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मिजल्स जिसे हिंदी में (measles in hindi) 'खसरा' के नाम से जाना जाता है। एक अत्यंत संक्रामक वायरल बीमारी है। यह रुबेला वायरस के कारण होता है, जो कि पैरामायक्सोविरिडे परिवार का सदस्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार मिजल्स उन बीमारियों में से एक है जिसे नियंत्रित करने में बड़ी सफलता मिली है, परन्तु यह आज भी विश्व में कई जगहों पर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है।
हम मिजल्स पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्ष्म है। अधिक जानकारी के लिए हमें कॉल करें +91 9667064100।
मिजल्स, जिसे हिंदी में खसरा (measles meaning in hindi)भी कहा जाता है, एक अत्यंत संक्रामक वायरल रोग है जो मुख्य रूप से बच्चों में होता है, हालांकि इससे वयस्क भी प्रभावित हो सकते हैं। मिजल्स बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैश्विक स्तर पर यह बच्चों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। छोटे बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह विकसित नहीं होती है, जिससे वे विभिन्न संक्रमणों के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। मिजल्स के खिलाफ टीकाकरण न होने से बच्चे इस बीमारी के लिए अत्यधिक जोखिम में आ जाते हैं। MMR वैक्सीन बच्चों को खसरा, मम्प्स और रुबेला से बचाती है। बच्चे अक्सर स्कूलों, डे केयर सेंटर्स या खेल के मैदानों में अन्य बच्चों के साथ मिलते हैं जहां यदि कोई संक्रमित व्यक्ति होता है तो संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। मिजल्स के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 10 से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। मिजल्स के कारण सूखी खांसी, नाक बहना, लाल, पानी वाली आंखें, थकान और अस्वस्थता का अनुभव, चेहरे और ऊपरी गर्दन में लाल चकत्ते जो बाद में पूरे शरीर में फैल जाते है।
वैज्ञानिक रूप से मिजल्स वायरस को आमतौर पर एक ही प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वायरस के विभिन्न जीनोटाइप्स की पहचान की है। ये जीनोटाइप भौगोलिक रूप से भिन्न हो सकते हैं और वायरस के फैलाव व इतिहास की ट्रैकिंग में मदद करते हैं। विभिन्न जीनोटाइप्स की भौगोलिक विविधता इसके प्रबंधन और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। मिजल्स से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण है और इसे सभी बच्चों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही, उपयुक्त चिकित्सा देखभाल और समय पर उपचार से इसके गंभीर परिणामों को रोका जा सकता है।
मिजल्स(खसरा) के लक्षण आमतौर पर 10-12 दिनों के इनक्यूबेशन पीरियड के बाद प्रकट होते हैं। शुरुआती लक्षणों में बुखार, खांसी, नाक बहना, आंखों में लाली और संवेदनशीलता शामिल हैं। इनके बाद 'कोप्लिक के स्पॉट्स' नामक विशेष छोटे सफेद धब्बे मुंह के अंदर दिखाई देते हैं। इसके कुछ दिनों बाद, शरीर पर एक विशिष्ट लाल चकत्ते का निकलना शुरू होता है, जो सिर से शुरू होकर पैरों तक फैल जाता है।मिजल्स के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 10 से 12 दिनों के बाद दिखाई देते हैं और इसमें शामिल हैं।
मिजल्स(खसरा) एक विशेष प्रकार के वायरस, जिसे मोरबिली वायरस कहा जाता है, के कारण होता है। यह वायरस इंफ्लुएंजा वायरस के समान होता है और हवा के माध्यम से फैलता है, मुख्य रूप से जब एक संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है।वायरस युक्त बूंदें हवा में काफी समय तक सक्रिय रह सकती हैं। और यह वायरस दूषित सतहों पर भी कई घंटों तक जीवित रह सकता है।
मिजल्स की जटिलताओं में निमोनिया, दिमागी सूजन (एन्सेफलाइटिस), और मृत्यु शामिल हो सकती हैं। खासकर कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों और बच्चों में। इसीलिए मिजल्स का समय पर निदान और उचित उपचार महत्वपूर्ण है।
मिजल्स(खसरा) एक वायरल रोग है जो कि मीज़ल्स-मम्प्स-रुबेला (MMR) वायरस के कारण होता है। यह बीमारी बेहद संक्रामक होती है और मुख्यतः बच्चों को प्रभावित करती है, हालांकि वयस्कों में भी इसके संक्रमण की संभावना रहती है। मिजल्स के संक्रमण का पता लगाने के लिए कुछ विशेष जांचें की जाती हैं जो कि निदान में मदद करती हैं। मिजल्स के मुख्य लक्षणों में उच्च बुखार, खांसी, नाक बहना, आंखों का लाल होना, और शरीर पर दाने निकलना शामिल हैं। इन लक्षणों के दिखाई देने पर तुरंत मेडिकल सलाह लेनी चाहिए।
यह टेस्ट मिजल्स के विशेष एंटीबॉडीज की मौजूदगी को मापता है। खून के नमूने से यह पता लगाया जाता है कि शरीर में IgM और IgG एंटीबॉडीज का स्तर क्या है, जो कि संक्रमण की पुष्टि करता है।
यह टेस्ट श्वसन पथ से लिए गए नमूनों की जांच करता है। यह टेस्ट वायरस की मौजूदगी को साबित करने में सबसे विश्वसनीय माना जाता है।
यह एक उन्नत तकनीक है जिसके द्वारा मिजल्स वायरस के जेनेटिक मटेरियल की पहचान की जाती है।यह टेस्ट शुरुआती चरण में ही संक्रमण का पता लगा सकता है। मिजल्स की जांच तब करानी चाहिए जब व्यक्ति में उपरोक्त लक्षण दिखाई देने लगें। विशेषकर अगर वह व्यक्ति हाल ही में मिजल्स से प्रभावित किसी क्षेत्र में गया हो या फिर उसका संपर्क संक्रमित व्यक्ति से हुआ हो। यदि व्यक्ति को पहले कभी MMR का टीका नहीं लगा हो तो भी जांच कराना उचित होता है।
मिजल्स (खसरा) एक अत्यंत संक्रामक वायरल रोग है, जिससे बचाव के लिए समझदारी और सावधानी अत्यंत आवश्यक हैं। मिजल्स वायरस से उत्पन्न होने वाली बीमारी है जो कि रुबेला वायरस के संक्रमण से फैलती है। इसके संक्रमण का मुख्य स्रोत संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक होती है। मिजल्स की रोकथाम में वैक्सीनेशन सबसे महत्वपूर्ण कदम माना जाता है, और यह विश्व स्तर पर मिजल्स को खत्म करने की दिशा में उठाया गया एक प्रभावी कदम है।
मिजल्स की रोकथाम के लिए सबसे प्रभावी उपाय मीजल्स, मंप्स और रुबेला (MMR) वैक्सीन है। यह वैक्सीन बचपन में दो डोज़ में दी जाती है और यह मिजल्स से बचाव में काफी कारगर साबित हुई है। हालांकि, वैक्सीन के बावजूद, कई देशों में वैक्सीनेशन कवरेज कम होने की वजह से मिजल्स के प्रकोप होते रहते हैं। उपचार के लिए, मिजल्स का कोई विशेष उपचार नहीं है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने और संक्रमण के दौरान शरीर को सहायता प्रदान करने पर केंद्रित होता है। हल्के मामलों में, आराम, हाइड्रेशन और बुखार को कम करने के लिए पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन का सेवन किया जाता है। मिजल्स बच्चों में एक गंभीर बीमारी हो सकती है, लेकिन इससे बचाव संभव है। सही जानकारी और समय पर टीकाकरण के माध्यम से हम अपने बच्चों को इस खतरनाक बीमारी से बचा सकते हैं और उनके स्वस्थ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
मिजल्स से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है टीकाकरण। MMR (मीजल्स, मंप्स और रुबेला) वैक्सीन बच्चों को दो चरणों में दी जाती है। पहला डोज जन्म के 12 से 15 महीने के बीच और दूसरा डोज 4 से 6 वर्ष की उम्र में। यह वैक्सीन मिजल्स से बचाव में 97% तक प्रभावी है।
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। यदि घर में कोई संक्रमित है, तो उसे अलग कमरे में रखना चाहिए और उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को मास्क पहनना चाहिए।
नियमित रूप से हाथ धोना, सतहों को साफ करना, और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है, विशेषकर जब आप किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट हों।
समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम और शिक्षा प्रदान करना, जिसमें लोगों को मिजल्स के लक्षणों, उसके प्रसार के तरीकों और रोकथाम की जानकारी दी जाती है।
किसी भी लक्षण की पहचान होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। जल्दी उपचार और सही सलाह रोग के फैलाव को रोकने में मदद कर सकती है। समाज में बचाव के प्रयास विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन सक्रिय रूप से मिजल्स के उन्मूलन के लिए कार्य कर रहे हैं।विकसित और विकासशील देशों में व्यापक टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से, साथ ही साथ जन जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए, मिजल्स के प्रसार को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं।
मिजल्स की रोकथाम के लिए सबसे प्रभावी उपाय मीज़ल्स-मम्प्स-रुबेला (MMR) वैक्सीन है। यह वैक्सीन बच्चों को 12 से 15 महीने की उम्र में पहली डोज और फिर 4 से 6 वर्ष की उम्र में दूसरी डोज के रूप में दी जाती है। MMR वैक्सीन मिजल्स के खिलाफ 97% तक प्रभावी है। मिजल्स का वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बातचीत के दौरान निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। यह वायरस हवा में कई घंटों तक सक्रिय रह सकता है, इसलिए किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये बिना भी व्यक्ति मिजल्स के संक्रमण का शिकार हो सकता है। अगर आप अपने आस पास जनरल फिजिशियन हॉस्पिटल (nearby general physician hospital) ढूंढ रहे है तो नॉएडा में आपको काफी रहत मिल सकती है |
फेलिक्स हॉस्पिटल आप के लिए हमेशा तैयार है मिजल्स से जुड़े किसी भी सवाल के लिए हमसे संपर्क करें : +91 9667064100 |
आज के समय में, जबकि हम अधिकतर बीमारियों के लिए उपचार और वैक्सीन विकसित कर चुके हैं, मिजल्स अभी भी विश्व स्तर पर एक चुनौती प्रस्तुत करता है। इसके नियंत्रण के लिए वैक्सीनेशन और जन जागरूकता आवश्यक हैं। इससे न केवल खसरा रोग का मुकाबला किया जा सकता है, बल्कि हम अन्य संक्रमणों के प्रति भी अधिक सचेत और तैयार हो सकते हैं। मिजल्स से बचाव संभव है और इसके लिए आवश्यक है कि सभी स्तरों पर सही कदम उठाए जाएं। टीकाकरण, संक्रमण के प्रसार को रोकने के उपाय, स्वच्छता का ध्यान रखना, और समुदायों में जागरूकता बढ़ाना, ये सभी कदम मिजल्स के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण हैं। आइए हम सभी मिलकर मिजल्स के उन्मूलन की दिशा में काम करें और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करें।
उत्तर: मिजल्स के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं उच्च बुखार, सूखी खांसी, नाक बहना, लाल आंखें, संवेदनशील त्वचा, और चेहरे से शुरू होकर पूरे शरीर में फैलने वाले चकत्ते। इसके अलावा, मुंह के अंदर मसूड़ों के पीछे कोपलिक के धब्बे भी एक महत्वपूर्ण लक्षण हैं।
उत्तर: मिजल्स हवा के माध्यम से फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वायरस युक्त बूंदें हवा में फैल जाती हैं और ये बूंदें दूसरों द्वारा श्वसन पथ में ली जा सकती हैं। यह वायरस दूषित सतहों पर भी कई घंटों तक जीवित रह सकता है।
उत्तर: मिजल्स के लिए कोई विशेष चिकित्सा उपचार नहीं है। उपचार मुख्यतः लक्षणों को नियंत्रित करने और रोगी के आराम में सुधार करने पर केंद्रित होता है। बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन का उपयोग किया जा सकता है, और बहुत सारा तरल पदार्थ पीना चाहिए।
उत्तर: मिजल्स से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका MMR (मीजल्स-मम्प्स-रुबेला) वैक्सीन है। यह वैक्सीन बच्चों को 12 से 15 महीने की उम्र में पहली डोज और 4 से 6 वर्ष की उम्र में दूसरी डोज के रूप में दी जाती है।
उत्तर: मिजल्स की जटिलताएं गंभीर हो सकती हैं, विशेषकर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों में। इनमें निमोनिया, एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क दिमागी सूजन) और मृत्यु शामिल हो सकती हैं। खासकर कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों और बच्चों में। इसीलिए मिजल्स का समय पर निदान और उचित उपचार महत्वपूर्ण है।