों में जलन पैदा कर सकता है, जो मल त्याग के समय गुदा क्षेत्र में जलन और खुजली का कारण बन सकता है। तली-भुनी चीजों में ट्रांस फैट और उच्च मात्रा में अनहेल्दी फैट्स होते हैं, जो शरीर में सूजन को बढ़ावा देते हैं। सूजन बढ़ने से के कारण होने वाली दर्द और असुविधा और भी बढ़ सकती है। तली-भुनी और मसालेदार चीजें अक्सर फाइबर में कम होती हैं, जिससे मल सख्त हो सकता है और मल त्याग में कठिनाई होती है। इससे लक्षण और भी खराब हो सकते हैं।

 

मसालेदार और तली-भुने खाद्य पदार्थ के नामः पानीपुरी, गोलगप्पे, चिकन करी, मटन करी, भिंडी मसाला, चिली पनीर, अचार (किसी भी प्रकार का), मसालेदार बिरयानी, पाव भाजी, स्पाइसी भेल पुरी, मसालेदार चाट (आलू चाट, पापड़ी चाट), आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। 
 

2- अल्कोहल और कैफीन 
क्योंः अल्कोहल और कैफीन दोनों ही डायूरेटिक होते हैं, जो शरीर से पानी निकालते हैं और निर्जलीकरण का कारण बनते हैं। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो मल सख्त हो जाता है, जिससे कब्ज होने का खतरा बढ़ जाता है। कब्ज के कारण मल त्याग में कठिनाई होती है, जो बवासीर को और भी दर्दनाक बना सकता है। अल्कोहल पेट और आंतों की परत को उत्तेजित कर सकता है, जिससे पाचन तंत्र में जलन और सूजन हो सकती है इससे सूजन और दर्द बढ़ सकता है। कैफीन युक्त पेय पदार्थ जैसे कॉफी और चाय भी पेट में एसिडिटी बढ़ा सकते हैं, जिससे पाचन तंत्र में असंतुलन हो सकता है। अल्कोहल रक्त वाहिकाओं को फैलाने (डाइलेट) का काम करता है, जिससे गुदा क्षेत्र की नसों में रक्त प्रवाह बढ़ सकता है। कैफीन भी रक्तचाप को अस्थायी रूप से बढ़ा सकता है, जिससे रक्त वाहिकाओं पर अधिक दबाव पड़ता है। अल्कोहल और कैफीन दोनों ही पाचन को प्रभावित कर सकते हैं और कुछ लोगों में दस्त या पेट की अन्य समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। दस्त भी बवासीर को और अधिक उत्तेजित कर सकता है, जिससे गुदा क्षेत्र में जलन और असुविधा बढ़ सकती है। 
अल्कोहल और कैफीन युक्त पदार्थों के नामः बीयर, वाइन (रेड वाइन, व्हाइट वाइन), व्हिस्की, वोदका, रम, टकीला, शैम्पेन, ब्रांडी, कॉकटेल्स, काली कॉफी, कैपुचीनो, लैटे, आइस्ड टी, डार्क चॉकलेट, से परहेजन करना चाहिए

 

3-तंबाकू
क्योंः तंबाकू, खासकर धूम्रपान के रूप में पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और कब्ज का कारण बन सकता है। कब्ज के कारण मल त्याग में कठिनाई होती है। तंबाकू का सेवन आंतों की गति को धीमा कर देता है, जिससे मल सख्त हो सकता है और मल त्याग के समय अधिक दबाव डालना पड़ता है। तंबाकू का सेवन रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आ सकती है। बवासीर के दौरान गुदा क्षेत्र की नसों में पहले से ही सूजन होती है, और तंबाकू के कारण रक्त प्रवाह में अवरोध से यह सूजन और बढ़ सकती है, जिससे दर्द और असुविधा बढ़ जाती है। तंबाकू में मौजूद रसायन शरीर में सूजन का कारण बन सकते हैं। तंबाकू का सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को भी कमजोर कर सकता है, जिससे शरीर में सूजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। तंबाकू के कारण शरीर की हीलिंग प्रोसेस धीमी हो जाती है। अगर बवासीर का इलाज (treatment of piles) किया जा रहा है या सर्जरी के बाद रिकवरी हो रही है, तो तंबाकू का सेवन घावों के ठीक होने में बाधा डाल सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है। 


तंबाकू युक्त पदार्थों के नामः सिगरेट, बीड़ी, सिगार, हुक्का, गुटखा, खैनी, जर्दा, मिश्री, तंबाकू पान मसाला, ई-सिगरेट से परहेज करना चाहिए


फाइबर युक्त फल जिनका सेवन करना चाहिए (Fiber rich fruits that should be consumed)


1- सेब
क्योंः सेब में पेक्टिन नामक एक घुलनशील फाइबर होता है, जो आंतों में पानी को अवशोषित(अब्जॉर्ब) करके मल को मुलायम बनाता है, जिससे बवासीर के दौरान दर्द और असुविधा कम होती है। आंतों की गतिशीलता को बढ़ाता है, जिससे कब्ज की संभावना कम हो जाती है। सेब में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (डिफेन्स सिस्टम) को मजबूत करते हैं और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। सेब में पानी की मात्रा भी अच्छी होती है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करती है।


2- नाशपाती 
क्योंः नाशपाती में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं। यह फाइबर मल को मुलायम बनाए रखने और कब्ज से राहत देने में मदद करता है। इससे मल त्याग के समय दबाव कम होता है और बवासीर के लक्षणों में राहत मिलती है। नाशपाती का सेवन पाचन तंत्र को सुगम बनाता है और आंतों की गतिविधियों को बेहतर करता है। यह कब्ज और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को कम करने में सहायक होता है।

 

3-केलाः
क्योंः केला में अच्छा खासा मात्रा में फाइबर होता है, खासकर पेक्टिन, जो आंतों को स्वस्थ बनाए रखने और मल को मुलायम बनाए रखने में मदद करता है। यह कब्ज को कम करता है और मल त्याग के समय दबाव को कम करता है, जिससे बवासीर के लक्षणों में राहत मिलती है। यह पेट के लिए सौम्य होता है। यह एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह पाचन तंत्र पर दबाव नहीं डालता।

 

4-पपीता
क्योंः पपीते में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है इससे मल त्याग के समय दबाव कम होता है। पपीते में पपैन नामक एंजाइम होता है जो पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। यह भोजन को पचाने में मदद करता है और आंतों की गतिविधियों को सुगम बनाता है। पपीते में विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।

 

5-जामुनः
क्योंः जामुन में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है। यह मल त्याग के समय दबाव कम करता है और बवासीर के लक्षणों में राहत मिलती है। जामुन में विटामिन C, विटामिन A, और मिनरल्स जैसे पोटेशियम और आयरन होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। जामुन में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को हटाते हैं और सूजन को कम करते हैं। जामुन में पानी की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखती है और मल को नरम बनाती है। यह कब्ज से राहत देने में मदद करता है।

 

6-संतराः 
क्योंः संतरे में अच्छा खासा फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है। यह मल त्याग के समय दबाव कम करता है और बवासीर के लक्षणों में राहत प्रदान करता है। संतरे में विटामिन C की अच्छी मात्रा होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और सूजन को कम करने में मदद करता है। विटामिन C भी त्वचा और रक्तवाहिकाओं की स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है। संतरे में पानी की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखती है और मल को नरम बनाती है, जिससे कब्ज से राहत मिलती है और मल त्याग में आसानी होती है।



फाइबर युक्त सब्जियां जिनका सेवन करना चाहिए (Fiber-rich vegetables that should be consumed)


1-पालकः
क्योंः पालक में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है। फाइबर से भरपूपालक त्याग के समय दबाव कम करता है। पालक में विटामिन होता है, जो रक्त के थक्के बनने में मदद करता है और रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह बवासीर से संबंधित खून के बहाव को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।


2-गाजर
क्योंः गाजर में अच्छी मात्रा में फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है। इससे मल त्याग के समय दबाव कम होता है। इसमें विटामिन A की अच्छी मात्रा होती है, जो त्वचा और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। यह सूजन और खून के बहाव को कम करने में सहायक हो सकता है। गाजर में विटामिन C भी होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और सूजन को कम करने में मदद करता है।

 

3-ब्रोकली
क्योंः ब्रोकली में अच्छा खासा फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है। यह मल त्याग के समय दबाव कम करता है और बवासीर के लक्षणों में राहत प्रदान करता है। ब्रोकली में विटामिन K की अच्छी मात्रा होती है, जो रक्त के थक्के बनने में मदद करता है और रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

 

4-मटरः
क्योंः मटर में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है। इससे मल त्याग के समय दबाव कम होता है। मटर में विटामिन C होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और सूजन को कम करने में मदद करता है। यह बवासीर के लक्षणों को राहत देने में सहायक हो सकता है मटर में विटामिन K होता है, जो रक्त के थक्के बनने में मदद करता है और रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक होता है।


5-गोभी
क्योंः गोभी में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो मल को मुलायम बनाता है और कब्ज से राहत देता है, यह मल त्याग के समय दबाव को कम करता है। गोभी में विटामिन K की अच्छी मात्रा होती है, जो रक्त के थक्के बनने में मदद करता है और रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

 

बवासीर में आहार क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is Diet Important in Hemorrhoids?)


बवासीर (हैमरोइड्स) के प्रबंधन में सही आहार का अत्यधिक महत्व है। उचित आहार न केवल लक्षणों को कम करने में मदद करता है बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी सुधारता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि फल, सब्जियां, और साबुत अनाज मल को मुलायम बनाते हैं, जिससे कब्ज की समस्या कम होती है। इससे दर्द और खून आना, में राहत मिलती है। फाइबर पाचन तंत्र को नियमित करता है और कब्ज को दूर करता है, जो इसके  प्रमुख कारणों में से एक है। पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ का सेवन मल को मुलायम बनाए रखता है और पाचन तंत्र को सुचारु रूप से काम करने में मदद करता है। कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कि ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली, विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स सूजन को कम करने में मदद करते हैं। अगर आप नोएडा में रहते है तो आप फेलिक्स हॉस्पिटल के जनरल सर्जन डॉ. रितेश अग्रवाल से सलाह ले सकते हैं।
 

गर आप बवासीर के लक्षणों से परेशान हैं और विशेषज्ञ से परामर्श चाहते हैं, तो अभी हमें +91 9667064100 पर कॉल करें। सही इलाज और आहार के साथ, आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

 

निष्कर्ष (Conclusion)

बवासीर (पाइल्स) एक आम लेकिन असुविधाजनक स्वास्थ्य समस्या है, जो गुदा और मलाशय की नसों में सूजन या सूजन के कारण होती है। इससे बचाव के लिए स्वस्थ आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि, और मल त्याग की सही आदतों का पालन करना आवश्यक है। यदि लक्षण बने रहते हैं या गंभीर हो जाते हैं, तो चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है। सही समय पर निदान और उपचार से इसकी समस्या को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। बवासीर का इलाज(treatment of piles) विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है और पाइल्स के ट्रीटमेंट की लागत (Cost of Piles Treatment) उपचार के प्रकार और अस्पताल पर निर्भर करती है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (Frequently asked Questions and Answers)

 

प्रश्न 1: बवासीर के इलाज के दौरान किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए ? 
उत्तर: बवासीर के इलाज(treatment of piles) के दौरान वसायुक्त, मसालेदार, और तला हुआ भोजन से बचना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों से आंत्र मार्ग में जलन हो सकती है, जिससे यह समस्या बढ़ सकती है। इसके अलावा, सफेद ब्रेड, रिफाइंड शुगर, और अत्यधिक कैफीन वाले पदार्थों का सेवन भी कम करना चाहिए।


प्रश्न 2: क्या बवासीर में फाइबर युक्त आहार लाभकारी होता है ?
उत्तर: हां, बवासीर में फाइबर युक्त आहार अत्यंत लाभकारी होता है। फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, दलिया, और साबुत अनाज पाचन तंत्र को सही बनाए रखने में मदद करते हैं और कब्ज को रोकते हैं, जो इस समस्या को कम करने में सहायक होते हैं।


प्रश्न 3: क्या बवासीर में पानी का सेवन बढ़ाना चाहिए ?
उत्तर: हां, बवासीर में पानी का पर्याप्त सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है। पानी पाचन तंत्र को साफ करने में मदद करता है और कब्ज को रोकता है, जिससे इसके लक्षण कम हो सकते हैं। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।


प्रश्न 4:  क्या बवासीर में दही का सेवन करना सुरक्षित है ?
उत्तर: हांं, दही का सेवन बवासीर में सुरक्षित और लाभकारी हो सकता है। दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं और कब्ज को दूर करते हैं।


प्रश्न 5: बवासीर में बासी भोजन से परहेज करना चाहिए ?
उत्तर: हां, बासी भोजन से परहेज करना चाहिए। बासी भोजन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और कब्ज की समस्या को बढ़ा सकता है, जो बवासीर को और खराब कर सकता है।


प्रश्न 6: क्या बवासीर के दौरान शराब का सेवन सुरक्षित है ?
उत्तर: बवासीर के दौरान शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। शराब से पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और यह कब्ज को बढ़ा सकता है, जिससे बवासीर की स्थिति और खराब हो सकती है।

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