एक्जिमा एक त्वचा रोग है। यह बच्चों के साथ बड़ों दोनों को होता है। एक्जिमा को एटोपिक एक्जिमा के अलावा एटोपिक डर्मेटाइटिस एवं एलर्जिक एक्जिमा भी कहते हैं। अगर किसी को एक्जिमा होता है तो व्यक्ति की त्वचा नमी बरकरार नहीं रहती है। इससे व्यक्ति को जलन के साथ खुजली होती है।

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क्या होता है एक्जिमा ? (What is eczema in hindi) : 

एक्जिमा एक ऐसी स्किन स्थिति है। जिस कारण त्वचा रूखी, उभरी और इंफ्लेम्ड होती है। त्वचा में खुजली और रेडनेस ज्यादा होती है। इस स्थिति को एटोपिक डर्मेटाइटिस कहते हैं। इस कारण स्किन बैरियर डैमेज होता है। अगर एक बार यह हो जाए तो लंबे समय तक रहता है।  मगर यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है। इसे समय रहते लक्षणों के आधार एलोपैथिक के अलावा होम्योपैथी में भी सही किया जा सकता है। कई ऐसे कारण है जिस वजह से यह कंडीशन उभरती है। जिनमें से एक सर्दी का मौसम है। तापमान घटने की वजह से एक्जिमा ज्यादा बढ़ता है। इसलिए इस कंडीशन से लोगों को त्वचा का खास ख्याल रखने को बोला जाता है। 


होम्योपैथिक में एक्जिमा का इलाज क्या हैं ? (What is the homeopathic Treatment for Eczema) : 


एलोपैथिक में स्टेरॉयड से एक्जिमा की बीमारी से निजात तो पाया जा सकता हैं। मगर हो सकता है जितने दिन तक यह दवाई चलेगी उतनी देर तक ही फायदा हो। वहीं होम्योपैथिक दवाओं से एक्जिमा का इलाज होता हैं, तो इसका हमारे शरीर पर कोई नुकसान नहीं होता है। लगातार तीन माह तक होम्योपैथिक की दवाई लेने से इस बीमारी के खत्म होने की उम्मीद ज्यादा होती हैं। 

 

एक्जिमा में कौनसी होम्योपैथिक दवा है फायदेमंद ? (Which homeopathic medicine is amazing for eczema) : 

एक्जिमा में आर्सेनिकम एल्बम की दवा से सूजे हुए और पीले सतह से राहत मिलती है। साथ में रूखी और परतदार चमड़ी से भी सुरक्षा होती है। एक्जिमा में कैल्केरिया कार्बोनिका विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में लोगों को एक्जिमा के रोग से राहत में फायदेमंद साबित होती है। ग्रैफाइटिस की दवा उन्हें दी जाती है जिनकी पलकें लाल व सूजी होती हैं। ऐसे में उन्हें जल्दी आराम मिलता है। मेजेरियम दवा ज्यादा देर खुजली होने पर देते हैं। एक्जिमा के कारण त्वचा में सूजन और जलन होती है। आमतौर पर शरीर के अदंर प्रतिरक्षा परिवर्तन के कारण यह बीमारी होती है। एक्जिमा ठीक हो सकता है लेकिन लगातार इम्यूनोलॉजिकल गड़बड़ी होम्योपैथी उपचार  (eczema treatment in homeopathy) जैसी आंतरिक दवाओं द्वारा सही होता है। सभी होम्योपैथी को सुरक्षित और प्रभावी उपचार के तरीके के लिए जानते हैं। लाली, सूजन और खुजली वाली त्वचा की उपस्थिति में एक्जिमा पीड़ित मरीजों में मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तनाव को ट्रिगर करती है। जो एक गंभीर असुविधा का प्रमुख कारण बन सकती है।

 

एक्जिमा के लिए होम्योपैथी उपचार (Homeopathy treatment for eczema in Hindi): 

  • होम्योपैथी में एक्जिमा को उपचार शुरुआती लक्षणों के आकलन के साथ होता है। 
  • होम्योपैथी में प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी का इलाज किया जाता है। इससे बीमारी की जड़ से इलाज होता है।
  • ज्यादातर मामले में इसका प्रभाव लंबे समय तक चलता है दोबारा बीमारी होने की संभावना कम होती है। 
  • अत्यधिक खुजली होने पर सल्फर जो एक प्राकृतिक होम्योपैथिक दवा है। इसे एक्जिमा के लिए सबसे प्रभावी उपचार में मानते है। 
  • यह जलने की स्थित कम करती है। अत्यधिक खुजली से तत्काल सहायता करती है। यह एक्जिमा के मामले में भी फायदेमंद है।
  • ग्रेफाइट एक प्रभावी होम्योपैथिक दवा है, जो एक्जिमा का इलाज (eczema in homeopathy treatment) करती है। 
  • यह आमतौर पर कान, खोपड़ी, उंगलियों या पैर की अंगुली के बीच होने वाले एक्जिमा को कम करती है। 
  • घुटनों के जोड़ों और कोहनी में सूखा एक्जिमा होने पर सेपिया ऑफिसिनैलिस राहत प्रदान करती है।
  • लाइकोपोडियम क्लावैटम ज्यादा खुजली और रक्तस्राव से निजात के लिए फायदेमंद है।

एक्जिमा के लिए होम्योपैथिक दवाएं होती है कारगर (Homeopathic medicines are effective for eczema in Hindi) : 

  • ग्रैफाइटिस दवा का उपयोग इसलिए होता है जहां त्वचा अस्वस्थ दिखती है। चोट पर सूजन आने केसाथ चिपचिपा और पानी निलकता है। कई बार त्वचा लगातार शुष्कता के साथ खुरदरी और कठोर होती जाती है। पैरों में सूजन के साथ जलन, चुभन महसूस होती है। तब उपरोक्त दवा का सेवन करने की सलाह डॉक्टर देते हैं। 
  • मेजेरियम दवा का उपयोग दाने के साथ मोटी पपड़ी बनने से रोकने के लिए होता है। 
  • कई बार व्यक्ति को बीमारी में ठंड के साथ ज्यादा खुजली महसूस होती है। इससे हड्डी भी प्रभावित होती है। उनमें सूजन आती है।
  • हेपर सल्फ दवा भी बीमारी के उपचार में उपयोगी साबित होती है। यह रक्तस्राव को कम करने में मदद करती है। घाव से गंध कम करती है। 
  • डल्कामारा दवा भी पपड़ी के साथ घाव को भरने में मदद करती है। बरसात में जब खुजली  बढ़ जाती है। (eczema in homeopathy treatment)  हल्का सा खुजलाने पर खून निकलता है, तो दवा काम आती है। 

सल्फर भी शुष्क त्वचा, पपड़ीदार कम करती है। त्वचा में खुजली और जलन जो खुजलाने से बढ़ती है। उसे कम करती है। 

 

एक्जिमा के इलाज के लिए उपचार (eczema in homeopathy treatment) की सही खुराक और अवधि के लिए एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। फेलिक्स अस्पताल एक्जिमा के लिए व्यापक देखभाल प्रदान करता है। अपॉइंटमेंट शेड्यूल करने या हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानने के लिए हमें कॉल करें। +91 9667064100

 

एक्जिमा के लक्षण (Symptoms of Eczema in hindi) : 

  • अत्याधिक खुजली 
  • छोटी-छोटी फुंसिया का उभरना
  • त्वचा पर बहुत ज्यादा जलन होना
  • चिड़चिड़ापन के साथ अवसाद होना
  • खुजलाने वाली जगह पर सफेद छल्ला बनना
  • ज्यादा देर तक खुजलाने से त्वचा पर लाल चकत्ते होना

 

शिशु में एक्जिमा के यह होते हैं लक्षण (These are the symptoms of eczema in babies) : 

  • शिशु के सिर की त्वचा में रूखापन, खुजली, ड्राई स्कैल्प की समस्या अधिक होती है। 
  • त्वचा में पानी वाले बुलबुले और फोड़े फुंसी की समस्या ज्यादा दिखती है।
  • बच्चों को सही से सो नहीं पाने की शिकायत ज्यादा होती है। 
  • इसके अलावा बच्चों को चिड़चिड़ापन और स्किन इंफेक्शन ज्यादा होता है।
  • घुटने और कोहनियों के पास की त्वचा में रैशेज और खुजली ज्यादा होती है। 
  • पैर और हिप्स के पास की सिकुड़न वाली त्वचा में रैशेज अधिक होते हैं। 
  • कलाई और गर्दन में रैशेज और ड्राई पैच बहुत ज्यादा होते हैं। 

 

वयस्कों में एक्जिमा के यह होते हैं लक्षण (These are the symptoms of eczema in adults in Hindi): 

 

  • आंखों के आसपास की त्वचा ड्राई, सख्त, काली हो जाती है। 
  • एक्जिमा वाले हिस्से की त्वचा में खुजली महसूस अधिक होती है। 
  • आंख के पास की स्किन चेहरे की त्वचा की तुलना में अधिक मोटी और काली दिखने लगती है। 
     

एक्जिमा की रोकथाम (Eczema Prevention in hindi) : 

 

  • नवजात शिशुओं को शुरुआत के चार महीने तक अगर ब्रेस्टफीडिंग कराई जाए तो उनमें एक्जिमा की संभालना कम होती है। 
  • एक्जिमा के डायग्नोसिस के लिए डॉक्टरों द्वारा जांच कराई जाती है। अगर त्वचा पर रैशेज गंभीर हैं और त्वचा रूखी तो पैच टेस्ट और एलर्जी स्किन टेस्ट (Patch test or allergy skin test), स्किन बायोप्सी (Skin biopsy), ब्लड टेस्ट (Blood Test) कराना चाहिए। 
  • दर्द और खुजली से  राहत दिलाने के लिए त्वचा को मॉइस्चराइज किया जाना चाहिए। जिससे उसका रूखापन नहीं बढ़ पाए।
  • एक्जिमा के लक्षणों को बढ़ने से रोकने कि लिए जरूरी प्रयास करना चाहिए। स्किन इंफेक्शन से बचाव करना चाहिए। 
  • त्वचा की ऊपरी परत को मोटा बनने से रोकना चाहिए। 
  • प्रतिदिन हल्के गुनगुने पानी से दस मिनट का स्नान करना चाहिए।
  • इस कारण स्किन को हाइड्रेटेड रखने में मदद मिलती है।
  • नहाने के बाद दस मिनट में ही त्वचा पर मॉश्चराइजर जरूर लगाना चाहिए। इस कारण त्वचा की नमी बरकरार रहने के अलावा स्किन ड्राई नहीं होती है।
  • त्वचा पर कोई भी क्रीम या लोशन लगाने से पहले इस बात का ख्याल रखे कि कि वह स्किन को सूट करता हो अन्यथा परेशानी बढ़ सकती है। 
  • कुछ स्प्रे, लोशन, स्किन केयर प्रोडक्ट्स स्किन की इरिटेशन बढ़ाते है। ऐसे उत्पादों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। 

 

एक्जिमा के कारण (Causes of Eczema in hindi) :

  • अनुवांशिक, वातवरण और पर्यावरणीय परिवर्तन के कारण बीमारी अधिक होती है। 
  • अगर घर में माता और पिता या माता और पिता में से किसी एक को एक्जिमा है। तो यहां बच्चा भी प्रभावित होता है।
  • स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) नामक बैक्टीरिया के कारण भी एक्जिमा होता है। 
  • डैंड्रफ, पराग कण, घरेलू जानवरों के संपर्क में आने के अलावा धूल-मिट्टी के संपर्क में आने के कारण भी बीमारी होती है।
  • ठंडे, गर्म, नमीयुक्त और आर्द्रतायुक्त वातावरण के संपर्क में रहने से।
  • सोया उत्पाद, गेहूंं, नट्स, अंडे, मछली, सीसम के बीज का अधिक सेवन से बीमारी होती है। 
  • ज्यादा देर तक कॉपर जैसी धातुओं के आभूषणों को पहनना।
  • तनाव भी एक्जिमा के लक्षण को बढ़ाता है।
  • नकली साबुन या डिटर्जंट के उपयोग के कारण होता है।
  • महिलाओं में हार्मोनल उतार और चढ़ाव के कारण भी बीमारी होती है। 
  • मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान एक्जिमा अधिक होता है

 

एक्जिमा के प्रकार (Types of Eczema in hindi) : 

 

  • एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic dermatitis) :

यह एक्जिमा अक्सर बच्चों में देखा जाता है। व्यस्क होने पर एक्जिमा कम होता चला जाता है।

 

  • डिशिड्रोटिक एक्जिमा (Dyshidrotic eczema) :

इस एक्जिमा में हाथ के अलावा पैर में छोटे फफोले बनते हैं। अधिकतर यह महिलाओं में ज्यादा होता है।

 

  • न्यूरोडर्मेटाइटिस (Neurodermatitis) :

यह एक्जिमा एटॉपिक डर्मेटाइटिस के समान होता है। इस एक्जिमा में  त्वचा पर उभरे हुए प्लेकयुक्त चकत्ता बनता हैं। इससे काफी जलन होती है। 

 

  • न्यूमुलर एक्जिमा (Nummular eczema) : 

इस एक्जिमा में त्वचा पर सिक्के के आकार के चकत्ता बनता हैं। एक्जिमा होने पर व्यक्ति को खुजली अधिक होती है।

 

  • कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस (Contact dermatitis) :

यह एक्जिमा में किसी विशेष वस्तु को छूने से होता है। इस रोग में त्वचा पर खुजली होती है। वह लाल हो जाते हैं।

 

एक्जिमा को कैसे रोका जा सकता है  Prevention of Eczema in Hindi : 

  • ज्यादा पसीने के अलावा अधिक गर्मी एक्जिमा के प्रकोप को बढ़ाती है। इसलिए गर्मी से बचना चाहिए और अपने घर को हमेशा ठंडा रखना चाहिए।
  • अत्यधिक तनाव से एक्जिमा का प्रकोप बढ़ जाता है। इसलिए तनाव से बचने के लिए व्यायाम के अलावा योग और मेडिटेशन करना चाहिए।
  • बीमारी होने पर त्वचा को खरोंचना नहीं चाहिए। खुजली वाली जगह को अगर दिकक्त है तो धीरे से मलना चाहिए।
  • हमेशा ही आरामदायक कपड़े पहनें। सूती कपड़े पहनने से गर्मी में अच्छी तरह से सांस लेने में आसानी होती है। 
  • एलर्जी के संपर्क में नहीं आना चाहिए। 
  • हमेशा गर्म पानी की बजाय गुनगुने पानी से नहाना चाहिए। 
  • हमेशा नहाने को माइल्ड साबुन का उपयोग करना चाहिए। नहाते वक्त त्वचा को रगड़ने की बजाय थपथपाना चाहिए। 
  • प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास से अधिक पानी पीना चाहिए। इससे त्वचा में नमी बनी रहती है।
  • हमेशा ही माइल्ड मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। 


निष्कर्ष (Conclusion) : 


कई लोगों में आयु बढ़ने के साथ एक्जिमा के लक्षण कम होते जाते हैं। मगर कई लोगों को जिंदगी भर इन लक्षणों के साथ जीवन व्यतीत करना पड़ता है। वयस्क के लिए उपचार के कई तरीकें से एक्जिमा के लक्षणों का आसानी से निदान किया जाता सकता है। लेकिन लक्षण के हमेशा बढ़ने का खतरा बना रहेगा। एक्जिमा गंभीर होने पर इसका असर आंखों पर पड़ने लगता है। इस कारण मोतियाबिंद और पलकों के ऊपर की त्वचा का ज्यादा ड्राई होती जाती है। हर्पीज और मस्से जैसे स्किन इन्फेक्शन्स होते है। इसलिए लोगों से मेलजोल बढ़ाने में परेशानी होती है। कई बार ऐसे लोगों, दूसरे लोगों से हाथ मिलाने, गले लगाने के अलावा किसी को छूने से बचते हैं। देखने में आता है कि सामने वाला व्यक्ति से भी इस तरह किसी प्रकार का स्पर्श नहीं चाहता है। इसलिए लक्षण दिखने पर इसका समय पर इलाज कराना चाहिए।


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अक्सर पूछें जाने वाले सवाल (Frequently asked questions in hindi) :

 

  • एक्जिमा के लिए सबसे अच्छा होम्योपैथिक उपचार क्या होता है ?

उत्तर: आर्सेनिकम एल्बम, कैल्केरिया कार्बोनिका, ग्रेफाइट्स, हेपर सल्फ्यूरिस कैल्केरियम, रस टॉक्सिकोडेंड्रोन, एंटीमोनियम क्रूडम और कैलेंडुला जैसे होम्योपैथिक दवाएं एक्जिमा के इलाज में फायदेमंद होती है। लेकिन स्वयं से दवा लेना उचित नहीं है। इसलिए डॉक्टर की सलाह पर दवा लेनी चाहिए। 

 

  • एक्जिमा के लिए कौनसा खाद्य पदार्थ हानिकारक साबित होता है ?

उत्तर: व्यक्ति का आहार एक्जिमा के इलाज में भूमिका निभाता है। यह बीमारी के लक्षणों को कम कर सकता है। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन जिनसे व्यक्ति को एलर्जी है नहीं करना चाहिए। मसलन  डेयरी उत्पाद, अंडे, सोयाबीन और उच्च शर्करा वाले खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। इसलिए  त्वचा को एक्जिमा के प्रकोप से बचाने के लिए उपरोक्त पदार्थों को खाने से बचना चाहिए। 

 

  • क्या होम्योपैथी एक्जिमा को हमेशा के ठीक करती है क्या ?

उत्तर: एक्जिमा का कोई पूर्ण इलाज फिलहाल जनहीं है। लेकिन होम्योपैथी एक्जिमा की खुजली, तीव्रता, अवधि और आकार का प्रभावी ढंग से इलाज करती है। लक्षणों को फिर से उभरने को रोकने में भी मदद करता है। एक्जिमा के लिए होम्योपैथिक उपचार धीरे-धीरे प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है। साथ ही  आंतरिक रूप से एक्जिमा से लड़ने में मदद करने लायक बनाता है। एक्जिमा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव जैसे चिंता, तनाव और अवसाद का इलाज करने में लाभदायक है। जिससे भविष्य में होने वाली किसी भी बीमारी को फैलने  से रोका जा सके।

 

  • क्या एक्जिमा के लिए कोई मलहम सांस की  समस्या बढ़ा सकता है ?

उत्तर: ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) सिंथेटिक क्रीम और मलहम बाहरी एक्जिमा के लक्षणों को दबा सकता हैं। इसके विपरीत यह एक दुष्चक्र है। इसलिए अस्थमा के साथ एक्जिमा का भी प्रभावी ढंग से इलाज करना महत्वपूर्ण होता है।

 

  • एक्जिमा के दूसरे उपचार से होम्योपैथी क्या अलग होती है ? 

उत्तर: एक्जिमा के दूसरे उपचार में एंटी हिस्टामाइन, टॉपिकल हाइड्रो कार्टिसोन और दर्द निवारक जैसे ओवर-द-काउंटर उत्पाद शामिल है। इससे नींद आना, सिरदर्द, लो रक्तचाप, शुष्क या फटी त्वचा, मुंहासे, खुजली, जलन हो सकती हैं। जबकि होम्योपैथिक उपचार पूरी तरह से सुरक्षित, प्राकृतिक और दुष्प्रभाव मुक्त होता है। यह उन अंतर्निहित समस्याओं का इलाज करता है जो एक्जिमा के लक्षणों को कम करती हैं।

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