डेंगू बुखार एक सामान्य लेकिन गंभीर वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से एडीज मच्छरों के काटने से फैलती है। यह बीमारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन बच्चों में इसके लक्षण ज्यादा गंभीर और खतरनाक हो सकते हैं बच्चों में डेंगू बुखार का जल्दी पता न लगने पर यह गंभीर रूप ले सकता है। माता-पिता को बच्चों में डेंगू के लक्षणों के प्रति सतर्क रहना बेहद जरूरी है साथ ही बच्चे को डेंगू के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ अस्पताल भी लेकर जाना चाहिए ताकि किसी भी खतरनाक स्थिति को समय रहते टाला जा सके इस ब्लॉग में, हम बच्चों में डेंगू के लक्षण, इसके खतरनाक संकेत और बचाव के उपायों पर चर्चा करेंगे।


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Table of Contents

  • डेंगू बुखार क्या है? (What is dengue fever) ?

  • बच्चों में डेंगू के सामान्य लक्षण (Common Symptoms of Dengue in Children)

  • खतरनाक लक्षण जिन्हें न करें नजरअंदाज (Dangerous symptoms that should not be ignored)

  • डेंगू की पहचान कैसे करें? (How to identify dengue) ?

  • बच्चों में डेंगू से बचाव के उपाय (Tips to Prevent Dengue in Children)

  • डेंगू का उपचार और घरेलू उपाय (Dengue treatment and home remedies)

  • माता-पिता के लिए सुझाव (Tips for parents)

  • फेलिक्स हॉस्पिटल्स में डेंगू के विशेषज्ञ के बारे में जाने (Know about Dengue Specialists at Felix Hospitals)

  • निष्कर्ष (Conclusion)

  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (Frequently asked questions and their answers)

 

डेंगू बुखार क्या है? (What is dengue fever) ?

डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण है, जो डेंगू वायरस के कारण होता है। यह एडीज इजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलता है, जो आमतौर पर दिन के समय सक्रिय होते हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होती है, लेकिन अब इसका प्रभाव शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ रहा है। डेंगू की गंभीरता को समझना और बच्चों में इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है। समय पर डॉक्टर से परामर्श और उचित उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

 

डेंगू वायरस और मच्छरों द्वारा इसका प्रसारः
 

  • डेंगू वायरस चार प्रकार के होते हैं (DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4)।

  • मादा एडीज मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति का खून चूसने के बाद वायरस को स्वस्थ व्यक्ति में फैलाता है।

  • पानी जमा होने वाले क्षेत्रों जैसे गमले, कूलर, टायर, या खुली जगहों में रुके हुए पानी में यह मच्छर पनपते हैं।


डेंगू के प्रकारः

  • 1-क्लासिकल डेंगू बुखारः
    यह डेंगू का सामान्य रूप है। इसमें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, और त्वचा पर लाल चकत्ते दिखाई देते हैं। यह आमतौर पर 5-7 दिनों में ठीक हो जाता है।

  • 2-डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएफ) :  
    यह डेंगू का गंभीर रूप है। इसमें खून बहने की समस्या, प्लेटलेट्स का तेजी से गिरना, और रक्त वाहिकाओं का रिसाव होता है। समय पर इलाज न मिलने पर यह जानलेवा हो सकता है।

 

बच्चों में डेंगू के सामान्य लक्षण (Common Symptoms of Dengue in Children)

बच्चों में डेंगू बुखार की शुरुआत अक्सर अचानक होती है। इसके लक्षण कभी-कभी सामान्य बुखार से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन इन लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर हो सकता है। इन लक्षणों को सामान्य बुखार समझकर अनदेखा न करें। यदि इनमें से एक या अधिक लक्षण बच्चे में दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज और देखभाल से डेंगू के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है। माता-पिता को बच्चों में इन सामान्य लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए:

  • 1-अचानक तेज बुखारः

  • डेंगू बुखार का सबसे पहला और मुख्य लक्षण तेज बुखार है। बुखार 102-104°F तक जा सकता है और यह कई दिनों तक रह सकता है।

  • 2-सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द : 
    बच्चे सिरदर्द की शिकायत कर सकते हैं, विशेषकर माथे के पास। मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द इतना अधिक हो सकता है कि बच्चा चलने-फिरने में असहज महसूस करे।

  • 3-त्वचा पर लाल चकत्ते : 
    त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते डेंगू के प्रमुख लक्षणों में से एक हैं। ये चकत्ते बुखार के 2-3 दिन बाद दिखाई दे सकते हैं और यह पूरे शरीर में फैल सकते हैं।

  • 4-भूख न लगना और कमजोरीः
    बच्चे खाने-पीने में रुचि नहीं दिखाते। कमजोरी के कारण वे सुस्त और थके हुए महसूस करते हैं।


खतरनाक लक्षण जिन्हें न करें नजरअंदाज (Dangerous symptoms that should not be ignored)

डेंगू बुखार में कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जो यह संकेत देते हैं कि स्थिति गंभीर हो सकती है। यदि बच्चों में ये लक्षण दिखाई दें, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत चिकित्सकीय मदद लें। ये लक्षण डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएफ) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) का संकेत हो सकते हैं। समय पर सतर्कता और सही इलाज से इन खतरनाक स्थितियों को नियंत्रित किया जा सकता है। बच्चों की सेहत में किसी भी बदलाव को हल्के में न लें।
 

  • 1-लगातार पेट दर्द:
    बच्चा पेट के निचले हिस्से में तेज और लगातार दर्द की शिकायत कर सकता है। यह डेंगू के गंभीर होने का संकेत है, खासकर जब यह दर्द बुखार के साथ हो।

  • 2-उल्टी या खून आना:
    बार-बार उल्टी आना या उल्टी में खून के धब्बे दिखाई देना खतरनाक है। मल में खून के निशान दिखना भी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है।

  • 3-नाक या मसूड़ों से खून बहना
    बच्चों के नाक या मसूड़ों से खून बहने लगना प्लेटलेट्स की कमी का संकेत है। यह शरीर में खून जमने की प्रक्रिया में रुकावट के कारण होता है।

  • 4-ठंडा पसीना, बेचैनी और त्वचा का पीला पड़ना:
    बच्चों की त्वचा का रंग अचानक पीला, ठंडा, और नम हो सकता है। ये लक्षण शरीर में रक्त प्रवाह के असंतुलन का संकेत देते हैं, जो डेंगू शॉक सिंड्रोम की ओर इशारा कर सकते हैं।

  • 5-प्लेटलेट्स का गिरना और खून जमने की समस्या
    डेंगू में प्लेटलेट काउंट तेजी से गिरता है। खून के जमने में समस्या होने से आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।

 

डेंगू की पहचान कैसे करें? (How to identify dengue) ?

डेंगू बुखार के लक्षण कई अन्य वायरल बुखारों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, इसलिए इसकी सही पहचान के लिए चिकित्सा जांच आवश्यक है। सही समय पर परीक्षण से डेंगू की पुष्टि होती है, जिससे इलाज में देरी नहीं होती। डॉक्टर से परामर्श और सही समय पर टेस्ट डेंगू से लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

  • 1-डॉक्टर से परामर्श और प्राथमिक जांचः
    यदि बच्चे में डेंगू के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर शारीरिक लक्षणों की जांच करते हुए रोगी की पूरी चिकित्सा पृष्ठभूमि (मेडिकल हिस्ट्री) की जानकारी लेंगे। बुखार, सिरदर्द, चकत्ते, और प्लेटलेट काउंट की स्थिति के आधार पर डेंगू की संभावना का आकलन किया जाएगा।

  • 2-ब्लड टेस्ट के माध्यम से पुष्टिः
    a> प्लेटलेट काउंट टेस्ट
    डेंगू में प्लेटलेट्स तेजी से गिरते हैं। सामान्य प्लेटलेट काउंट 1,50,000–4,50,000 प्रति माइक्रोलीटर होता है, लेकिन डेंगू में यह 20,000-50,000 तक गिर सकता है।

    b>एनएस 1 एंटीजन टेस्ट
    यह डेंगू वायरस की प्रारंभिक पहचान के लिए किया जाता है। बुखार के पहले 5 दिनों के भीतर यह टेस्ट अधिक प्रभावी होता है।

    c>आईजीएम और आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट
    यह टेस्ट डेंगू वायरस के प्रति शरीर में बनी एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए किया जाता है। आईजीएम एंटीबॉडी प्रारंभिक संक्रमण का संकेत देती है, जबकि आईजीजी एंटीबॉडी पुराने या दोबारा संक्रमण का।

    d>सीबीसी (पूर्ण रक्त गणना)
    यह सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी), लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी), और हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच करता है। डेंगू में डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स की संख्या घट सकती है।

  • 3-अन्य चिकित्सा जांच
    यदि लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर लीवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) या कोएगुलेशन प्रोफाइल की सलाह दे सकते हैं। आंतरिक रक्तस्राव की संभावना होने पर अल्ट्रासाउंड या अन्य स्कैन किया जा सकता है।

 

बच्चों में डेंगू से बचाव के उपाय (Tips to Prevent Dengue in Children)

डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए मच्छरों के काटने से बचाव और मच्छरों की उत्पत्ति को रोकना सबसे महत्वपूर्ण कदम है। बच्चों को इस बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। डेंगू से बचाव के लिए ये छोटे-छोटे कदम बच्चों को इस गंभीर बीमारी से सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। ध्यान रखें कि रोकथाम इलाज से बेहतर है। यहां कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं:
 

  • 1-मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले क्रीम का उपयोग
    सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, खासकर छोटे बच्चों के लिए। बच्चों की त्वचा पर मच्छर भगाने वाले क्रीम या लोशन (जो बच्चों के लिए सुरक्षित हों) का इस्तेमाल करें। घर में मच्छर भगाने वाले उपकरण, जैसे कि इलेक्ट्रिक रिपेलेंट्स या कॉइल, का उपयोग करें।

  • 2-घर और आसपास पानी जमा न होने देंः
    मच्छर रुके हुए साफ पानी में अंडे देते हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करें कि घर और आसपास पानी जमा न हो। कूलर, गमले, टायर, और पानी के बर्तन नियमित रूप से खाली और साफ करें। छत या बालकनी में रखे अनुपयोगी सामान में पानी जमा न होने दें।

  • 3-बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनानाः
    बच्चों को हल्के रंग के, पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनाएं, जो उनके शरीर को अधिकतम रूप से ढक सकें। स्कूल जाते समय और बाहर खेलते समय यह उपाय विशेष रूप से उपयोगी होता है।

  • 4-स्कूल और अन्य स्थानों पर स्वच्छता का ध्यानः
    बच्चों के स्कूल और खेलने के स्थानों पर साफ-सफाई का ध्यान दें। स्कूल प्रशासन से मच्छर नियंत्रण उपायों, जैसे फॉगिंग और पानी के जमाव की रोकथाम, की जानकारी लें। बच्चों को स्वच्छता के महत्व के बारे में सिखाएं, जैसे पानी के बर्तनों को ढककर रखना।

 

माता-पिता के लिए सुझाव (Tips for parents)

बच्चों को डेंगू जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता की सतर्कता और सही कदम बेहद जरूरी हैं। डेंगू के लक्षणों और उपचार प्रक्रिया को समझते हुए बच्चों की देखभाल करने से स्थिति को नियंत्रित करना संभव है। माता-पिता की सतर्कता और सही समय पर लिए गए निर्णय बच्चों को डेंगू से सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। आपकी सावधानी ही बच्चों की सेहत का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।  यहां माता-पिता के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:
 

  • 1-बच्चों के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखेंः
    बच्चों में किसी भी असामान्य लक्षण, जैसे बुखार, थकान, चकत्ते, या भूख न लगना दिखे तो सतर्क हो जाएं। डेंगू के मौसम (मानसून और उसके बाद) में बच्चों के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दें। नियमित रूप से उनकी शारीरिक स्थिति की जांच करें और तरल पदार्थ का सेवन सुनिश्चित करें।

  • 2-लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करेंः
    यदि बच्चे को तेज बुखार, लगातार पेट दर्द, उल्टी, या खून बहने जैसे लक्षण दिखें तो समय बर्बाद न करें। शुरुआती चरण में डॉक्टर से परामर्श लेने से जटिलताओं को रोका जा सकता है। नियमित ब्लड टेस्ट करवाकर प्लेटलेट काउंट और अन्य आवश्यक मापदंडों की निगरानी करें।

  • 3-डेंगू को हल्के में न लेंः
    डेंगू को सामान्य बुखार समझकर नजरअंदाज न करें। खतरनाक लक्षण जैसे ठंडा पसीना, कमजोरी, और नाक या मसूड़ों से खून बहना गंभीर स्थिति का संकेत हो सकते हैं। बच्चों की शिकायतों को समझें और उनकी बातों को महत्व दें।

  • 4-रोकथाम के उपाय अपनाएंः
    मच्छरों से बचाव के लिए बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं और मच्छर भगाने वाले उत्पादों का उपयोग करें। घर और आसपास की साफ-सफाई का ध्यान रखें और पानी जमा न होने दें। बच्चों को सुरक्षित आदतें सिखाएं, जैसे मच्छरों के काटने से बचने के तरीके।

  • 5-भावनात्मक और शारीरिक समर्थन दें
    बीमारी के दौरान बच्चों को आरामदायक माहौल दें और उनकी देखभाल करें। उन्हें पौष्टिक भोजन और भरपूर तरल पदार्थ देकर उनका स्वास्थ्य बनाए रखें। बच्चों को सकारात्मक बनाए रखें ताकि वे मानसिक रूप से भी मजबूत महसूस करें।

 

फेलिक्स हॉस्पिटल्स में डेंगू के विशेषज्ञ के बारे में जाने (Know about Dengue Specialists at Felix Hospitals)

फेलिक्स हॉस्पिटल्स में डेंगू के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर की टीम उपलब्ध है, जो मरीजों को उच्चतम स्तर की चिकित्सा सेवाएं प्रदान करती है।
नोएडा सेक्टर 137 में फेलिक्स हॉस्पिटल

  • नोएडा सेक्टर 137 में स्थित फेलिक्स हॉस्पिटल अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है और यहां डेंगू के इलाज के लिए अनुभवी चिकित्सक उपलब्ध हैं। डॉ. अंशुमाला सिन्हा, डॉ. नीलाभ प्रताप, डॉ. प्रियंका सिंह, और डॉ. सोनाक्षी सक्सेना जैसे विशेषज्ञ जनरल फिजिशियन आपकी स्वास्थ्य आवश्यकताओं को समझते हुए व्यक्तिगत इलाज प्रदान करते हैं।

  • ग्रेटर नोएडा गामा 1 में फेलिक्स हॉस्पिटल
    ग्रेटर नोएडा गामा 1 में फेलिक्स हॉस्पिटल भी डेंगू जैसी बीमारियों के इलाज के लिए एक भरोसेमंद केंद्र है। यहां डॉ. रवि शर्मा, डॉ. अपूर्वा शेट्टी, और डॉ. केशव कुमार गर्ग जैसे चिकित्सक अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के साथ मरीजों की तेजी से रिकवरी सुनिश्चित करते हैं।


यदि आपके बच्चे में डेंगू के लक्षण दिखें, तो जनरल फिजिशियन से संपर्क करना सबसे उपयुक्त होता है। डॉक्टर की सलाह के लिए आज ही फोन करें - +91 9667064100.

 

निष्कर्ष (Conclusion)

डेंगू बुखार एक गंभीर बीमारी है, जो बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है। लेकिन सही समय पर पहचान, उपचार और सतर्कता से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। माता-पिता और समाज को डेंगू के लक्षण, बचाव के उपाय, और इलाज के तरीकों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। बच्चों में डेंगू के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर डॉक्टर से संपर्क करें। मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करना और साफ-सफाई बनाए रखना डेंगू के प्रसार को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। डेंगू के प्रति जागरूक रहकर, सही कदम उठाकर और बच्चों की देखभाल में सक्रिय भूमिका निभाकर हम उन्हें इस बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं। ध्यान रखें, सतर्कता और समय पर की गई कार्रवाई से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान संभव है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (Frequently asked questions and their answers)

प्रश्न 1. क्या डेंगू के दौरान घरेलू उपाय प्रभावी होते हैं ?
उत्तर: कुछ घरेलू उपाय जैसे पपीते के पत्तों का रस और गिलोय का सेवन डेंगू के दौरान सहायक हो सकते हैं, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद ही अपनाएं। घरेलू उपाय उपचार का विकल्प नहीं होते, और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों का पालन करना जरूरी है।


प्रश्न 2. बच्चों में डेंगू की पहचान कैसे करें ?
उत्तर: बच्चों में डेंगू की पहचान के लिए डॉक्टर से संपर्क करना सबसे सही तरीका है। अगर बच्चे में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, लाल चकत्ते, या कमजोरी के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं। प्लेटलेट काउंट और NS1 एंटीजन टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट से डेंगू की पुष्टि की जाती है।


प्रश्न 3. क्या डेंगू के बाद कोई जटिलताएँ हो सकती हैं ?
उत्तर: डेंगू के बाद यदि इलाज समय पर नहीं किया जाता, तो यह डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएफ) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) का कारण बन सकता है, जिससे रक्तस्राव, प्लेटलेट्स की कमी, और शरीर में रक्त का संचार कम हो सकता है। इसलिये, डेंगू को हल्के में नहीं लें और उचित इलाज लें।


प्रश्न 4. क्या डेंगू एक बार होने के बाद फिर से हो सकता है ?
उत्तर: हां, डेंगू एक बार होने के बाद फिर से हो सकता है। डेंगू के वायरस के चार प्रकार होते हैं, और किसी भी प्रकार के वायरस से संक्रमित होने पर आपको भविष्य में दूसरे प्रकार के वायरस से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है।


प्रश्न 5. क्या डेंगू के लिए कोई टीका है ?
उत्तर: डेंगू के लिए कुछ देशों में टीका उपलब्ध है, लेकिन यह सभी आयु समूहों के लिए नहीं है। अभी तक डेंगू के लिए पूर्ण रूप से प्रभावी और सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध टीका नहीं है। डेंगू से बचाव के लिए मच्छरों से बचाव के उपायों पर ध्यान देना जरूरी है।


प्रश्न 6. डेंगू के दौरान बच्चों को किस प्रकार का आहार देना चाहिए ?
उत्तर: डेंगू के दौरान बच्चों को हल्का, सुपाच्य और पौष्टिक भोजन देना चाहिए, जैसे खिचड़ी, दलिया, उबले हुए सब्जियां, और फल। ताजे फलों जैसे पपीता, अमरूद, और अनार का सेवन भी प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद कर सकता है।


प्रश्न 7. क्या डेंगू के इलाज में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता होती है ?
उत्तर: यदि डेंगू के लक्षण गंभीर हों, जैसे कि प्लेटलेट्स की अत्यधिक कमी, पेट में दर्द, उल्टी, या रक्तस्राव, तो अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है। हल्के मामलों में घर पर उपचार संभव है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी स्थिति में इलाज न करें।

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