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इस लेख में, हम लिम्फोसाइट्स (lymphocytes in Hindi meaning) का अर्थ, उनके उच्च और निम्न स्तर, कारण, लक्षण, जांच, और उपचार से संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे।
लोग अक्सर कमजोर इम्यूनिटी के कारण बीमार पड़ जाते हैं। ये श्वेत रक्त कोशिकाएं हमें बीमारियों से लड़ने और स्वस्थ होने में मदद करती हैं। इन्हीं श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार होता है, जिसे लिम्फोसाइट्स (lymphocyte Hindi meaning) कहा जाता है।
इसलिए, इन कोशिकाओं की सही मात्रा में होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉक्टर द्वारा नियमित रक्त परीक्षण के दौरान लिम्फोसाइट्स का परीक्षण किया जा सकता है। इन कोशिकाओं का स्तर हर स्थिति में थोड़ा भिन्न हो सकता है।
लिम्फोसाइट्स वे व्हाइट ब्लड सेल्स हैं जो हमारे शरीर में मिलते हैं और संक्रमण और बीमारियों से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हें हमारे इम्यून सिस्टम के सैनिक कहा जाता है, जो निरंतर हानिकारक आक्रमणकारियों जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस, और अन्य पैथोजन्स को पहचाने में लगे रहते हैं।
लिम्फोसाइट्स (lymphocytes in hindi meaning) अलग-अलग भागों में बनते हैं, जैसे कि बोन मैरो और थाइमस ग्रंथि, और ये पूरे रक्त परिसंचरण और लिम्फेटिक सिस्टम में बटते हैं। जब इन्हें किसी बाहरी पदार्थ से नाकाबूंद करना पड़ता है, तो ये मिलकर उसे पहचानने और समाप्त करने में मदद करते हैं, जिससे हमारा शरीर का रक्षा प्रणाली मजबूत होता है।
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लिम्फोसाइट्स वे कोशिकाएं हैं जो हमारे शरीर में होती हैं और हमें बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं। इन्हें दो प्रकारों में बाँटा गया है - टी लिम्फोसाइट्स (lymphocyte hindi meaning) और बी लिम्फोसाइट्स।
1. टी लिम्फोसाइट्स: ये कोशिकाएं हमारे शरीर में बीमारियों के खिलाफ लड़ने और उन्हें मिटाने में मदद करती हैं। ये शरीर में बनती हैं और जब कोई बीमारी हमारे शरीर में प्रवेश करती है, तो ये उसे पहचानकर मिटाने में मदद करती हैं। इनका जीवनकाल लम्बा होता है।
2. बी लिम्फोसाइट्स: ये भी हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं। ये शरीर में बनती हैं और जब कोई बीमारी हमारे शरीर में प्रवेश करती है, तो ये उसे मिटाने में मदद करती हैं। इन्हें हमारे शरीर में रहने वाली दुष्प्रभावित कोशिकाएं पहचानने की क्षमता होती है।
ये सेल्स हमारे बॉडी में इम्यूनिटी (सुरक्षा) बनाने में मदद करते हैं। इनका मुख्य काम होता है कि जब भी कोई बीमारी वाला वायरस या बैक्टीरिया आता है, तो ये उसको पहचान कर उसका मुकाबला करते हैं। इनकी एक महत्वपूर्ण बात ये है कि वे अपने पास्ट में हुई लड़ाइयों को याद रखकर भविष्य में भी त्वरित और प्रभावी तरीके से जवाब दे सकते हैं।
1. बीमारियों को पहचानना: ये सेल्स किसी भी हानिकारक वायरस या बैक्टीरिया को पहचानने में मदद करते हैं।
2. इम्यूनिटी बनाए रखना: इनका काम है हमें पहले से ही सिखा हुआ वायरस या बैक्टीरिया को याद रखकर भविष्य में उनके हमले के लिए तैयार रहना।
3. एंटीबॉडीज बनाए: कुछ लिम्फोसाइट्स, जिन्हें हम बी-सेल्स भी कहते हैं, वे एंटीबॉडीज बनाते हैं। ये एंटीबॉडीज हमारे बॉडी को हमले करने वाले किसी भी हानिकारक तत्व से बचाते हैं।
4. सीधा हमला: कुछ और लिम्फोसाइट्स, जो टी-सेल्स कहलाते हैं, सीधे संक्रमित सेल्स पर हमला करते हैं, जिससे वो और आगे नहीं बढ़ सकते।
लिम्फोसाइट्स गिनती वह प्रक्रिया है जिसमें हम रक्त परीक्षण के बाद अपनी गिनती की सीमा को जानते हैं। इसके लिए हमें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि हमें अपने परिणामों का सही समझ मिल सके। क्योंकि यह प्रयोगशाला विभिन्न तरीकों से कोशिकाओं की गिनती करती है, इसलिए परिणाम भिन्न हो सकते हैं।
लिम्फोसाइट (lymphocytes in Hindi meaning) गिनती का मतलब है कि हमारे रक्त में कितने लिम्फोसाइट्स हैं। यह गिनती वयस्कों के लिए और बच्चों के लिए भी अलग-अलग होती है। वयस्कों के लिए सामान्यतः रक्त के प्रति माइक्रोलीटर 1000 से 4800 लिम्फोसाइट्स तक की सीमा होती है, जबकि बच्चों में यह 3000 से 9500 प्रति माइक्रोलीटर रक्त के बीच होता है।
लिम्फोसाइट्स वे शरीर के कारगर होते हैं जो कैंसर, प्रतिरक्षा और ऑटोइम्यूनिटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन शरीररक्षकों की संख्या को तीन कारकों - कोर्टिसोल, एस्ट्रोजन, और टीएसएच के साथ जोड़ा जा सकता है। यहां लिम्फोसाइट्स की संख्या का सामान्य मापन है:
1. सामान्य लिम्फोसाइट्स स्तर
व्यक्ति की आयु, वंश, लिंग, ऊँचाई, और जीवनशैली पर निर्भर करता है कि लिम्फोसाइट्स की सामान्य संख्या कितनी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए:
2. उच्च लिम्फोसाइट्स स्तर
वयस्कों में, अगर प्रति 1 माइक्रोलीटर रक्त में लिम्फोसाइट्स (lymphocyte hindi meaning) 4,800 से अधिक हैं, तो इसे उच्च लिम्फोसाइट्स स्तर माना जाता है। इसे लिम्फोसाइटोसिस भी कहा जाता है, जो आमतौर पर किसी संक्रमण या अंदरूनी बीमारी का संकेत हो सकता है। यह उच्च स्तर शरीर को बीमारियों से बचाने का प्रयास हो सकता है।
3. निम्न लिम्फोसाइट्स स्तर
वयस्कों में, अगर प्रति 1 माइक्रोलीटर रक्त में लिम्फोसाइट्स 1,000 से कम हैं, तो इसे निम्न लिम्फोसाइट्स स्तर माना जाता है।
जब लिम्फोसाइट की संख्या बढ़ जाती है, तो आपको इन लक्षणों का सामना हो सकता है। जैसे:
1. लसीका ग्रंथि में सूजन: आपकी लसीका ग्रंथि में सूजन हो सकती है।
2. रात में ज्यादा पसीना: आपको रात में ज्यादा पसीना आ सकता है।
3. बुखार (Fever): बुखार हो सकता है।
4. पेट में दर्द (Stomach ache) : आपके पेट में दर्द हो सकता है।
5. भूख की कमी: खाने के लिए भूख नहीं लगती है।
6. सांस लेने में दिक्कत: कभी-कभी आपको सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।
रक्त में लिम्फोसाइट(meaning of lymphocytes in hindi) की कमी को लिम्फोपीनिया या लिम्फोसाइटोपेनिया भी कहा जाता है। यह स्थिति जन्मजात भी हो सकती है या समय के साथ विकसित हो सकती है। इसके लक्षण नीचे दिए गए हैं:
1. बुखार, बहती नाक और खांसी जैसे लक्षण: संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं जैसे बुखार, बहती नाक, और खांसी।
2. त्वचा पर दाने या जलन: त्वचा पर दाने हो सकते हैं या जलन हो सकती है।
3. जोड़ों में सूजन और दर्द: जोड़ों में सूजन और दर्द रह सकता है।
4. लसीका पर्व में सूजन: लसीका पर्व में सूजन हो सकती है।
5. काफी लोगों को मुंह में छाले होते हैं: प्लीहा में भी सूजन आ सकती है।
6. पीलिया (Jaundice): यह एक प्रकार का रक्त की कमी है जिससे त्वचा और आँखों का पीलापन हो सकता है।
लिम्फोसाइट स्तर बढ़ने से, टीएसएच और थायरॉयड की स्थिति में बदलाव हो सकता है। लिम्फोसाइट्स (meaning of lymphocytes in hindi) ज्यादा होने के कारण हो सकता है:
1. संक्रमण: यह बहुत आम है, खासकर उन लोगों में जिन्हें हाल ही में संक्रमण हुआ हो, विशेषकर विषाणु संक्रमण।
2. एपस्टीन-बार विषाणु: यह मोनोन्यूक्लिओसिस बीमारी का कारण हो सकता है।
3. साइटोमेगालोवायरस: जो एक प्रकार का दाद वायरस है।
4. काली खांसी: जो संक्रामक श्वसन है, जिसमें विशिष्ट प्रकार की खांसी होती है।
5. एडेनोवायरस: जो श्वसन प्रणाली से जुड़े संक्रमण के लक्षण पैदा करता है।
6. हेपेटाइटिस: जिससे जिगर में सूजन हो सकती है।
7. चिकनपॉक्स: जो त्वचा पर छाले पैदा कर सकता है।
8. कण्ठमाला: जिसमें पेरोटिड लाल ग्रंथियां सूज सकती हैं।
9. खसरा: एक संक्रमण बीमारी है जो रुवी जीवाणु से हो सकती है।
10. एचआईवी: यह भी एक संक्रमण है जो शरीर की प्रतिरक्षा को कमजोर कर सकता है।
1. दीर्घकालिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (एक प्रकार का रक्त कैंसर)
2. नॉन-हॉजकिन लिंफोमा (लसीका तंत्र में विकसित होनेवाला एक रक्त कैंसर का समूह)
3. तीव्र लसीका ब्लास्टिक ल्यूकेमिया (कैंसर जो रक्त और अस्थि-मज्जा को प्रभावित करता है)
4. बड़े दानेदार लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (दुर्लभ प्रकार का कैंसर जो सफेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है)
इसके अलावा, लिम्फोसाइट्स (meaning of lymphocytes in hindi) के उच्च स्तर से जुड़ी कुछ चिकित्सा स्थितियों में जो लंबे समय तक सूजन बनी रहती है, उनमें भी देखा जा सकता है, जैसे:
1. संधिशोथ
2. किसी नई दवा की प्रतिकूल प्रतिक्रिया
3. आघात जैसी गंभीर चिकित्सा बीमारी
4. तिल्ली हटाने के बाद
5. धूम्रपान
6. किसी चिकित्सा आपात स्थिति से संबंधित तनाव
7. स्व-प्रतिरक्षी रोग
लिम्फोसाइट्स (lymphocytes in hindi meaning) की कमी के कारण, आपकी टीएसएच स्तर जो थायराइड गतिविधि को नियंत्रित करता है, बिगड़ सकता है। लिम्फोसाइट्स कम होने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे सामान्य कारण हैं संक्रमण, दवाएं, और पोषण संबंधी कमियां।
संक्रमण - विभिन्न प्रकार के जीवाणु, विषाणु, परजीवी और कवक संक्रमण लिम्फोसाइट्स की कमी का कारण बन सकते हैं। उदाहरण के लिए:
1. एचआईवी और एड्स
2. श्लैष्मिक ज्वर (जिसमें खांसी और बुखार होता है)
3. कोविड-19
4. जिगर में सूजन
5. मलेरिया (Malayria) (मच्छर से होने वाला विषमज्वर)
6. खसरा
7. न्यूमोनिया pneumonia (फेफड़ों की सूजन और संक्रमण)
8. क्षय रोग (Tuberculosis)
कुपोषण - आहार में पोषक तत्वों की कमी, जैसे प्रोभूजिन, विटामिन बी-१२, फोलिक एसिड, आदि, भी लिम्फोसाइट्स की कमी का कारण बन सकती है।
वंशानुगत बीमारियाएं - वह बीमारियां जो किसी के जीवन में उनके माता-पिता से आनुवंशिक रूप से मिलती हैं, वे बहुत नीचे दी गई हैं:
1. गतिभंग रक्त वाहिनी विस्तार (एटैक्सिया-टेलैंगिएक्टेसिया): यह एक बहुत दुर्लभ आनुवंशिक रोग है जो तंत्रिका तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली, और कई अन्य शरीर के प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है।
2. रोगक्षम-अपर्याप्तता: यह एक बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिससे बीमारियों के खिलाफ सामान्य प्रतिरक्षा कमजोर हो जाती है।
3. डि जॉर्ज सिंड्रोम: यह एक आनुवंशिक रोग है जिसमें क्रोमोसोम २२ का एक हिस्सा अनुपस्थित होता है।
4. गंभीर संयुक्त रोगक्षम-अपर्याप्तता बहुरोग: यह एक बहुरोग है जिसमें बच्चे की पूरी तरह से ठीक प्रकार से बनने में मुश्किलें होती हैं।
5. विस्कॉट-एल्ड्रिच सिंड्रोम: यह एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जिसमें रक्त के थक्के बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
स्व-प्रतिरक्षित रोग - यह होता है जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे ही स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है, जिसमें लिम्फोसाइट्स भी शामिल होते हैं। उदाहरण के रूप में:
1. ल्यूपस (सिस्तमिक लुपस एरिथेमेटोसस): इसमें त्वचा पर चकत्ते, जोड़ों में दर्द, बुखार, और अंग क्षति होती है।
2. सारकॉइडोसिस: इसमें फेफड़ों, लसीकापर्व, त्वचा, आंखों और शरीर के अन्य हिस्सों में गांठ बनते हैं।
3. मायास्थेनिया ग्रेविस: इससे नर स्नायु प्रणाली के ग्रसित होने से मांसपेशियों में कमजोरी होती है।
4. रियुमेटोइड गठिया: इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली हाथ-पैर या पीठ के जोड़ों को अस्तर करने वाले ऊतक को निशाना बनाती है।
दवा और उपचार के दुष्प्रभाव - कुछ रोगों के इलाज में काम आने वाली दवाएं, जैसे कि कैंसर रोग या स्व-प्रतिरक्षित रोग के इलाज के लिए कुछ दवाएं, लिम्फोसाइट्स को कम कर सकती हैं। जैसे:
1. अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण
2. इम्यूनो दमनकारी दवाएं (जैसे कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड)
3. विकिरण चिकित्सा
4. रसायन चिकित्सा
लिम्फोसाइट्स (lymphocytes in hindi meaning) के इलाज के लिए, यदि आपके शरीर किसी रोगाणु के साथ लड़ रहा है और श्वेत रक्त कोशिकाएं बना रहा है, तो आपको इसके लिए कोई विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। समय के साथ, प्रतिरक्षा प्रणाली इस स्थिति को सुधारती है। यदि सफेद रक्त कोशिकाओं में बढ़ोतरी किसी गंभीर बीमारी की ओर संकेत कर रही है, तो चिकित्सक आपको उच्च लिम्फोसाइट स्तर के कारणों और उपचार के विकल्पों के बारे में बताएंगे।
उच्च लिम्फोसाइट्स (lymphocytes normal range in hindi) के इलाज में, लिम्फोसाइट्स के उच्च स्तर को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय हो सकते हैं:
1. संक्रमणों का समाधान - उच्च लिम्फोसाइट स्तर के कारण होने वाले संक्रमणों के इलाज के लिए विशेष एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवाएं की जा सकती हैं।
2. ऑटोइम्यून स्थितियों का प्रबंधन - ऑटोइम्यून विकारों के लिए दवाओं का प्रबंधन किया जा सकता है, जो लिम्फोसाइट्स की अत्यधिक गिनती को कम कर सकती हैं।
3. तनाव कम करना - योग, ध्यान और व्यायाम जैसी तकनीकें तनाव को कम करके लिम्फोसाइट्स की अत्यधिक गिनती को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
4. दवा समायोजन - कुछ दवाओं के कारण गिनती बढ़ जाने पर, डॉक्टर खुराक को समायोजित कर सकते हैं या विकल्प प्रस्तुत कर सकते हैं।
जब कोई व्यक्ति किसी अन्य बीमारी के निदान के दौरान अचानक अधिक या कम लिम्फोसाइट्स (meaning of lymphocytes in Hindi) की गिनती पाता है, तो उसे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर से परीक्षण के परिणामों की चर्चा करना बहुत महत्वपूर्ण है। उच्च या निम्न लिम्फोसाइट गिनती से रोग के स्रोत का पता लगा जा सकता है।
अक्सर कई हफ्तों के दौरान लगातार परीक्षण से यह पता चलता है कि लिम्फोसाइटोसिस कम हो गया है। यदि लिम्फोसाइटोसिस बनी रहती है, तो विशेष रक्त परीक्षण फायदेमंद हो सकते हैं।
यदि समस्या बिगड़ती है या कारण स्पष्ट नहीं है, तो डॉक्टर हेमेटोलॉजिस्ट, जो रक्त विकारों पर ध्यान केंद्रित करता है, को देखने की सलाह दे सकता है। NCBI के एक लेख में कहा गया है कि लिम्फोसाइटों (meaning of lymphocytes in Hindi) की उच्च संख्या (ALC 30000 कोशिकाओं/माइक्रोलीटर से अधिक) या जो तेजी से बढ़ रही है, उन्हें हेमेटोलॉजिस्ट से परामर्श की आवश्यकता होती है।
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